
हमारी रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का सपोर्ट भाग है और इसे स्वस्थ रखना पूरे शरीर की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। आज की सेडेंटरी जीवनशैली, लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर बैठना और एक्सरसाइज की कमी, रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालती है। लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल के ऑर्थो डिपार्टमेंट के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. इमरान अख्तर ने बताया कि सिर्फ जिम या लंबी वॉक से काम नहीं चलता, बल्कि दिनभर के छोटे-छोटे मूवमेंट्स रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। ये छोटे मूवमेंट्स ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैं, मांसपेशियों को एक्टिव रखते हैं और पीठ दर्द या लचीलापन कम होने जैसी समस्याओं को रोकते हैं। रोजमर्रा की गतिविधियों में सही पोजीशन और लगातार हल्की एक्सरसाइज को अपनाना, रीढ़ की हड्डी की लंबी उम्र के लिए जरूरी है। हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day 2025) मनाया जाता है ताकि लोगों को स्पाइन हेल्थ के प्रति जागरूक किया जा सके। इसी कड़ी में आज हम जानेंगे कि माइक्रो मूवमेंट्स क्या होते हैं? माइक्रो मूवमेंट्स को रूटीन में कैसे शामिल कर सकते हैं? इन सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे।
माइक्रो मूवमेंट्स क्या होते हैं?- What Are Micro Movements
डॉ. इमरान अख्तर ने बताया कि माइक्रो मूवमेंट्स (Micro Movements) छोटे, हल्के और लगातार किए जाने वाली फिजिकल एक्टिविटी होती हैं, जिन्हें आप रोजमर्रा के काम के बीच कर सकते हैं। ये रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियों और जॉइंट्स को एक्टिव रखते हैं, वो भी बिना ज्यादा थकान या समय लगाए।
उदाहरण:
- बैठे-बैठे पैर उठाना या घुमाना
- कंधे और गर्दन की हल्की स्ट्रेचिंग
- हाथ और फिंगर्स को मोड़ना या हिलाना
- कमर या पीठ को हल्का ट्विस्ट करना
- हर 30-40 मिनट में थोड़ा खड़े होना या घूमना
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1. स्ट्रेचिंग मूवमेंट्स- Stretching Movements
- साइड बेंड, रीचिंग और बैक ट्विस्ट जैसी हल्की स्ट्रेचिंग करें।
- यह रीढ़ का लचीलापन बढ़ता है और दर्द या टाइटनेस कम होती है।
- सुबह उठते ही 5-10 मिनट स्ट्रेचिंग बहुत फायदेमंद होती है।
2. ब्रेक लेना और रिलैक्स करना- Taking Breaks & Relaxation
- हर घंटे 5 मिनट का ब्रेक लें।
- हल्की वॉकिंग, डीप ब्रीदिंग या जेंटल स्ट्रेचिंग करें।
- यह रीढ़ की हड्डी पर लगातार दबाव को कम करता है और मांसपेशियों को राहत देता है।
3. पोजीशन बदलना- Position Changes
- लगातार एक ही स्थिति में बैठना रीढ़ की हड्डी के लिए हानिकारक है।
- सीधे बैठें, पैर क्रॉस न करें और समय-समय पर बैठने का तरीका बदलें।
- इससे स्पाइन पॉश्चर सही रहता है और लचीलापन बना रहता है।
4. स्ट्रेचिंग मूवमेंट्स- Stretching Movements
- साइड बेंड, रीचिंग और बैक ट्विस्ट जैसी हल्की स्ट्रेचिंग करें।
- यह रीढ़ का लचीलापन बढ़ता है और दर्द या टाइटनेस कम होती है।
- सुबह उठते ही 5 से 10 मिनट स्ट्रेचिंग करना बहुत फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष:
दिनभर के छोटे मूवमेंट्स रीढ़ की हड्डी की सेहत और लचीलापन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। केवल जिम या लंबी एक्सरसाइज पर निर्भर रहना काफी नहीं है। स्ट्रेचिंग, सही पॉश्चर, हल्की एक्टिविटी और समय-समय पर ब्रेक लेने से रीढ़ की हड्डी मजबूत रहती है, दर्द कम होता है और उम्र बढ़ने पर स्पाइन की समस्याओं से बचा जा सकता है।
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Oct 16, 2025 19:09 IST
Modified By : Yashaswi MathurOct 16, 2025 19:09 IST
Published By : Yashaswi Mathur