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पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है और क्यों होता है? 29 वर्षीय सान्या शर्मा की कहानी से समझें इस बीमारी को

पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने पर मरीज डर, चिंता और अवसाद से घिर जाता है। कभी-कभी उसे लगता है कि वह अच्छी मां नहीं है, इसलिए अपराधबोध से घिरी रहती है। 
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है और क्यों होता है? 29 वर्षीय सान्या शर्मा की कहानी से समझें इस बीमारी को

“इसी साल फरवरी 2023 की बात है। मेरे पास एक बुजुर्ग महिला अपनी 29 वर्षीय बहू सान्या शर्मा को लेकर आई थी। तीन महीने पहले ही उसने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था। लेकिन, वह अपनी बेटी के साथ बॉन्ड शेयर नहीं कर पा रही थी। उसकी सास ने मुझसे कहा कि उसकी बहू जरा भी खुश नहीं थी। बच्चे के प्रति उसका बिहेवियर बहुत अलग था। वह कभी भी अचानक ही रो देती थी, तो कभी लोगों को आसपास देखभर झुंझला उठती थी। स्नेहा की सास ने उसकी स्थिति को आगे बताया कि वह रात-रात भर सोती नहीं थी और उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई कि पहली बार मां बनने के बावजूद उसके अंदर बच्चे को लेकर कोई खुशी नहीं थी, वह उसके साथ किसी तरह इमोशंस शेयर नहीं कर पा रही थी। यही वो पल था, जब स्नेहा की सास को लगा कि उसे एक्सपर्ट की मदद की जरूरत है। इसके बाद उसे मेरे पास लाया गया।”

यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जो लगभग 6 महीनों से स्नेहा शर्मा का इलाज कर रही हैं। नई मां बनने के बाद जब स्नेहा में डिप्रेशन के लक्षण दिखने लगे, तो समझ आयसा कि वह पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार है। इस तरह की मानसिक समस्या डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं में देखी जाती है।

ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जुड़ी अहम जानकारी हमारे पाठकों तक पहुंचा रहे हैं। इसके तहत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज होते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको स्नेहा शर्मा की केस स्टडी की मदद से ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ के बारे में बताएंगे।

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help someone with postpartum depression

क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?- What Is Postpartum Depression

पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गंभीर मूड डिसऑर्डर है, जो डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को हो सकती है। असल में, कई महिलाएं प्रेग्नेंसी की जर्नी और डिलीवरी के दर्द को अन्य महिलाओं के सहन नहीं कर पातीं। इसके बाद, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद जीवन में नया बदलाव के कारण महिला में चिंता, उदासी जैसी भावनाएं भर जाती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से पीड़ित माओं के लिए अपने बच्चे की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वे अपने बच्चे के साथ किसी तरह की भावना महसूस नहीं करती। इसके उलट, वह अपने साथ हो रहे बदलाव के कारण गुस्से और कुंठा से घिर जाती है। आपको बताते चलें कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज अलग-अलग स्थ्तियां होती हैं। हालांकि, बेबी ब्लूज होने पर भी महिलाओं को इसी तरह परेशानी और उदासी घेर लेती है। लेकिन, जल्द ही महिला इस स्थिति से निकलकर अपने बच्चे के साथ भावनात्मक रिश्ता बना लेती है और एक सामान्य मां की तरह उसकी केयर शुरू कर देती है। वहीं, पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने पर महिला के साथ यह स्थिति हफ्तों से लेकर कई महीनों तक भी रह सकता है।

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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण- Symptoms Of Postpartum Depression

Symptoms Of Postpartum Depression

अगर स्नेहा की बात करें, तो बेटी को जन्म देने के बाद ही उसके बिहेवियर में छोटे-छोटे बदलाव होने लगे थे। तीन महीने गुजरते तक यह नोटिस किया गया है कि वह परेशान रहने लगी थी, बात-बात पर रो देती थी और वह सोशल होने से बचने लगी थी। हालांकि, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण जरूरी नहीं है कि शुरुआती दिनों से ही नजर आने लगे। कई बार कुछ दिनरों या महीनों के बाद इसके लक्षण उभरने लगते हैं, जैसे-

  • बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन या गुस्सा होना।
  • अक्सर उदास रहना या बार-बार मूड स्विंग।
  • छोटी-छोटी बात पर रो देना।
  • बच्चे के साथ भावनात्मक रिश्ता महसूस न कर पाना।
  • परिवार और दोस्तों से दूरी बना लेना।
  • ठीक से भूख न लगना या फिर ओवर ईटिंग कर लेना।
  • अनिद्रा (नींद न आना) या हाइपरसोम्निया (बहुत अधिक सोना) होना।
  • अक्सर थकान महसूस करना  और ऊर्जा की कमी होना।
  • किसी भी काम में मनन लगना।
  • मन में यह ख्याल आना कि वह एक अच्छी मां नहीं है और इस वजह से अंदर ही अंदर कुंठा से भर जाना।
  • अच्छी मां न होने के कारण अक्सर अपराधबोध से भरे रहना।
  • सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाना और किसी भी तरह के काम में फोकस न कर पाना।
  • पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने के कारण खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना या फिर अपने बच्चे को हानि पहुंचाना। 

पोस्पार्टम डिप्रेशन का कारण- Causes Of Postpartum Depression

Causes Of Postpartum Depression

हालांकि, पोस्पार्टम डिप्रेशन के सटीक कारणों का अब तक पूरी तरह पता नहीं चल सका है। इसी तरह, स्नेहा को यह समस्या क्यों हुई है, यह कहा नहीं जा सकता। हालांकि, यह कहा जा सकता है कि गर्भावस्था की जर्नी, डिलीवरी के दौरान हुए दर्द और इसके बाद बच्चे के कारण होने वाली समस्याओं के साथ सामंजस्य न बैठा पाने के कारण स्नेहा पोस्पार्टम डिप्रेशन तक पहुंच गई। इसके अन्य कारणों की बात करें-

  • हार्मोनल परिवर्तनः बच्चे के जन्म के बाद, एक महिला के शरीर में हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) में तेजी से गिरावट आती है, जिससे मेंटल हेल्थ में भी बदलाव होते हैं। इस वजह से कई बार मूड स्विंग ट्रिगर हो सकता है। इसके अलावा, थायराइड का स्तर भी गिर सकता है, जिससे थकान और डिप्रेशन होता है।
  • भावनात्मक कारकः जब एक नवजात शिशु का जन्म होता है, तो मां की जिम्मेदारियां दुगनी हो जाती हैं। उन्हें न सिर्फ घर की रोजमर्रा के कामकाज करने होते हैं, वहीं उन पर शिशु की देखभाल और उसके खानपान से जुड़ी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। इन सब दायित्वों के कारण महिला की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है, उसके नींद का पैटर्न प्रभावित होता है। इन्हीं सब कारणें से पोस्पार्टम डिप्रेशन हो सकता है।
  • शारीरिक बदलावः डिलीवरी के बाद, महिलाओं की शारीरिक बनावट में भी परिवर्तन हो जाते हैं। अगर उसका वजन बढ़ जाए, तो वह अपनी बॉडी को लेकर कॉन्फिडेंस खो देती है। इस वजह से भी उसका मूड स्विंग हो सकता है, जो कि एक समय बाद पोस्पार्टम डिप्रेशन में बदल सकता है।
  • आनुवंशिक कारणः जिन महिलाओं के परिवार में डिप्रेशन या किसी अन्य मेंटल हेल्थ की समस्या रही है, उन्हें भी इस तरह पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज- Treatment Of Postpartum Depression

