किसी हादसे के बाद हर कोई व्यक्ति भावनात्नक रूप से परेशान जरूर रहता है लेकिन एक वक्त के बाद सब कुछ ठीक होने लगता है। हालांकि महिलाओं में मिसकैरेज (गर्भपात) के बाद अभी भी भावनात्मक और मानसिक रूप से उबर पाना उतना ही मुश्किल है, जैसे किसी अपने को खोने की भावना। महिलाएं मिसकैरेज के बाद काफी दुखद समय से गुजर रही होती हैं ऐसे में उनके लिए खुद को ठीक रख पाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि कुछ महिलाओं के लिए इंस्टाग्राम इस प्रकार के दुख से लड़ने में एक उपकरण के रूप में उभरा है।
जर्नल ओब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकॉलोजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि इंस्टाग्राम यूजर्स द्वारा पोस्ट किए गए कंटेंट में मिसकैरेज से जुड़ा चिकित्सय और शारीरिक अनुभव का ढेर सारा विवरण, मिसकैरेज का भावनात्मक पहलु और भावनाएं, सामाजिक पहलू और परिवार की पहचान जैसी चीजों का विस्तृत विवरण होता है।
अमेरिका की थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के जेफरसन कॉलेज ऑफ पॉपयूलेशन हेल्थ की सहायक प्रोफेसर एमी हेंडरसन राइली का कहना है कि मैंने अपने अध्ययन के निष्कर्षों में पाया कि महिलाएं उन अनजान लोगों के प्रति संवेदनाएं रखती हैं, जिन्होंने अपने पार्टनर और परिवारों को मिसकैरेज के बारे में कुछ भी नहीं बताया।
ये निष्कर्ष इंस्टाग्राम यूजर्स द्वारा साझा किए गए टेक्सट और पिक्चर्स से जुड़े 200 पोस्ट पर किए गए एक क्वालिटेटिव शोध पर आधारित हैं।
इसे भी पढ़ेः अल्जाइमर की 2 एक्सपेरिमेंटल दवाओं में मिले 'एंटी-एजिंग' गुण, ब्रेन सेल्स के नुकसान को कर सकते हैं कम
थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर रेबेका मेरीसर ने कहा, ''मुझे जिस बात ने सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित किया कि गर्भपात के बाद माता-पिता के रूप में पहचानी जाने वाली महिलाओं और उनके साझेदारों ने एक सफल गर्भधारण के बाद अपने परिवार की पहचान कैसे बनाई?''
मेरीसर ने कहा, ''मिसकैरेज से हुए नुकसान महिलाओं और उनके परिवारों को किस हद तक प्रभावित करता है और उनके दुख की अवधि डॉक्टरों के लिए कोई महत्व नहीं रखती।'' इंस्टाग्राम पर मौजूद इस तरह के अकाउंट मरीजों को एक तरह की राह दिखाते हैं, जो उनके लिए अनुभव का काम करता है।
उदाहरण के लिए, क्लीनिक में बार-बार मिसकैरिज की सामान्य परिभाषा को तीन गर्भधारण के बाद माना जाता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने पाया कि कई मरीजों में दो या उससे अधिक मिसकैरेज की पहचान बार-बार गर्भपात के रूप में हुई है।
इसे भी पढ़ेः हृदय रोगों और स्ट्रोक के लिए 'एस्पिरिन' के प्रयोग पर वैज्ञानिकों की चेतावनी, ब्रेन से हो सकती है ब्लीडिंग
मेरीसर ने कहा, ''मुझे आशा है कि ये अध्ययन क्लीनिक यानी की डॉक्टरों को मरीजों को यह बताने में मदद करेगा कि सोशल मीडिया दुखों से उबरने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही उन्हें सम्मान के साथ फिर से जीवन जीने की आशा जगाएगा।''
सोशल मीडिया मरीजों के लिए भी एक सामान्य मंच बन चुका है। उदाहरण के लिए टिकटॉक हाल ही में कुछ यूजर्स के लिए एक ऐसा मंच बन गया है, जहां वह अपने स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में वीडियो साझा कर सकते हैं।
राइली ने कहा, ''जहां तक हमें पता चला है कि ये पहला अध्ययन है, जो इंस्टाग्राम और मिसकैरेज के बीच संबंध पर प्रकाश डालता है। लेकिन यह बाल्टी में पानी की एक बूंद की तरह है। सोशल मीडिया मंच तेजी से उभर रहे हैं और इसपर एक विस्तृत अध्ययन होना चाहिए।''
Read more articles on Health News in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version