जो लोग लैक्टोज इंटॉलेरेंट होते हैं, वे पूरी तरह से शुगर या ग्लूकोज को पचा नहीं पाते हैं। इसके नतीजे में जब भी वो ऐसी चीजें खाते या पीते हैं, तो उन्हें एलर्जी के लक्षण जैसे डायरिया, गैस, पेट फूलने आदि का सामना करना पड़ता है। वैसे तो यह स्थिति शरीर के लिए हानिकारक नहीं होती लेकिन इसके लक्षण थोड़े असहज हो सकते हैं। आपकी छोटी आंत में एक एंजाइम उत्पादित होता है, अगर वह काफी कम मात्रा में उत्पादित हुआ, तो ही लैक्टोज इंटॉलरेंस जैसी स्थिति आती है। बहुत से लोग लैक्टोज के लो लेवल के बावजूद भी दूध को पचाने में सक्षम होते हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षणों और कारणों के बारे में।
लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण
लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण आमतौर पर डेयरी प्रोडक्ट्स खाने के थोड़े समय बाद दिखते हैं-
- डायरिया
- जी मिचलाना और कभी-कभी उल्टियां आना
- पेट में दर्द हो जाना
- पेट फूल जाना
- गैस होना
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लैक्टोज इंटॉलरेंस का कारण
जब आप की छोटी आंत पर्याप्त मात्रा में लैक्टोज एंजाइम को उत्पादित नहीं कर पाती, तब यह स्थिति देखने को मिलती है। लैक्टोज का काम मिल्क शुगर को दो तरह की शुगर में तोड़ना है- पहला ग्लूकोज और गैलेक्टोज। ये दोनों ही आंतो (इंटेस्टाइनल लाइनिंग) के किनारों द्वारा ब्लड में अवशोषित (अब्जॉर्ब) कर लिए जाते हैं। लैक्टोज इंटोलेरेंट के अलग-अलग प्रकार भी होते हैं। जैसे-प्राइमरी लैक्टोज इंटॉलरेंस, सेकेंडरी लैक्टोज इंटॉलरेंस और डेवलपमेंटल लैक्टोज इंटॉलरेंस
किन्हें होता है ज्यादा खतरा?
बढ़ती उम्र: अगर आपकी उम्र बढ़ रही है, तो आप इस स्थिति के रिस्क में हैं क्योंकि बच्चों और जवान लोगों में इस स्थिति को कम ही देखा जाता है।
एथनिसिटी: ज्यादातर अफ्रीकन, एशियन और अमेरिकन इंडियन लोगों को ही यह स्थिति देखने को मिलती है।
समय से पहले जन्म होना: जो बच्चे समय से पहले ही पैदा हो जाते हैं उन्हें यह रिस्क होता है क्योंकि उनकी छोटी आंत में लैक्टेस को प्रोड्यूस करने वाली सेल्स ही उत्पादित नहीं होती है।
छोटी आंत को प्रभावित करने वाली बीमारियां: अगर आपको भी कोई ऐसी बीमारी या शारीरिक स्थिति है, जिसमें छोटी आंत प्रभावित हो सकती है, तो आप इस स्थिति के रिस्क में हैं। इन बीमारियों में बैक्टीरियल ओवर ग्रोथ, सिलियक और क्रोंस डिजीज शामिल होती हैं।
कैंसर के इलाज के कारण: कैंसर के इलाज के दौरान रेडिएशन और अन्य थेरेपी भी आपके लेक्टोज इंटोलेरेंट होने के रिस्क को बढ़ा सकती है।
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क्या हो सकता है उपचार?
अगर किसी बीमारी की वजह से यह स्थिति है, तो आपको पहले बीमारी का इलाज करवाना चाहिए। इसके अलावा आप को अपनी डाइट में लेक्टोज की मात्रा कम करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके कुछ टिप्स निम्न हैं:
- दूध और अन्य डेयरी उत्पादों के सेवन को काफी कम कर दें।
- अपनी रोजाना की मील में अगर आप डेयरी प्रोडक्ट लेते हैं, तो उसकी सर्विंग के साइज को कम कर दें।
- लो-लैक्टोज वाली आइस क्रीम और दूध का सेवन करें।
- दूध से लैक्टोज को ब्रेक डाउन करने के लिए उसमें लिक्विड या फिर पाउडर फॉर्म में उपलब्ध होने वाले लेक्टेज एंजाइम को एड कर सकते हैं।
- इसके अलावा हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
- कैल्शियम से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
इस स्थिति को मैनेज करने के लिए आप को अपने लाइफस्टाइल को भी मैनेज करना होगा। रेगुलर एक्सरसाइज करने और हेल्दी डाइट लेने से स्थिति के कारण होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।