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ये 5 बीमारियां बन सकती हैं छोटे स्तनों का कारण, डॉक्टर से जानें

Causes Of Small Breasts: महिलाओं में स्तनों का साइज कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अनुवांशिक, हार्मोनल और पोषण संबंधी कारण शामिल होते हैं। 
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ये 5 बीमारियां बन सकती हैं छोटे स्तनों का कारण, डॉक्टर से जानें


महिलाओं की पर्सनालिटी में स्तन अहम भूमिका निभाते हैं, स्तनों का उभार महिलाओं की शारीरिक बनावट को आकर्षक बनाता है। लेकिन कुछ महिलाओं के स्तनों का साइज छोटा होता है, जिसके कारण महिलाओं के आत्मविश्वास में भी कमी आती है। बता दें कि महिलाओं के स्तन उनके शारीरिक और हार्मोनल स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा होते हैं। स्तनों का आकार हर महिला में अलग-अलग हो सकता है और यह अनुवांशिक, हार्मोनल और अन्य स्वास्थ्य कारकों पर निर्भर करता है। महिलाओं में स्तनों का आकार छोटा हो सकता है और इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिवा अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की प्रसूति एवं स्त्री रोग की विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर शिखा गुप्ता (Dr shikha gupta, Laparoscopic surgeon and IVF specialist, DIVA hospital and IVF centre) से बात की है-

स्तन का आकार छोटा होने के कारण

डॉक्टर शिखा गुप्ता बताती हैं कि ज्यादातर महिलाओं के छोटे स्तन अनुवांशिक होते हैं, इसके अलावा करीब 10 प्रतिशत महिलाओं में इन 5 कारणों से भी स्तन का साइज कम हो सकता है। हालांकि, वर्तमान समय में कई ऐसी तकनीकें आ चुकी हैं, जिनके माध्यम से स्तनों के साइज को बढ़ाया जा सकता है। 

1. टर्नर सिंड्रोम - Turner Syndrome

टर्नर सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है, इस स्थिति के कारण शारीरिक और यौन विकास में समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें स्तनों का आकार सामान्य से छोटा होना एक आम लक्षण है। टर्नर सिंड्रोम वाली महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस की शिकायत होती है, जिसके कारण स्तनों का पूरा विकास नहीं हो पाता। 

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2. हाइपोगोनाडिज्म - Hypogonadism

हाइपोगोनाडिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिसका सीधा असर स्तनों के विकास पर पड़ता है, जिससे स्तनों का आकार छोटा रह सकता है। हाइपोगोनाडिज्म दो प्रकार का होता है, प्राथमिक हाइपोगोनाडिज्म में ओवरी में हार्मोन का उत्पादन नहीं हो पाता, जबकि द्वितीयक हाइपोगोनाडिज्म (Secondary hypogonadism) में मस्तिष्क से संबंधित हार्मोनल समस्याएं होती हैं। हाइपोगोनाडिज्म में स्तनों का विकास प्रभावित होता है।

3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम - PCOS

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस हार्मोन से जुड़ी समस्या है। इस स्थिति में ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं और हार्मोनल इंबैलेंस हो जाता है। PCOS के कारण महिलाओं में एण्ड्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जिससे स्तनों का विकास धीमा हो सकता है। इसके अलावा, PCOS से पीड़ित महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना और चेहरे पर अनचाहे बाल आने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

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4. ईटिंग डिसऑर्डर - Eating Disorders

खराब खानपान और ईटिंग डिसऑर्डर भी स्तनों के आकार को प्रभावित कर सकते हैं। ईटिंग डिसऑर्डर में शरीर में पोषण की कमी हो जाती है, जिससे शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है। ईटिंग डिसऑर्डर के कारण महिलाओं का वजन कम होने लगता है और शरीर में फैट भी घटने लगता है, जिसके कारण स्तनों का आकार छोटा हो सकता है। 

eating

5. हार्मोनल इंबैलेंस - Hormonal Imbalance

हार्मोनल इंबैलेंस महिलाओं के स्तन विकास को प्रभावित करता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे यौन हार्मोन स्तनों के विकास के लिए होते हैं और जब इन हार्मोनों में असंतुलन होता है, तो स्तनों का आकार छोटा हो सकता है। हार्मोनल इंबैलेंस के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, गलत खानपान और ज्यादा कैफीन का सेवन। हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या को इलाज के जरिए मैनेज किया जा सकता है।

निष्कर्ष

स्तनों का आकार छोटा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें टर्नर सिंड्रोम, हाइपोगोनाडिज्म, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और ईटिंग डिसऑर्डर शामिल है। इसके अलावा, अनुवांशिक कारक और लाइफस्टाइल भी स्तनों के आकार को प्रभावित कर सकते हैं। अगर किसी महिला को अपने स्तनों के विकास या आकार को लेकर चिंता है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

All Images Credit- Freepik

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