Good News: 14 साल की लड़की ने खोज निकाला कोरोना के इलाज के लिए स्पाइक प्रोटीन को चुनने का तरीका

कोरोना के इलाज से जुड़ी हुई एक बड़ी खोज सामने आई है, जो कि आगे चल कर कोरोना के इलाज में आशा की किरण साबित हो सकती है। 
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Good News: 14 साल की लड़की ने खोज निकाला कोरोना के इलाज के लिए स्पाइक प्रोटीन को चुनने का तरीका


कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर देश और दुनिया में जारी है।  देश में कोरोनावायरस संक्रमण के कुल मामले 75 लाख को पार कर चुका है, पर इसी बीच एक राहत की खबर भी है कि लगातार आज ये तीसरा दिन है, जब देश में कुल एक्टिव मामलों की संख्या आठ लाख के नीचे रही है। देश का रिकवरी रेट की बात करें, तो ये 88.3% चल रहा है, वहीं रोज का पॉजिटिविटी रेट 6.5% पर चल रहा है। साथ ही एक और अच्छी खबर ये है कि कोरोना के इलाज के लिए जरूरी स्पाइक प्रोटीन को चुनने का तरीका अब ढूंढ लिया गया है। ये खोज टेक्सास की 14 वर्षीय अनिका चेबरोलू  (Anika Chebrolu)की देन है। अनिका चेबरोलू ने इतनी छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी खोज की है, जो कि आगे चल कर कोरोना के इलाज में एक बड़ी सहायता कर सकती है।

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भविष्य में कोरोना के इलाज से जुड़ी बड़ी खोज

14 वर्षीय अनिका चेबरोलू टेक्सास के फ्रैंको की रहनी वाली हैं और अपनी इस खोज के कारण उन्होंने इस साल का  2020 3M यंग साइंटिस्ट चैलेंज जीत लिया है। उन्हें उनकी इस बड़ी खोज के लिए  25,000 डॉलर के पुरस्कार राशि से पुरस्कृत भी किया गया है। इस खोज को लेकर खास बात ये है कि जहां दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोनोवायरस का इलाज को ढूंढ निकालने के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं, वहां इस छोटी सी लड़की ने बड़ा काम कर दिखाया है।

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कोरोना के इलाज के लिए स्पाइक प्रोटीन को चुनने का तरीका

अनिका का जीतने वाला आविष्कार एक लीड अणु की खोज है, जो कि इन-सिलिको कार्यप्रणाली का उपयोग करता है  (in-silico methodology to discover a lead molecule), जो कि  कोरोनावायरस के SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को चुन कर अपने साथ बाइंड कर सकता है। इससे इस स्पाइक प्रोटीन की पहचान करके कोरोना के इलाज में मदद मिल सकती है।

कैसे की अनिका ने ये बड़ी खोज?

 शुरुआत में अनिका ने एक लीड कंपाउंड की पहचान करने के लिए इन-सिलिको विधियों  (in-silico methodology) का उपयोग किया, जो कि इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रोटीन से बंध सकता था। अनिका कहती हैं कि "कोविद -19 महामारी की गंभीरता और इसने दुनिया पर इतने कम समय में जो भारी प्रभाव डाला, उसके कारण मैंने अपने गुरु की मदद से, SARS-CoV-2 वायरस को लक्षित करने के लिए दिशा में पहल की।" अनिका ने कहा कि वह 1918 फ्लू महामारी के बारे में जानने को लेकर पहले से ही प्रेरित थी कि बाजार में वार्षिक टीकाकरण और एंटी-इन्फ्लूएंजा दवाओं के बावजूद अमेरिका में हर साल क्यों इतने लोगों की मौत होती है। उसके बाद ही अनिका ने कोरोना को इससे जोड़ कर, इस खोज को लेकर काम करना शुरु किया।

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वहीं इस खोज को लेकर 3M यंग साइंटिस्ट चैलेंज के जज डॉ. सिंडी मॉस ने सीएनएन को बताया, "अनिका जिज्ञासु हैं और कोविद -19 के टीके के बारे में सवाल पूछने के लिए अपनी जिज्ञासा का इस्तेमाल करती है।" "उनका काम व्यापक था और कई डेटाबेसों की जांच की। उन्होंने नवाचार प्रक्रिया की समझ भी विकसित की और एक बड़ी खोज की है। दुनिया को बेहतर जगह बनाने में मदद करने के लिए अपने समय और प्रतिभा का उपयोग करने की उनकी इच्छा हमें सभी आशा प्रदान करती है।"

गौरतलब है कि जिस तरह से कोरोना का कहर हर तरफ जारी है, ऐसे में इसके इलाज के लिए एक छोटी सी खोज भी एक बड़ी मदद साबित हो सकती है। तो उम्मीद करते हैं कि इस महामारी का इलाज, इसकी दवाई और इसका वैक्सीन पूरी दुनिया को जल्द ही प्राप्त हो।

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