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स्ट्रेस के कारण सिर्फ महिलाओं में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है? जानें डॉक्टर से

Why Does Stress Increase Risk of Stroke in Only Women: क्या स्ट्रेस के कारण महिलाओं में स्ट्रोक आने का खतरा ज्यादा होता है? जानें एक्सपर्ट की राय क्या है?
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स्ट्रेस के कारण सिर्फ महिलाओं में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है? जानें डॉक्टर से


Why Does Stress Increase Risk of Stroke in Only Women: स्ट्रेस के कारण महिलाएं ही या पुरुष सभी को कई तरह की परेशानियों का समाना करना पड़ता है। यह परेशानियां फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की हेल्थ से जुड़ी हो सकती हैं। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि स्ट्रेस के कारण व्यक्ति को स्ट्रोक आने का खतरा भी बढ़ जाता है? जी हां कई स्टडी में यह बताया जा रहा है कि लगातार बढ़े हुए स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति को स्ट्रोक आने की समस्या हो सकती है। हालांकि, बात बस यही खत्म नहीं हो जाती है। इन स्टडी की मानें, तो स्ट्रेस के कारण स्ट्रोक आने का खतरा महिलाओं में ज्यादा होता है। हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए हमने डॉ. आदित्य गुप्ता निदेशक- न्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम (Dr. Aditya Gupta Director - Neurosurgery and Cyberknife, Artemis Hospital Gurugram) से बात की है। आइए डॉक्टर से जानते हैं कि क्या सच में स्ट्रेस के कारण स्ट्रोक आ सकता है। साथ ही, हम जानेंगे कि क्या इस समस्या से महिलाओं को ज्यादा खतरा हो सकता है।

स्टडी में कही गई ये बात- This Thing said in the Study

stress management

न्यूरोलॉजी में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया कि स्ट्रेस कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर बोझ डालता है। यह युवा वयस्कों में स्ट्रोक के लिए एक जोखिम कारक हो सकता है, जो लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, इस नए अध्ययन के मुताबिक, तनाव का महिलाओं की हार्ट हेल्थ पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। निष्कर्ष बताते हैं कि लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक तनाव में रहने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। इससे बचाव के लिए व्यक्ति को स्ट्रेस मैनेजमेंट के महत्व पर ध्यान देना चाहिए।

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महिलाओं में ज्यादा होता है स्ट्रोक का खतरा?-Women are at Higher Risk of Stroke

वहीं, डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि स्ट्रेस के बायोलॉजिकल, हार्मोनल और सोशल फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। इसका एक मुख्य कारण एस्ट्रोजन की भूमिका है। यह एक ऐसा हार्मोन है, जो शरीर के स्ट्रेस और सूजन के प्रति रिएक्शन पर असर डालता है। तनाव बढ़ने के दौरान, महिलाओं को ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में ज्यादा उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। मेनोपॉज के बाद, एस्ट्रोजन का सुरक्षात्मक प्रभाव कम हो जाता है, जिससे वृद्ध महिलाएं विशेष रूप से कमजोर हो जाती हैं।

इसके अलावा, महिलाओं को अक्सर देखभाल की जिम्मेदारियों, कार्य-जीवन असंतुलन और सामाजिक दबाव जैसे अनूठे स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। इससे क्रोनिक स्ट्रेस की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में सूजन ट्रिगर हो सकती है, ब्लड वेसल्स संकीर्ण होती हैं और ब्लड के थक्के बनने का जोखिम बढ़ सकता है। ये सभी स्थितियां स्ट्रोक के लिए मुख्य योगदानकर्ता हो सकती हैं।

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कुल मिलाकर, महिलाओं में डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां, हृदय प्रणाली पर तनाव के हानिकारक प्रभावों को बढ़ाती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि बढ़ा हुआ स्ट्रेस महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और एट्रियल फिब्रिलेशन विकसित होने का कारण बन सकता है। ऐसे में आपको स्ट्रेस मैनेजमेंट पर दजहयां देना चाहिए। 

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