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Why Is It Important To Know The Signs Of Ovulation: आमतौर पर सभी महिलाएं अपने पीरियड्स को ट्रैक करती हैं। ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि उन्हें यह पता पीरियड्स की डेट की सटीक जानकारी हो, पीरियड्स लेट तो नहीं है, यह पता हो और पीरियड्स संबंधी कोई अन्य दिक्कतें तो नहीं है, इसकी सभी जानकारी उनके पास हो। हालांकि, जो विवाहित महिलाएं सेक्सुअली एक्टिव हैं, वे पीरियड्स डेट की जानकारी रखती हैं, ताकि असमय कंसीव करने से बच सकें। यहां सभी महिला पाठकों से एक सवाल है कि क्या कभी आपने अपने ओवुलेशन साइकिल को ट्रैक किया है? यकीनन ज्यादातर महिलाएं कहेंगी, नहीं। आपको बता दें कि ओवुलेशन साइकिल को ट्रैक करना, उतना ही जरूरी है कि पीरियड साइकिल को ट्रैक करना। इस लेख में हम आपको ओवुलेशन साइकिल को ट्रैक करने से संबंधित विशेष कारणों के बारे में बताएंगे। इस बारे में जानने के लिए हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
ओवुलेशन साइकिल ट्रैक करने के कारण- Why Is It Important To Track Ovulation
ओवुलेशन से जुड़ी समस्या की जानकारी
जब ओवरीज समय पर एग्स रिलीज नहीं करती हैं या अनियमित रूप से एग्स रिलीज करती हैं, तो इसे हम ओवुलेशन से संबंधित समस्या कहते हैं। इसको ट्रैक करने से महिलाओं को अपनी कंसीव करने की संभावना का पता चलता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि महिलाएं न सिर्फ अपनी पीरियड्स डेट को ट्रैक करें, साथ ही ओवुलेशन साइकिल की भी पर्याप्त जानकारी रखें।
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हार्मोनल इंबैलेंस की जानकारी
NCBI (NIH) से पता चलता है, जब ओवरीज सही तरह से काम नहीं करती हैं, तो एग्स भी रिलीज नहीं होते हैं। ऐसे में शरीर में कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसमें हार्मोनल इंबैलेंस मुख्य हैं। डॉ. शोभा गुप्ता की मानें, तो ओवुलेशन साइकिल ट्रैक करने से अपने हार्मोन के पैटर्न का पता चलता है। इस पैटर्न के जरिए आप पीसीओएस, थाइरायड डिसऑर्डर, और ऐसे में हार्मोनल के इंबैलेंस होने की जानकारी रख सकते हैं, जिससे ओवुलेशन प्रभावित होता है।
कंसीव करने की संभावना में कमी
जो महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं और फिलहाल इससे बचना चाहती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए ओवुलेशन ट्रैक करना और भी जरूरी है। वे ओवुलेशन साइकिल के लिए यह जान सकेंगे कि फर्टाइल विंडो कौन-सी है और उन्हें किस समय यौन संबंध स्थापित करता है। वहीं, जो महिलाएं कंसीव करना चाहती हैं, वे फर्टाइल विंडो सेक्सुअल रिलेशनशिप बना सकती हैं, जिससे कंसीव करने की संभावना दर बढ़ जाती है।
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अपने शरीर के प्रति जानकारी
जब आप ओवुलेशन ट्रैक पर पूरी नजर रखते हैं, तो इसकी वजह से आपको अपने शरीर में हो रहे हर छोटे-बड़े बदलावों के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है। इससे आप अपने रिप्रोडक्टिव पैटर्न को समझ सकती हैं। इस तरह आपको यह समझ आ जाता है कि नॉर्मल और स्वस्थ हैं। साथ ही, पता चलता है कि आपको कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
ओवुलेशन को कैसे ट्रैक करें- How Do I Track My Ovulation Day
ओवुलेशन को ट्रैक करने के कई तरीके हैं, जैसे अपने शारीर का तापमान, सर्वाइकल डिस्चार्ज और सर्वाइकल कंडीशन पर नजर रखने से अपने ओवुलेशन को समझने में मदद मिल सकती है। डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, "ओवुलेशन के बाद बेसल बॉडी टेंप्रेचर बढ़ जाता है। यह इस बात का संकेत है कि ओवुलेशन पीरियड सही से सफल हुआ है। इस दौरान वजानइल डिस्चार्ज अधिक स्लीपरी और क्लियर भी होता है। बहरहाल, इसके अलावा आप पीरियड साइकिल का चार्ट बना सकती हैं। इसके लिए, तरह-तरह के मोबाइल एप्स मौजूद हैं। आप चाहें, तो उनका उपयोग कर सकते हैं। वहीं, ओवुलेशन प्रिडिक्टर किट भी इसकी जानकारी के लिए मददगार साबित हो सकता है।"
निष्कर्ष
कुला मिलाकर, कहने का मतलब यह है कि जब महिलाएं ओवुलेशन ट्रैक करती हैं, तो ऐसे में उन्हें सही समय पर फैमिली प्लानिंग में मदद मिलती है, ओवरीज के हेल्थ के बारे में पता चलता है, हार्मोनल इंबैलेंस की भी जानकारी मिलती हैं। यहां तक कि आपको पीरियड्स और ओवुलेशन से जुड़ी किसी तरह की समस्या है, तो उसके लक्षणों को समझने में मदद मिलती है।
All Image Credit: Freepik
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Oct 13, 2025 13:00 IST
Published By : Meera Tagore