हाल में हुए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया दो प्रायोगात्मक अल्जाइमर ड्रग्स, जिन्हें CMS121 और J147 के रूप में जाना जाता है, व्यक्ति की याददाश्त में सुधार करने और मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षति को धीमा करने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि ये ड्रग्स अल्जाइमर रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं। हालांकि अभी यह शोध चूहों पर किया गया है, मगर वैज्ञानिक इसके परिणाम देखकर जल्द ही इंसानों पर भी इसे प्रयोग करेंगे। अल्जाइमर एक गंभीर बीमारी है, जो इन दिनों तेजी से फैल रही है।
अमेरिका में साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक पामेला मैहर ने अनुसार, "इस अध्ययन में इस बात का पता चला है कि दोनों यौगिक (CMS121 और J147) न सिर्फ अल्जाइमर के दवा के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं, बल्कि उम्र बढ़ने के कारण ब्रेन सेल्स को होने वाले नुकसान से भी बचा सकते हैं।"
चूहों पर किया गया है शोध
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में दिखाया है कि कैसे ये दोनों यौगिक स्वस्थ चूहों में उम्र बढ़ने को धीमा कर सकते हैं और मस्तिष्क की कोशिकाओं को होने वाली क्षति को रोकते हैं। ऐसी ही स्थितियां सामान्य रूप से इंसानों में भी उम्र बढ़ने के दौरान देखी जाती हैं।
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65 की उम्र के बाद बढ़ता है अल्जाइमर का खतरा
आमतौर पर अल्जाइमर रोग लोगों को वृद्धावस्था में ही होता है। इस रोग की शुरुआत ज्यादातर लोगों में 65 की उम्र के बाद देखने को मिलती है। इस आयु से ऊपर के व्यक्तियों में अल्जाइमर रोग के बढ़ने का जोखिम हर पांच साल में दोगुना हो जाता है।
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कैसे किया गया अध्ययन?
नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने चूहों में असामान्य रूप से तेजी से उम्र बढ़ने वाले एक तनाव की ओर रूख किया। जिसमें चूहों के एक सेट को शुरूआत के नौ महीने की उम्र में CMS121 और J147 दिया। इसके 4 महीनों के बाद, टीम ने चूहों की याददाश्त और व्यवहार का परीक्षण किया और उनके दिमाग में आनुवंशिक और आणविक मार्करों का विश्लेषण किया। जिसमें पाया गया कि बिना किसी इलाज वाले चूहों की तुलना में इन ड्रग्स को लेने वाले चूहों ने याददाश्त परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
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शोधकर्ता और अध्ययन के लेखक मैहर ने कहा, "ये दोनों यौगिक आणविक परिवर्तनों को रोकते हैं, जो उम्र बढ़ने के साथ जुड़े हुए हैं"। हालांकि, अधिक विस्तृत प्रयोगों से पता चला कि दोनों ड्रग्स रासायनिक एसिटाइल-कोएंजाइम ए (एसिटाइल-सीओए) के स्तर को बढ़ाकर माइटोकॉन्ड्रिया को प्रभावित करती हैं। आपको यहां यह बता देना जरूरी है कि ये अध्ययन अभी चूहों के मॉडल्स पर किया गया है, इंसानों पर इस शोध के परिणाम क्या होंगे, ये आगे के एक्सपेरिमेंट के बाद ही साफ हो पाएगा।
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