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एडीएचडी (ADHD) क्या है और क्यों होता है? 15 वर्षीय आलोक की केस स्टडी से इस बीमारी को समझें

एडीएचडी होने पर मरीज को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है और वह कोई भी एक काम टिक कर नहीं कर पाता, जो उसकी नॉर्मल लाइफस्टाइल को भी इफेक्ट करता है।
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एडीएचडी (ADHD) क्या है और क्यों होता है? 15 वर्षीय आलोक की केस स्टडी से इस बीमारी को समझें


‘आलोक महज 15 साल का है और फिलहाल 10वीं में पढ़ता है। साइंटिफिक कॉन्सेप्ट और क्रिकेट के प्रति उसके अंदर अलग ही जुनून है। उसमें कई विशेष टैलेंट है। इसके बावजूद, वह अपनेएकेडेमिक्स में अच्छी तरह परफॉर्म नहीं कर पाता है। अक्सर एग्जाम में उसे कम ग्रेड मिलते हैं और वह सोशली भी लोगों के साथ आसानी से घुल-मिल नहीं पाता और न ही लोगों के साथ अच्छी तरह से रिश्ते निभा पाता है। उसके एजुकेशन और कमजोर सोशल स्किल से परेशान होने के कारण उसके पैरेंट्स उसे मेरे पास लाए थे। असल में, उसके पेरेंट्स यह समझने में असफल हो रहे थे कि आखिर उनका बेटा दूसरे बच्चों जैसा क्यों नहीं है? वह लोगों के साथ घुल-मिल क्यों नहीं पाता है और हमेशा अपने में ही क्यों खोया रहता है। इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए, वे उसे मेरे पास ले थे।’

यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जिनके पास आलोक का केस आया था। आलोक के बिहेवियर और उसकी लाइफस्टाइल को एनालिसिस करने के बाद उन्हें पता चला कि वह एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का शिकार है।

ओनलीमायहेल्थ ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है, जिसके तहत मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने की कोशिश की जाती है। इस सीरीज के जरिए हम अलग-अलग किस्म की मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों के बारे में तमाम जानकारियां पाठकों तक पहुंचाते हैं। इस सीरीज में हम मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको आलोक की केस स्टडी की मदद से ‘एडीएचडी’ के बारे में बताएंगे।

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एडीएचडी क्या है (What Is ADHD)

What Is ADHD

एडीएचडी या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर एक तरह का न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। यह बच्चों और वयस्कों, दोनों को प्रभावित कर सकता है। एडीएचडी होने पर मरीज ओवर एक्टिव हो जाता है, ओवर एक्साइटेड रहता है, जो कि उसकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह बीमारी ज्यादातर छोटे बच्चों को होती है, जो कि टीनेजर और एडल्ट होने तक जारी रह सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, एडीएचडी को तीन भागों में बांटा गया है। ये हैं, इनअटेंशन, हाइपरएक्टिविटी और इंपल्सिविटी।

इनअटेंशनः इसका मतलब है कि मरीज को किसी भी तरह के काम करने में फोकस बनाए रखने और व्यवस्थित तरीके से काम करने में कठिनाई होती है।

हाइपरएक्टिविटीः इस तरह की स्थिति में मरीज बहुत चंचल होता है। अक्सर कुछ न कुछ करता रहता है। जैसे, लगातार बहुत सारी बातें करना, बहुत ज्यादा सक्रिय रहना और अक्सर बेचैनी महसूस करना।

इंपल्सिविटीः जब कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे कुछ भी करता रहता है और उनका खुद पर कोई कंट्रोल नहीं होता है। यही नहीं, इंपल्सिविटी के कारण मरीज अपने हित के लिए दूसरों को परेशान कर सकता है और बिना सोचे-समझे कोई भी फैसला ले सकता है।

एडीएचडी के लक्षण (Symptoms Of ADHD)

Symptoms Of ADHD

आलोक अक्सर किसी भी तरह के कामकाज को फोकस के साथ नहीं कर पाता था और उसका बिहेवियर अक्सर इंपल्स यानी आवेगी किस्म का रहता था। उसे सोशल इंटरेक्शन करने में भी दिक्कतें आती थी। इसके अलावा, एडीएचडी के निम्न लक्षण भी हो सकते हैं।

