हम अक्सर अपने आसपास ऐसे लोगों से मिलते रहते हैं जो दूसरों के बीच आकर्षण का केंद्र बनने की कोशिश करते हैं। इन लोगों का स्वभाव अपनी और ध्यान खींचना होता है। यह लोग हर वक्त अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हैं। लेकिन यह एक प्रकार की मानसिक समस्या भी है। अगर ऐसे मनोवृति को सही समय पर रोका नहीं गया तो यह बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। आज इस लेख में हम आपको नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में बता रहे हैं। इस समस्या का क्या कारण है? इसके लक्षण क्या है? और इसे कैसे रोक सकते हैं? पढ़ते हैं आगे...
क्या है नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर(Narcissistic personality disorder)
साइकोलॉजिस्ट की मानें तो यह एक तरह का साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इस समस्या में व्यक्ति खुद को आत्मकेंद्रित समझता है। वह अपने आप को सबसे सर्वोत्तम मान लेता है। वैसे तो इंसान अपनी मर्जी का मालिक होता है। लेकिन इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति दूसरों से भी अपनी बात मनवाना चाहते हैं और अगर कोई उनके खिलाफ काम करता है तो इससे इनकी ईगो सेटिस्फाई नहीं होती। इन्हें दूसरों का सलाह देना पसंद नहीं है। यह हमेशा अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं। अपनी जरा-सी भी आलोचना इन्हें ठेस पहुंचाती है। ऐसी शख्सियत वाले लोग दूसरों के सामने अपनी इमेज को लेकर काफी सतर्क और सजग रहते हैं।
क्या है नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण (Narcissistic personality disorder Symptoms)
- दूसरों से अपेक्षा करना कि वह केवल आपकी सुनें
- बेहद अहंकारी स्वभाव का होना
- अपनी तारीफ सुनने का भूखा होना
- दूसरों से जलना, मन में ईर्ष्या की भावना लाना
- खुद को सर्वोत्तम मानना
- दूसरों की नहीं सुनना, हर वक्त अपनी मर्जी करना
- दूसरों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना
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क्या है इससे बचाव के तरीके (Narcissistic personality disorder Treatment)
किसी भी समस्या का मूल कारण व्यक्ति के बचपन में हुई कुछ घटनाओं पर आधारित होता है। इस मनोवैज्ञानिक समस्या की जड़ें भी बचपन से फैलना शुरू हो जाती हैं। ऐसे में पेरेंट्स की भूमिका अहम होती है। अपने बच्चे को इस समस्या से बचाने के लिए उसके व्यवहार को संतुलित रखें। जब वह अच्छा काम करें उसकी तारीफ जरूर करें लेकिन गलती होने पर भी उसी जोश के साथ उसे समझाएं भी। उसके अंदर हार और जीत दोनों को स्वीकार करने की आदत डालें। यदि आपको लगे कि आपके आस-पास, आपके बच्चे या आप खुद इस समस्या से ग्रस्त हैं तो किसी काउंसलर की मदद लें। सही समय पर उपचार किया जाए तो इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
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कैसे पनपती है यह समस्या
शुरुआत में इसके लक्षण ज्यादा नहीं दिखते। परंतु 1 साल के अंदर-अंदर यह बीमारी अपनी जड़ें काफी मजबूत कर चुकी होती है। जेनेटिक, सोशल या साइकोलॉजिकल कारणों से व्यक्ति इस अवस्था में पहुंच जाता है। बचपन में परवरिश अच्छी न मिलने के कारण, आसपास के माहौल में तनाव होने के कारण या जरूरत से ज्यादा प्यार मिलने के कारण यह समस्या हो सकती है। सही समय पर सही उपचार दिया जाए तो इस समस्या से बचा जाना बेहद आसान है।
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