
आज के समय में लैक्टोज इन्टॉलरेंस यानी दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स को पचाने में दिक्कत की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले यह समस्या कम देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह बच्चों से लेकर वयस्कों और बुजुर्गों तक को प्रभावित कर रही है। खास बात यह है कि बहुत से लोगों को बचपन या किशोरावस्था में दूध से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उन्हें दूध पीने के बाद पेट में गैस, मरोड़, डायरिया या सूजन जैसी तकलीफें होने लगती हैं। यही स्थिति लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहलाती है। लैक्टोज एक प्रकार की नेचुरल शुगर है, जो दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स में पाई जाती है। इसे पचाने के लिए हमारे शरीर को लैक्टेज (lactase) नामक एंजाइम की जरूरत होती है, जो छोटी आंत में बनता है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ शरीर में लैक्टेज एंजाइम का लेवल धीरे-धीरे घटने लगता है। नतीजतन शरीर दूध को सही तरीके से नहीं पचा पाता और लैक्टोज इन्टॉलरेंस के लक्षण सामने आने लगते हैं। इस लेख में डॉक्टर .......... से जानिए, उम्र के साथ लैक्टोज इन्टॉलरेंस क्यों बढ़ती है?
उम्र के साथ लैक्टोज इन्टॉलरेंस क्यों बढ़ती है? - Why Lactose Intolerance Gets Worse With Age
लैक्टोज एक प्रकार की नेचुरल शुगर होती है जो दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स में पाई जाती है। जब हम दूध पीते हैं, तो हमारे शरीर को एक विशेष एंजाइम लैक्टेज की मदद से इस लैक्टोज को तोड़कर पचाना होता है। जिन लोगों के शरीर में यह एंजाइम पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता, उन्हें लैक्टोज पचाने में दिक्कत होती है। यही स्थिति लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहलाती है, जिससे गैस, मरोड़, डायरिया और पेट फूलने जैसे लक्षण होते हैं।
लैक्टेज एंजाइम का प्रोडक्शन बचपन में सबसे ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह उस समय के पोषण का मुख्य सोर्स यानी मां का दूध पचाने के लिए जरूरी होता है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं और हमारे भोजन में विविधता आती है, शरीर में लैक्टेज का प्रोडक्शन धीरे-धीरे कम होने लगता है। यह एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है जिसे लैक्टेज नॉन-पर्सिस्टेंस कहते हैं।
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लैक्टोज इन्टॉलरेंस के कारण - Causes of lactose intolerance
- जेनेटिक कारक भी लैक्टोज इन्टॉलरेंस का कारण बन सकते हैं। कुछ लोगों में लैक्टेज एंजाइम का लेवल किशोरावस्था के बाद तेजी से गिरता है।
- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आंतों की कोशिकाओं की कार्यक्षमता घटती है, जिससे एंजाइम प्रोडक्शन भी कम होता है।
- उम्र बढ़ने के साथ पाचन तंत्र की अन्य समस्याएं भी लैक्टेज एंजाइम की गतिविधि को प्रभावित कर सकती हैं।
- उम्र के साथ आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया की संख्या और प्रकार बदलते हैं, जिससे लैक्टोज पचाने की क्षमता घट सकती है।
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उपचार
लैक्टोज इन्टॉलरेंस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रभावी रूप से कंट्रोल किया जा सकता है।
- लैक्टोज युक्त फूड्स से बचना। दूध, दही, पनीर जैसे प्रोडक्ट्स को सीमित या बंद करना।
- लैक्टेज एंजाइम की गोलियांखाने से पहले ली जा सकती हैं ताकि दूध पचाने में मदद मिल सके।
- अब बाजार में आसानी से लैक्टोज-फ्री दूध, दही और आइसक्रीम उपलब्ध हैं, जिनका सेवन किया जा सकता है।
- दूध छोड़ने से कैल्शियम और विटामिन D जैसे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिसे सप्लीमेंट से पूरा किया जा सकता है।
निष्कर्ष
लैक्टोज इन्टॉलरेंस एक आम लेकिन असहज स्थिति है, जो उम्र के साथ ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है। इसका मुख्य कारण लैक्टेज एंजाइम की उम्र के साथ होती कमी है। हालांकि यह समस्या पूरी तरह ठीक नहीं होती, लेकिन सही जानकारी, जागरूकता और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। यदि आप भी महसूस करते हैं कि दूध पीने के बाद पेट में परेशानी होती है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर जरूरी टेस्ट करवाना समझदारी होगी।
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Nov 05, 2025 18:09 IST
Published By : Anurag Gupta