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र्मी आते ही लोग गन्ने के जूस का सेवन शुरू कर देते हैं। गन्ने का रस यानि गन्ने के जूस स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी है। गन्ने के जूस में पोटैशियम की अधिक मात्रा होने की वजह से यह आपके पाचन तंत्र के लिए बहुत ही फायदेमंद है। गन्ने के जूस आपको पेट संबंधी संक्रमण से भी बचाता है। इसके अलावा गन्ने के जूस से आपकी कब्ज की समस्या भी दूर होती है। गन्ने में कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाये जाते हैं। इससे हड्डियों और दांतों की समस्या भी कम होती है। गन्ने का जूस पीने से आप गर्मी में होने वाली लू यानि हीट स्ट्रोक से भी बचा जा सकता है। सीधे तौर पर कहा जाए तो गन्ने का रस में सेहत के लिए कई फायदे छुपे हैं। गन्ने का रस कई गुणों से भरपूर है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप कभी भी, कहीं से भी गन्ने का जूस लें। गन्ने के जूस के फायदे और नुकसान जूस की उपलब्धता वाली जगह के हिसाब से तय होते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि आपको गन्ने के जूस को लेने या पीने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
खुले में बिकने वाला जूस
आप गन्ने के जूस के शौकीन हैं इसलिए हर संभव जगह से गन्ने का जूस पी लेते हैं। आपको बता दें कि यह अच्छी बात नहीं है। गन्ने के जूस की सेहत उसके दुकान से भी तय होती है। यदि आप गंदी दुकानों से गन्ने का जूस पीयेंगे तो यह उतना लाभकर नहीं होगा जितना गन्ने का जूस होता है। गन्ने का जूस पीते वक्त दुकान की साफ सफाई का ध्यान रखें। कहीं दुकान में बहुत ज्यादा मक्खियां तो नहीं भिन भिना रहीं। अगर ऐसा है तो ऐसे दुकानों से गन्ने का जूस पीने से बचें।
खराब गन्ने
यदि संभव है तो गन्ने का जूस बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले गन्नों पर अवश्य नजर दौड़ाएं। कहीं आपको सड़े गन्ने का रस तो नहीं दिया जा रहा। असल में सड़े गन्ने या खराब गन्ने का रस हमारे स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। इसके अलावा यह पेट में बीमारी पैदा कर सकता है। यही नहीं यदि कीड़े लगे गन्ने के रस का आपने सेवन कर लिया तो आपको उल्टी जैसी अन्य समस्या हो सकती है। अतः गन्ने का जूस पीते वक्त गन्ने का ख्याल का ख्याल अवश्य रखें।
फ्रीज किया हुआ जूस
गन्ने का जूस उसी स्थिति में लाभकर होता है जब आप उसे ताजा पीयें। यदि आपको कोई फ्रीज किया हुआ जूस दे तो उसे न पीयें। फ्रीज किये हुए गन्ने के जूस में किसी प्रकार के फायदे नहीं होते वरन इसके फायदे नुकसान में बदल सकते हैं। बासी गन्ने के जूस में मक्खियां पनप सकती हैं। इतना ही नहीं उसमें कीड़े आदि भी लग सकते हैं। अतः ऐसे दुकान से गन्ने का जूस कतई न पीयें जहां आपको ताजा-ताजा गन्ने का जूस न बनाकर दें। उन दुकानों को तरजीह दें जहां आपके सामने ताजा गन्नों से रस बनाकर दिया जाता है।
गन्ने के रस के साथ मिश्रण
गन्ने का जूस पीते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि आपके गन्ने के जूस में कोई अन्य चीज की मिलावट न हो। यूं तो गन्ने के साथ कोई फल या सब्जी नहीं मिलायी जाती। लेकिन कई दुकानदार गन्ने के रस के साथ अधिक मात्रा में पानी की मिलावट करते हैं। हालांकि पानी का मिश्रण घातक नहीं है। लेकिन ऐसा करने से गन्ने के फायदों में कमी आती है। इसके अलावा एक गिलास गन्ने का रस पीने से जितना लाभ हो सकता है, उतना नहीं मिलता। यही नहीं स्वाद में भी भिन्नता देखने को मिल जाती है।
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अधिकतम दो गिलास गन्ने का जूस
यूं तो गन्ने का जूस इतना स्वादिष्ट होता है कि कई-कई गिलास एक दिन में आसानी से पीया जा सकता है। देखने में इसके कोई नुकसान भी नहीं लगते। लेकिन यह सरासर गलत है। विशेषज्ञों के मुताबिक एक दिन में दो गिलास से ज्यादा गन्ने का रस न पीयें। दरअसल स्वस्थ आदमी काेे महज दो गिलास गन्ने के रस की ही जरूरत होती है। यदि आपको कोई बीमारी है, खासकर जांडिस तो फिर इसका मात्रा बढ़ाई जा सकती है। लेकिन ज्यादा गन्ने का रस शरीर को फायदा नहीं वरन नुकसान पहुंचाता है।
संक्रमण का खतरा
यदि रास्तों से गन्ने का जूस पीया जाए तो इससे संक्रमण होने का खतरा भी होता है। रास्तों में अकसर दुकानें साफ नहीं होती और न ही उसमें गन्नों की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। अतः रास्तों में खड़ी किसी भी दुकान से गन्ने का जूस न पीयें। इसके अलावा रास्तों में खुली दुकानों में धूल मिट्टी भी काफी ज्यादा होती है और न ही इन दुकानाेें में साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसी दुकानों से गन्ने का रस पीने से पेट में दर्द आदि समस्या भी हो सकती है।
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मशीनाेें में इस्तेमाल होने वाला तेल
गन्ने का रस निकालने के लिए ज्यादातर दुकानें मशीन का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन आपको शायद नहीं पता कि मशीनों को चलाने का एक खास किस्म के तेल का उपयोग होता है। ये तेल यदि पेट में चला जाए तो इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर साफ देखने को मिल सकता है। यही कारण है कि गन्ने का रस कम पीयें। ऐसे दुकान से ही गन्ने का रस पीयें जहां मशीन में इस्तेमाल होने वाले तेल का कम उपयोग हो। यह तेल किसी भी तरह से पेट तक न पहुंच सके, इस बात का भी ख्याल रखें।
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