लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों को एक नया, लंबा और बेहतर जीवन प्राप्त होता है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत में लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट से गुज़रने वाले 15% मरीज विदेशी होते हैं। आज बेहतर सामाजिक जागरुकता के साथ, लगभग 85% लिवर डोनर जीवित होते हैं। मिडल ईस्ट, पाकिस्तान, श्री लंका, बांग्लादेश और म्यांमार आदि विदेशों के लोग भारतीय प्रक्रिया से आकर्षित होकर लिवर ट्रांसप्लांट के लिए भारत आ रहे हैं।
एक्सपर्ट की राय
नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट और जीआई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर व चेयरमैन, डॉक्टर विवेक विज ने बताया कि, “जीवित या मृतक डोनर वह है जो अपना लिवर मरीज को दान करता है। लिवर ट्रांसप्लांट में प्रगति के साथ, आज भारत में मृतक डोनर के अंगों को मशीन में संरक्षित किया जा सकता है। दरअसल, मृतक डोनर के अंगो को कोल्ड स्टोरेज में सीमित समय के लिए ही रखा जा सकता है और लिवर को डोनर के शरीर से निकालने के 12 घंटो के अंदर ही जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए। जबकि मशीन संरक्षित लिवर की बात करें तो पंप के जरिए खून का बहाव जारी रहता है, जिससे लिवर सामान्य स्थिति में रहकर लंबे समय तक पित्त का उत्पादन कर पाता है।”
लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट एक सुरक्षित प्रक्रिया
भारत में यह तकनीक एक लोकप्रिय प्रक्रिया बन गई है। इसका कारण यह है कि अब लिवर के केवल खराब हिस्से का ऑपरेशन करना पड़ता है। जिस वजह से भारत में लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट एक सुरक्षित प्रक्रिया बन गई है। लिवर एक अनोखा अंग होता है जो कुछ महीनों या एक साल के अंदर अपने सामान्य आकार में बढ़ जाता है। एडवांस लिवर डोनर सर्जरी में पुरानी लिवर डोनर सर्जरी की तुलना में कई फायदें हैं, जैसे कि कम दर्द, तेज रिकवरी और न के बराबर निशान आदि। लिवर ट्रांसप्लांट की मदद से हजारों-लाखों मरीजों को एक बेहतर जीवन प्राप्त हुआ है।
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लाइव डोनर कौन बन सकता है
डॉक्टर विवेक ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में लिवर के केवल खराब भाग को प्रत्यारोपित किया जाता है। सर्जरी के बाद डोनर का शेष लिवर दो महीनों के अंदर फिर से बढ़ने लगता है और पुन: सामान्य लिवर का आकार ले लेता है। इसी प्रकार रिसीवर का प्रत्यारोपित लिवर भी अपने सामान्य आकार में बढ़कर, फिर से सही ढ़ंग से काम करने लगता है। परिवार का कोई सदस्य जिसकी उम्र 18-50 वर्ष हो, स्वस्थ हो और जिसमें कोई मेडिकल समस्या न हो तो वह लाइव डोनर बनकर लिवर दान कर सकता है। भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया समय के साथ अधिक सुरक्षित व सफल बनती जा रही है। इसकी मुख्य वजह बढ़ती जागरुकता है, जहां लोग स्वेच्छा से जीवित या मृतक डोनर का लिवर जरूरतमंद रोगियों को दान कर रहे हैं।”
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लेनी पड़ती है मंजूरी
लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया संबंधित विशेषज्ञों की मंजूरी के बाद ही की जा सकती है। सभी दान राज्य द्वारा अधिकृत प्राधिकरण समिति की मंजूरी के बाद ही किए जा सकते हैं। यदि कोई विदेशी अंगदान करना चाहता है या ट्रांसप्लांट करवाना चाहता है तो उसे पहले स्टेट क्लियरेंस सर्टिफिकेट के साथ संबंधित एंबेसी से मंजूरी लेनी पड़ती है। सर्जरी से पहले डोनर रिस्क और ऑपरेशन की सफलता के बारे में साफ-साफ बात की जाती है। हालांकि, एलडीएलटी से लाभ जारी रखने के लिए जीवित डोनर को हर हाल में बचाना आवश्यक होता है। ये सभी चीजें लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित बनाती हैं।
( ये लेख नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट और जीआई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर व चेयरमैन, डॉक्टर विवेक विज से बातचीत पर आधारित है।)
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