Treatment Of Postpartum Depression

जब डॉ. प्रेरणा कोहली को पता चला कि स्नेहा को पोस्टपार्टम डिप्रेशन है, तो उन्होंने उसकी जांच बहुत बारीकी से की और छह महीनों तक उसका इलाज किया गया। इस दौरान उसे साइकोथेरेपी दी गई, जिसमें उसमें नजर आ रहे लक्षणों को कम करने की कोशिश की गई। इसके बाद फैमिली थेरेपी दी गई ताकि परिवार भी उसकी स्थिति को समझ सके और उसे जरूरत के अनुसार भावनात्मक सपोर्ट दे सके। यही नहीं, साइकिएट्रिस्ट की मदद से स्नेहा को दवाईयां भी गईं ताकि उसके लक्षणों को कम किया जा सके। हालांकि, ट्रीटमेंट के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया कि वह ब्रेस्टफीड करवाती है, इसलिए कोई ऐसी दवा नहीं दी गई, जो उसके बच्चे को भी प्रभावित कर सकती थी। 

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के अन्य इलाज इस प्रकार हैं-

  • एक्सपर्ट से मिलकर काउंसलिंग करवाएं। जरूरी हो तो बिहेवियरल थेरेपी दे सकते हैं, जिससे महिला के मन में उठ रहे विचारों और भावनाओं के पैटर्न के समझने की कोशिश की जाती है।
  • काउंसलिंग के दौरान समझने की कोशिश की जाती है कि आखिर वह उदासीन या निराशा से क्यों भर गई है।
  • काउंसलिंग की मदद से पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ग्रसित महिलाओं को समझाने की कोशिश की जाती है ताकि वह खुद पर अपने अपने बच्चे का ध्यान रख सके।
  • पोस्टपार्टम डिप्रेशन को मैनेज करने के लिए कई बार मरीज को दवा दी जाती है। कुछ मामलों में, हार्मोन थेरेपी की भी मदद ली जा सकती है।
  • मरीज को ऐसे लोगों से मिलने की सलाह दी जाती है, जो उन्हीं की तरह परेशानियों से गुज रही थीं।
  • मरीज को अपनी मदद करना भी सिखाया जाता है। इसके अलावा, उन्हें रेगुलर एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट और अच्छी नींद लेने के लिए भी कहा जाता है। इस तरह उनकी बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद की जा सकती है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के मरीजों की कैसे मदद करें - How To Help Someone With Postpartum Depression

प्रेरणा कोहली कहती हैं कि अगर स्नेहा की सास ने उसके बिहेवियर को देखकर यह महसूस न किया होता कि उसके साथ कोई समस्या चल रही है, तो शायद उसका कभी भी सही ट्रीटमेंट नहीं हो पाता। इसलिए, जरूरी है कि हर कोई पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर रही महिला का ध्यान रखें और उसे इमोशनल सपोर्ट दें। इसके अलावा, निम्न बातों पर गौर करें-

  • वे क्या कह रही है, क्या कहना चाहती हैं और उसके मन में क्या है, इस बात को समझने की और जानने की कोशिश करें। 
  • अगर वह आपसे अपने मन की बातें शेयर कर रही है, तो उसे ध्यानपूर्वक सुनें। उसकी बातों को अनदेखा न करें।
  • अगर आप उसकी मदद नहीं कर पा रहे हैं, तो एक्सपर्ट के पास ले जानें में हिचकिचाएं नहीं। एक्सपर्ट्स, हमेशा आम लोगों की तुलना में बेहतर सलाह दे सकते हैं और सही तरह से ट्रीटमेंट कर सकते हैं।
  • इस तरह के मामलों में घरवालों को अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए। मरीज के साथ, अच्छे दिनों की बात करें ताकि उसके मन में किसी तरह के नकारात्मक ख्याल न आएं।

स्नेहा की तरह अगर आपके घर में भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझ रहा है, तो आप सावधान हो जाएं। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘Postpartum Depression’ से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में 'Postpartum Depression' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

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