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बच्चों के कान कब, कहां और कैसे छिदवाने चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

कम उम्र में ही पेरेंट्स बच्चों के कान छिदवा देते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कब, कहां और कैसे बच्चे के कान छिदवाने चाहिए?
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बच्चों के कान कब, कहां और कैसे छिदवाने चाहिए? एक्सपर्ट से जानें


Baby Ear Piercing: भारतीय परंपरा में कान छिदवाना (Ear Piercing) एक रिवाज है। कई स्थानों पर तो बड़ी ही धूम-धाम से बच्चों के कान छिदवाने की रस्में होती है, जिसें कन छेदन संस्कार कहा जाता है। आमतौर पर लोग 3 साल की उम्र तक अपने बच्चों के कान छिदवा देते हैं। जबकि कुछ स्थानों पर माता-पिता अपने अनुसार बच्चों के कान छिदवाते हैं। कान में छेद करने की परंपरा एक दर्द भरी प्रक्रिया है। ऐसा माना जाता है कि कान छिदवाने से दिमाग के दोनों हिस्‍सों को एक्टिव होने में मदद मिलती है, जो ब्रेन के विकास को तेज करता है। लेकिन कई पेरेंट्स इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि बच्चों के कान किस उम्र में, कब, कहां और कैसे छिदवाएं? आइए किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया से जानते हैं कब, कहां और कैसे छिदवाए कान? (When, Where And How To Get Ears Pierced)

बच्चों के कान कब छिदवाए? - What is The Best Time To Pierce Baby Ears in Hindi?

हर पेरेंट्स और उनके रीतिरिवाजों के अनुसार कान छिदवाने की उम्र अलग-अलग होती है। कुछ माता-पिता कुछ महीनों के बच्चों के कान छिदवा देते हैं, जबकि कई पेरेंट्स बच्चे के बड़े होने के बाद कान छिदवाते हैं। लेकिन डॉ. पवन भारत मंडाविया के अनुसार जब आपका बच्चा 4 महीने का हो जाए तब उसका कान छिदवाना चाहिए। इसके साथ ही इस बात को भी सुनिश्ति कर ले कि कान छिदवाने से पहले बच्चे को DTP वैक्सीन लग गई हो। 

बच्चे का कान कहां छिदवाए? - Where To Get Baby Ears Pierced in Hindi?

कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों के कान किसी भी लॉकल जगहों पर छिदवा देते हैं, जिससे उनके कान में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप हमेशा किसी स्किन स्पेशलिस्ट, एक्सपर्ट पियर्सिंग स्टूडियो या सुनार के पास जाकर ही अपने बच्चों के कान छिदवाएं। इन स्थानों पर सुरक्षित और सही तकनीक के साथ बच्चों के कानों में छेद किए जाते हैं, जिसके कारण उन्हें कानों में कम दर्द होता है और इंफेक्शन होने का जोखिम भी कम होता है। 

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बच्चे के कान कैसे छिदवाए? What is The Safest Method of Ear Piercing in Hindi?

बच्चों के कान छिदवाने के लिए आप ट्रेडिशनल और गनशॉट दोनों तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुई से कानों में छेद करने की तकनीक गनशॉट की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और सही मानी जाती है। जबकि कान में छेद करने के लिए गनशॉट का उपयोग सुई का उपयोग करने की तुलना में तेज है।

बच्चों का कान छिदवाते समय इन बातों का रखें ध्यान- Keep These Things in Mind While Piercing Child Ears in Hindi

  • बच्चों को नहलाने के बाद ही उनका कान छिदवाएं। 
  • शिशुओं के कान छिदवाने से पहले उन्हें दूध जरूर पिलाएं। 
  • कान छिदवाने के 2 से 3 दिन तक उन्हें नहलाने से बचें, आप स्पांज बाथ दे सकते हैं। 
  • कान छिदवाने के बाद सोने या चंदी की बालियां ही पहनाएं। 

Image Credit- Freepik 

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