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क्या है थायरॉयडेक्टॉमी? डॉक्टर से जानें क्यों पड़ती है इसकी जरूरत

What is Thyroidectomy in Hindi: थायरॉयडेक्टॉमी एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड या ग्रंथि को काटकर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में इस पूरी ग्रंथि को अलग कर दिया जाता है।
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क्या है थायरॉयडेक्टॉमी? डॉक्टर से जानें क्यों पड़ती है इसकी जरूरत


What is Thyroidectomy in Hindi: आजकल खराब लाइफस्टाइल और अनियंत्रित जीवनशैली के चलते लोगों में थायरॉइड की समस्या बढ़ने लगी है। थायरॉइड होने पर थायरॉइड ग्रंथि कई बार जरूरत से ज्यादा कम या फिर बहुत ज्यादा हार्मोन्स बनाने लगती हैं। ऐसे में कई बार गले का आकार बढ़ने के साथ-साथ फैट भी जम सकता है। कई बार इस ग्रंथि को हटाने के लिए थायरॉयडेक्टॉमी का भी सहारा लिया जा सकता है। यह एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें थायरॉइ ग्लैंड को निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है।

इस प्रक्रिया में पूरे थायरॉइड ग्लैंड को काटकर निकाला जाता है। हालांकि, इस सर्जरी के कई नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में कई बार ब्लीडिंग होने के साथ-साथ शरीर में खून के थक्के भी जम सकते हैं। थायरॉयडेक्टॉमी कई प्रकार की होती है। आइये दिल्ली के अग्रवाल होम्योपैथी क्लीनिक के डॉ. पंकज अग्रवाल से जानते हैं थायरॉयडेक्टॉमी क्या होता है और इसकी जरूरत कब पड़ती है? (What is Thyroid Removal Surgery in Hindi) - 

थायरॉयडेक्टॉमी क्या होता है?

थायरॉयडेक्टॉमी एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड या ग्रंथि को काटकर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में इस पूरी ग्रंथि को अलग कर दिया जाता है। इस सर्जरी को एंडोक्रिनोलॉजिस्ट यानि थायरॉयड एक्सपर्ट द्वारा किया जाता है। आमतौर पर पहले थायरॉइड की जांच की जाती है, जिसके बाद ही इस बात का निर्णय लिया जाता है कि शरीर को थायरॉयडेक्टॉमी की जरूरत है या नहीं। बिना जरूरत के थायरॉयडेक्टॉमी नहीं की जाती है क्योंकि कई बार मरीज को इसके जोखिम कारकों का सामना भी करना पड़ सकता है। 

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कब पड़ती है थायरॉयडेक्टॉमी की जरूरत?

थायरॉयडेक्टॉमी की जरूरत आमतौर पर थायरॉइड ग्रंथि या ग्लैंड में ट्यमर होने पर पड़ती है। अगर मरीज को ट्यूमर या कैंसर है तो इस स्थिति में डॉक्टर थायरॉयडेक्टॉमी कराने की सलाह देते हैं। इस सर्जिकल प्रक्रिया को करके ट्यूमर और कैंसर वाले हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है, जिससे कैंसर ठीक हो जाता है। केवल यही नहीं, बल्कि हाइपरथायरॉइड्जम को ठीक करने के साथ-साथ कई बार गोइटर यानि थायरॉइड बढ़ने पर भी इस सर्जरी को कराने की सलाह दी जाती है। अगर आपको थायरॉइड से जुड़ी समस्या है तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें - थायरॉइड नोड्यूल्स क्या हैं? जानें इस समस्या के कारण और इलाज 

थायरॉयडेक्टॉमी कराने के जोखिम कारक

  1. थायरॉयडेक्टॉमी कराने के बाद मरीज को कई बार कुछ समस्याएं या स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
  2. इस सर्जरी को कराने के बाद कई बार गले में खराश होने के साथ-साथ गला बैठने की भी समस्या हो सकती है।
  3. ऐसे में कई बार आपको इंजरी भी हो सकती है।
  4. थायरॉयडेक्टॉमी कराने के बाद कुछ मामलों में रक्त स्राव होने के साथ-साथ ब्लड क्लॉटिंग भी हो सकती है।
  5. इस स्थिति में कई बार आपकी आवाज में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
  6. कई बार ऐसे में आपको शरीर में छोटे-मोटे बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। 

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