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पादाभ्यंग थेरेपी क्या है? जानें इसके फायदे, विधि और सावधानियां

Padabhyanga Therapy: पादाभ्यंग थेरेपी में गर्म तेल या घी से पैरों की मालिश की जाती है। इससे पैरों के दर्द और थकान की समस्या दूर होती है।
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पादाभ्यंग थेरेपी क्या है? जानें इसके फायदे, विधि और सावधानियां


Padabhyanga Therapy In Hindi: आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग दिखा रहा है। आधुनिक विश्व में भी आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन जीने का एक सर्वोत्तम तरीका माना गया है। इसमें किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए प्राकृतिक तरीकों को आजमाया जाता है। आयुर्वेद में बीमारियों के उपचार के लिए अलग-अलग जड़ी-बूटियों, दवाइयों, चूर्ण, मसाज और थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। पादाभ्यंग थेरेपी का आयुर्वेद में विशेष महत्व है। इस थेरेपी में पैरों की तेल से मालिश की जाती है। इससे पूरे शरीर को पोषण मिलता है और मानसिक स्वास्थ्य भी सही बना रहता है। इससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और शरीर रिलैक्स होता है। आयुर्वेद में इस थेरेपी को तनाव कम करने, पैरों की समस्याओं को दूर करने और त्वचा पर निखार लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। नियमित रूप से पादाभ्यंग करने से कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। ओनलीमायहेल्थ की 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज के इस आर्टिकल में हम आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ रितु चड्ढा (BAMS) से जानेंगे पादाभ्यंग थेरेपी की विधि, फायदों और सावधानियों के बारे में -

पादाभ्यंग थेरेपी क्या है?- What Is Padabhyanga Therapy In Hindi

पादाभ्यंग संस्कृत के दो शब्दों पाद और अभ्यंग से मिलकर बना है। आयुर्वेद में अभ्यंग का अर्थ गर्म तेल से मालिश करना और पाद का अर्थ पैर होता है। इस तरह पादाभ्यंग का अर्थ गर्म तेल से पैरों की मालिश करना है। आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार, पैर शरीर के महत्वपूर्ण अंग होते हैं। क्योंकि पैर के तलवों में शरीर की सभी नसों का एंडिंग प्वाइंट होता है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में लगभग 107 मर्म होते हैं। प्रत्येक पैर में 5 मर्म स्थिति होते हैं, जिनमें कई तंत्रिका अंत भी होते हैं। पादाभ्यंग की मदद से पैरों में स्थित मर्मों से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है, जिससे हमारा शरीर पुनर्जीवित हो जाता है। नियमित रूप से पैरों की मालिश करने से तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है, जिसके परिणामस्वरूप आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।

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पादाभ्यंग करने की विधि- Padabhyanga Therapy Steps In Hindi

  • पादाभ्यंग थेरेपी को किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन इसे रात के सोने से पहले करना सेहत के लिए काफी लाभकारी माना जाता है।
  • इसके लिए आप सरसों, तिल, नारियल या आयुर्वेदिक तेल को गर्म कर लें। आप चाहें तो गर्म घी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
  • अब तेल या घी को तलवों, एड़ियों, टखनों के जोड़ों और पूरे पैरों में लगाएं।
  • इसके बाद टखनों के जोड़ों की सर्कुलर मोशन में मालिश करें।
  • फिर एड़ियों के ऊपर और नीचे अच्छी तरह से मालिश करें।
  • अब दोनों पैर के अंगूठों और उंगलियों को ऊपर की ओर खींचें और मसाज करें।
  • अब दोनों हाथों से दोनों तलवों की मालिश करें। अंगूठों का इस्तेमाल करते हुए तलवों पर जोर देते हुए अच्छी तरह मालिश करें। इससे पैरों और तलवों के दर्द से राहत मिलेगी।
  • अब बंद मुट्ठी से पैरों पर दबाव डालते हुए मालिश करें।
  • अंत में अपने पूरे पैर की मालिश करें।
  • इस प्रक्रिया को दूसरे पैर पर भी दोहराएं।

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पादाभ्यंग के फायदे- Benefits Of Padabhyanga Therapy In Hindi

  • पादाभ्यंग मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • नियमित रूप से पादाभ्यंग करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से होता है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग सुचारू रूप से काम कर पाते हैं।
  • पादाभ्यंग आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
  • रात को सोने से पहले पादाभ्यंग करने से कमजोरी और थकान दूर होती हैं।
  • यह अशांत मन को शांत करता है। साथ ही, नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।
  • पादाभ्यंग के नियमित अभ्यास से पैरों में दर्द और पैरों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • पादाभ्यंग मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
  • यह फटी एड़ियों की समस्या को दूर करता है।
  • पादाभ्यंग शरीर में वात दोष को संतुलित करने में मदद करता है।
  • इसके नियमित अभ्यास से त्वचा ग्लोइंग बनती है।
  • पादाभ्यंग जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों की अकड़न को दूर करता है।

पादाभ्यंग करते हुए बरतें ये सावधानियां- Padabhyanga Therapy Precautions In Hindi

  • पादाभ्यंग या पैरों को मालिश करने के लिए सबसे सही समय रात को सोने से पहले होता है। इसलिए रात्रि में हल्का भोजन ही करें।
  • पैरों में सूजन, सर्दी-बुखार, पेट से जुड़ी बीमारी और त्वचा संबंधी समस्याओं में पादाभ्यंग करने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • अगर आपके पैरों को उंगलियों, एड़ियों, टखनों या पैर के किसी अन्य हिस्से पर कोई घाव या चोट है, तो एक्सपर्ट को सलाह के बाद ही इस थेरेपी का अभ्यास करें।
  • पादाभ्यंग करते समय अगर कोई दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो मालिश न करें।
  • यदि किसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं, तो हेल्थ एक्सपर्ट से परामर्श जरूर लें।

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पादाभ्यंग थेरेपी शरीर के लिए कई तरीकों से फायदेमंद हो सकती है। लेकिन अगर आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो पादाभ्यंग करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से जरूर परामर्श लें। आयुर्वेद के महत्व को जानने के लिए हमारे 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज के साथ जुड़े रहें। उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ। इस आर्टिकल को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ जरूर शेयर करें।

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