How Can I Improve My Baby's Speech: अपने बच्चे को जल्द से जल्द बोलता देखना हर मां-बाप का सपना होता है। लेकिन कई बार बच्चे को जल्दी बोलना सिखाने की उम्मीद में पेरेंट्स गलती कर देते हैं। इसके कारण बच्चे का स्पीच डेवलपमेंट धीमा हो जाता है। जबकि इस दौरान हर छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखना जरूरी होता है। क्योंकि बच्चा जो देखता है वहीं आदतें वो अपना रहा होता है। बच्चे के स्पीच डेवलपमेंट के दौरान मां-बाप को कुछ गलतियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अन्यथा यह भी बच्चे के स्पीच डेवलपमेंट में बाधा बन सकती हैं। इन गलतियों के बारे में हमें बताया गुरुग्राम के पारस हेल्थ के बाल रोग एवं नवजात विज्ञान एचओडी डॉ. मनीष मनन ने।
बच्चे के स्पीच डेवलपमेंट के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? Keep These Things In Mind While Speech Development of Baby
स्पीच थेरेपी न करें- Avoid Speech Therapy
कई पेरेंट्स बच्चे को जल्द बोलना सिखाने के लिए स्पीच थेरेपी दिलवाते हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना स्पीच थेरेपी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि बच्चे के देरी से बोलने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। जिनका पता बाद में चलने से बच्चे को मुश्किल आ सकती है। एक सामान्य गलती अपने बच्चे के डेवलपमेंट की तुलना दूसरों से करना है। क्योंकि हर बच्चे का डेवलपमेंट प्रोसेस अलग होता है। ऐसे में फालतू का तनाव से पेरेंट्स और बच्चा दोनों को परेशानी हो सकती है।
बच्चे से बातचीत न करना- Not Talking To The Child
यह पेरेंट्स की सबसे बड़ी गलती होती है। अगर पेरेंट्स बच्चे से बात नहीं करते, तो इससे बच्चे के विकास में बाधा आ सकती है। बच्चे भाषा सुनकर सीखते हैं, इसलिए उन्हें बातचीत में शामिल करना बहुत जरूरी है। बच्चों को नियमित रूप से पढ़ना सिखाना, डेली टास्क सिखाना, उन्हें शब्दों को समझने और इस्तेमाल करने में मदद करना बहुत जरूरी है।
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जरूरत से ज्यादा सुधार करना- Overcorrect
बच्चे की बोली में जरूरत से ज्यादा सुधार करने से भी बचना चाहिए। हालांकि उन्हें सही तरीके से बोलना सिखाना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर आप हर चीज में रोका-टोकी करते रहेंगे, तो इससे बच्चे को परेशानी हो सकती है। इसके बजाय, पेरेंट्स को बच्चे की कही हर बात को सही ढंग से दोहराना चाहिए और उसके प्रयासों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
स्क्रीन टाइम- Over Screen Time
बच्चे के स्पीच डेवलपमेंट में स्क्रीन टाइम कंट्रोल करना भी बहुत जरूरी है। इस दौरान ज्ञान से जुड़ी चीजें दिखाना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन स्क्रीन टाइम की बहुत ज्यादा आदत बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान कर सकती है।
अपनी उम्र के बच्चों के साथ रहना- Same Age Group
ध्यान रखें कि बच्चा अपनी उम्र के बच्चों के साथ समय जरूर बिताएं। क्योंकि अन्य बच्चों को देखकर वो भी आगे बढ़ना सीखेगा। इससे बच्चे में शब्दों को पकड़ने, समझने की ताकत अपने आप बढ़ने लगेगी।
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प्लेग्रुप में भेजना शुरू करें- Sending To Playgroup
बच्चे को नौकरानी या दादा-दादी के पास घर पर छोड़ने के बजाय प्लेग्रुप में भेजन अच्छा विकल्प है। इससे बच्चे को नए शब्द सीखने और लोगों से घुलने-मिलने में भी मदद मिलेगी।
अगर बच्चे की उम्र 3 वर्ष से अधिक हो गई है। लेकिन बच्चा बोलना नहीं सीखा है, तो आपको बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। क्योंकि ये शरीर में किसी कमी की वजह भी हो सकता है।