Digestion Related Diseases: आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी का असर डाइजेशन पर भी पड़ने लगा है। लगातार खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, नींद पूरी न होना और अनहेल्दी खाने के कारण पाचन से जुड़ी समस्याओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके बावजूद लोग डाइजेशन की समस्याओं को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और इसका परिणाम ये होता है कि फिर उन्हें मेडिकल इलाज की जरूरत पड़ जाती है। ऐसी कौन सी 5 पाचन से जुड़ी बीमारियां है, जिसे लोग नजरअंदाज करते हैं और कैसे डाइट से इन्हें सुधारा जा सकता है, जानने के लिए हमने नोएडा के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के क्लिनिकल न्यूट्रिशन विभाग की हेड डॉ. करूणा चतुर्वेदी (Dr Karuna Chaturvedi, Head – Clinical Nutrition, Max Super Speciality Hospital, Noida) से बात की।
डाइजेशन से जुड़ी 5 समस्याएं और उसके डाइट से समाधान
एसिड रिफ्लक्स - Acid Reflux / GERD
डॉ. करूणा कहती हैं, “जब पेट का एसिड भोजन की नली (esophagus) में ऊपर आ जाता है। इससे लोगों को खट्टे डकार, सीने में जलन और असहज हो जाते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि लोग इस समस्या को बड़ी दिक्कत नहीं मानते लेकिन रोजाना इस समस्या से दोचार होते हैं। अगर आपको भी ये समस्या लगातार हो रही है, तो खाने की कुछ आदतों में सुधार करना बहुत जरूरी है।”
- मसालेदार, तली-भुनी और ज्यादा फैट वाली चीजों से बचना चाहिए।
- कैफीन, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और साइट्रस फल (नींबू, संतरा) ज्यादा न लें।
- दिन में छोटे-छोटे मील कई बार लें।
- एक साथ पेटभर भोजन न करें।
- केले, दलिया, हरी सब्जियां डाइट में ज्यादा लें।
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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम - IBS
डॉ. करूणा के अनुसार, IBS फंक्शनल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीजों को पेट दर्द, गैस, पेट फूलना, कब्ज या दस्त जैसी शिकायतें होती हैं। मरीज को पेट के निचले हिस्से में बार-बार मरोड़ उठता है, जिसकी वजह से मरीज को सामान्य से ज्यादा बार स्टूल पास करना पड़ता है। इसे डाइट से मैनेज किया जा सकता है।
- लो-FODMAP (Fermentable Oligosaccharides, Disaccharides, Monosaccharides, and Polyols) डाइट अपनाएं।
- बीन्स, प्याज, गेहूं और डेयरी जैसी फर्मेंटेबल कार्बोहाइड्रेट वाले फूड्स कम करें।
- कब्ज की समस्या हो तो आहार में घुलनशील फाइबर जैसे ओट्स, इसबगोल, सेब शामिल करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- कैफीन, शराब और आर्टिफिशियल स्वीटनर से परहेज करें।
कब्ज - Constipation
डॉ. करूणा कहती हैं, “कब्ज की समस्या बहुत लोगों को रहती है। इसकी वजह अक्सर कम फाइबर वाली डाइट और पानी की कमी की वजह से होती है। लोग काम करते समय पानी पीना ही भूल जाते हैं और साथ ही अनहेल्दी डाइट खाते हैं। इस वजह से कब्ज की समस्या हो जाती है। इस समस्या को डाइट से मैनेज किया जा सकता है।”
- आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं – साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें और पपीता, नाशपाती जैसे फल खाएं।
- रोजाना कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पिएं।
- गट हेल्थ के लिए दही, छाछ, केफिर जैसे प्रोबायोटिक फूड्स खूब लें।
- प्रोसेस्ड और ज्यादा शक्कर वाली चीजों को सीमित करें।
गैस्ट्राइटिस - Gastritis
डॉ. करूणा बताती हैं कि गैस्ट्राइटिस यानी कि पेट की परत में सूजन अक्सर इंफेक्शन, शराब या लंबे समय तक दर्द निवारक दवाइयां (NSAIDs) लेने से हो सकती है। पेट में एसिड से बचाने के लिए सुरक्षा परत होती है, जिसमें सूजन आने से मरीज को बार-बार मतली या उल्टी आने लगती है। अगर किसी के साथ ऐसा रेगुलर हो रहा है, तो उन्हें अपनी डाइट में बदलाव करने चाहिए।
- हल्का और सादा भोजन करें जैसे उबला चावल, केला, सूप।
- शराब, कैफीन और खट्टे-टमाटर वाले फूड्स से बचें।
- एक बार में ज्यादा खाने की बजाय बार-बार हल्का भोजन करें।
- एंटीऑक्सीडेंट युक्त फूड्स जैसे बेरीज, ग्रीन टी को सीमित मात्रा में शामिल करें।
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लैक्टोज इनटॉलरेंस - Lactose Intolerance
इस बारे में डॉ. करूणा कहती हैं, “जो लोग दूध में मौजूद शुगर (लैक्टोज) पचा नहीं पाते, उन्हें पेट फूलना, गैस और दस्त लगने जैसी समस्या बहुत ज्यादा होती है। अगर किसी को दूध या डेयरी प्रोडेक्ट्स खाने के बाद बार-बार ये समस्याएं हो, तो उन्हें डॉक्टर से मिलकर लैक्टोज इनटॉलरेंस का चेक कराएं। ऐसे मरीजों को डाइट पर भी ध्यान देना चाहिए।
- साधारण दूध की बजाय लैक्टोज-फ्री दूध या प्लांट-बेस्ड मिल्क जैसे सोया, बादाम, ओट्स मिल्क पिएं।
- पनीर, दही और हार्ड चीज (चेडर, पर्मेज़ान) आसानी से पच जाते हैं।
- पैक्ड फूड के लेबल ध्यान से पढ़ें, ताकि हिडन लैक्टोज से बच सकें।
- कैल्शियम के लिए हरी सब्जियां, नट्स, बीज और फोर्टिफाइड ड्रिंक्स लें।
निष्कर्ष
डॉ. करूणा जोर देते हुए कहती हैं कि लोगों में डाइजेशन की समस्याएं आम हैं, लेकिन डाइट और लाइफस्टाइल से इन दिक्कतों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। हाइड्रेशन और फाइबर का ध्यान रखें और खाने में प्रोबायोटिक्स ज्यादा से ज्यादा लें। संतुलित और पौष्टिक डाइट लेने से डाइजेशन को लंबे समय तक सेहतमंद रखा जा सकता है और कोई समस्या हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।