
What Is Narcolepsy Explained With Real Case Study In Hindi: 32 वर्षीय आई प्रोफेशनल आलोक शर्मा लंबे समय तक अपनी नींद आने की बीमारी से परेशान रहे थे। शुरुआती दिनों में उन्हें लगा कि शायद थकान या स्ट्रेस के कारण उन्हें बहुत ज्यादा नींद आती थी। उन्हें लगने लगा था उन्हें अचानक स्लीप अटैक्स आते थे और अक्सर कमजोरी महसूस करते थे। ये सब बातें उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत ज्यादा प्रभावित कर चुकी थी। यहां तक करियर भी दाव पर लग चुका था। जब वे अपनी स्थिति को संभाल नहीं पाए थे, तब वे एक्सपर्ट के पास मदद के लिए पहुंचे थे।
यह केस स्टडी हमारे साथ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जिनके पास आलोक का केस आया था। आलोक की बहुत ज्यादा सोने की प्रवृत्ति को देखते हुए उन्हें अंदाजा हुआ कि आलोक नार्कोलेप्सी का शिकार है।
ओनलीमायहेल्थ ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है, जिसके तहत मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने की कोशिश की जाती है। इस सीरीज के जरिए हम अलग-अलग किस्म की मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों के बारे में तमाम जानकारियां पाठकों तक पहुंचाते हैं। इस सीरीज में हम मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको आलोक की केस स्टडी की मदद से ‘नार्कोलेप्सी’ के बारे में बताएंगे।
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क्या है नार्कोलेप्सी- What Is Narcolepsy

बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड एचओडी डॉ. संदीप नायर के शब्दों में नार्कोलेप्सी एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इस बीमारी में सोने और जागने का साइकिल को कंट्रोल करने की मस्तिष्ट की क्षमता प्रभावित हो जाती है। इस बीमारी के होने पर मरीज को किसी भी वक्त नींद आ सकती है, जैसे वह चलते-चलते कहीं सो सकता है, गाड़ी चलाते, गाना गाते या किसी से बात करते वक्त भी वह अचानक सो जाता है। नार्कोलेप्स को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है। टाइप 1 तब होता है, जब मांसपेशियों पर नियंत्रण का अप्रत्याशित और अस्थायी नुकसान होता है। इसे हम कैटाप्लेक्सी के नाम से जानते हैं। जब कैटाप्लेक्सी नहीं होती है, तो इसे नार्कोलेप्सी टाइप 2 कहा जाता है।
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नार्कोलेप्सी के लक्षण क्या हैं?- Symptoms Of Narcolepsy

जैसा कि डॉ. प्रेरणा कोहली बताया कि आलोक के मामले में देखा गया है कि जब-तब सो जाता था। उसे जगने में दिक्कत आती थी, इस कारण उसकी प्रोफेशनल-पर्सनल लाइफ प्रभावित होने लगी थी। इसके अन्य लक्षणों की बात करें, तो वे इस प्रकार हैं-
- दिन के समय में सोने की लगातार और तीव्र इच्छा होना।
- अचानक नींद का दौरा आना। अचानक नींद आना और उसे कंट्रोन न कर पाना। आमतौर पर कोई जरूरी काम करते हुए नींद आना।
- कैटाप्लेक्सी की वजह से हंसी या एक्साइटमें जैसे इमोशंस की वजह से अचानक मांसपेशियों में कमजोरी महसूस करना और उस पर कंट्रोल खो देना।
- सोते या जागते समय हिलने-डुलने या बोलने में मुश्किल होना।
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नार्कोलेप्सी का कारण- Causes Of Narcolepsy

डॉ. संदीप नायर के अनुसार, "नार्कोलेप्सी क्यों होता है, इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह ब्रेन में जागने को जागने को कंट्रोल करने वाले केमिकल हाइपोक्रेटिन की कमी के कारण हो सकता है। नार्कोलेप्सी अक्सर हार्मोनल परिवर्तन, किसी बड़ी दुर्घटना, स्ट्रेस, नींद के पैटर्न में अचानक बदलाव या किसी संक्रमण की वजह से यह बीमारी हो सकती है।"
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नार्कोलेप्सी का इलाज- Treatment Of Narcolepsy
'आलोक के मामले में डॉ. प्रेरणा कोहली ने उन्हें इमोशनल सपोर्ट दिया, नार्कोलेप्सी के संबंध में साइकोएजुकेशन दी और समय-समय पर उनकी थेरेपी सेशंस भी लिए। यहां तक कि लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव भी किए गए और स्पेशलिस्ट की मदद से दवाई द्वारा ट्रीटमेंट भी किया गया।' हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि नार्कोलेप्सी का कोई सटीक इलाज नहीं है। इसके बावजदू, कुछ बातों को ध्यान में रखकर इसका ट्रीटमेंट संभव है, जैसे-
- लक्षणों को मैनेज और लाइफ को मोडिफाइ कर नार्कोलेप्सी का ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
- दिन के समय नींद से निपटने के लिए एक्सपर्ट्स दवाई दे सकते हैं ताकि मरीज रात के समय अच्छी नींद ले सके।
- लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव कर, जैसे दिन के समय पावर नैप लेने की सलाह दी जाती है और स्लीपिंग पैटर्न में सुधार कर नार्कोलेप्सी से रिकवरी संभव है।
- नार्कोलेप्सी से ग्रस्त लोगों को अपने परिवार का इमोशनल सपोर्ट और रोजमर्रा के कामकाज में उनकी मदद की जरूर होती है।
नार्कोलेप्सी से पीड़ित किसी व्यक्ति की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Narcolepsy
वैसे तो सही ट्रीटमेंट की मदद से मरीजों में सुधार की संभवनाए बढ़ जाती हैं। लेकिन कुछ सलाह देते हुए एचओडी डॉ. संदीप नायर कहते हैं-
- अगर आपके घर में कोई नार्कोलेप्सी का शिकार है, तो सबसे पहले खुद को इस बीमरी के बारे में एजुकेट करें।
- मरीज की हर काम में मदद करें। उन्हें रोजाना रात को 7-8 घंटे की नींद लेने के मोटिवेट करें।
- दिन के समय में आप उन्हें पॉवर नैप लेने के लिए कहें।
- घर के आसपास का माहौल सुरक्षित रखें, क्योंकि नार्कोलेप्सी का मरीज कहीं भी और कभी-भी सो सकता है।
- मरीज को भावनात्मक सपोर्ट देना न भूलें।
अलोक की तरह अगर आपके घर में भी कोई नार्कोलेप्सी का शिकार है, तो आप उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘नार्कोलेप्सी’ से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में 'Narcolepsy' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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