एनआईएमएच के अनुसार, ‘एडीएचडी वाले कुछ लोगों में मुख्य रूप से इनअटेंशन के लक्षण दिखते हैं। वहीं, दूसरों में अधिकतर हाइपरएक्टिविटी-इंपल्सिविटी के लक्षण नजर आते हैं। जबकि कुछ लोगों में दोनों तरह के लक्षण दिख सकते हैं।

इनअटेंशन के लक्षण

  • काम को लेकर लापरवाह रहना।
  • ज्यादातर कामों को नजरअंदाज करना।
  • स्कूल के कामकाज पर ध्यान न देना।
  • किसी भी तरह के काम को करने में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल महसूस करना।
  • लंबे समय तक पढ़ाई करने में मुश्किल होना।
  • सीधे-सीधे अपनी बात को समझाने में असफल रहना।
  • ऑर्गनाइज तरीके से किसी भी टास्क को कंप्लीट न कर पाना।
  • किसी भी काम को शुरू करते ही ध्यान भटक जाना।
  • ऐसे कामों से बचना, जिसमें मानसिक दबाव पड़ता हो, जैसे कोई रिपोर्ट तैयार करना या होमवर्क खत्म करना।

हाइपरएक्टिविटी-इंपल्सिविटी के लक्षण

  • बैठे-बैठे हिलना-डुलना। शांत रहकर न बैठ जाना।
  • स्वभाव में बेचैनी होना।
  • स्कूल में अपनी क्लास में लंबे समय तक बैठे रहने में दिक्कत महसूस करना।
  • जब भी मन हो, उठकर दौड़ लगाना। एक जगह न टिकना। यहां-वहां दौड़ना-भागना आदि।
  • चुपचाप बैठकर कोई काम न कर पाना।
  • बहुत ज्यादा और निरर्थक बातें करना।
  • दूसरों की बातों को पूरा न सुनना और बीच में टोकते हुए अपनी बात कंप्लीट करना।

एडीएचडी का कारण (Causes Of ADHD)

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन वेबसाइट के अनुसार, ‘वैज्ञानिक अब भी एडीएचडी होने के कारण को जानने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक यह नहीं पता लगाया जा सका है कि आखिर किसी को यह बीमारी क्यों होती है। लेकिन कुछ कारणों पर विशेषज्ञों ने फोकस करते हुए बताया है कि इसकी वजह आनुवांशिक हो सकता है, सिर पर चोट लगने की वजह से हो सकती है, प्री-मैच्योर बर्थ होने पर हो सकता है और आसपास का माहौल भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान अगर महिला बहुत ज्यादा नशीले पदार्थ का सेवन करे, तंबाकू और शराब पिए, तो इस तरह की प्रॉब्लम हो सकती है। यही नहीं, अगर बच्चे का वजन कम हो, तो भी उसे एडीएचडी हो सकता है।’ डॉक्टर प्रेरणा कोहली अपने शब्दों में बताती हैं, ‘अगर आलोक के केस की बात की जाए, तो उसमें भी ऐसे किसी विशेष वजह का पता नहीं चला था। लेकिन, उसका ट्रीटमेंट उसकी बीमारी के आधार पर किया गया था।’

एडीएचडी का ट्रीटमेंट (Treatment Of ADHD)

आलोक को ट्रीटमेंट करते हुए डॉ. प्रेरणा कोहली ने कई बातों पर फोकस किया था। ‘उन्होंने साइकिएट्रिस्ट के साथ संपर्क कर आलोक को दवाईयां दी गई थीं, डॉ. कोहली ने खुद उसकी साइकोएजुकेशन की, थेरेपी के सेशंस लिए और स्कूल में मौजूदा काउंसलर की भी इस संबंध में मदद ली।’ इसके अलावा, एडीएचडी के ट्रीटमेंट के दौरान, निम्न चीजों पर भी फोकस किया जाता है, जैसे लाइफस्टाइल चेंजेस, एजुकेश ट्रेनिंग और करीबियों का सपोर्ट।

दूसरों की मदद कैसे करें (How To Help Someone With ADHD)

How To Help Someone With ADHD

अगर आपके करीबी में कोई ऐसा है, जिसे एडीएचडी है, तो आपको बहुत सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी। डॉ. प्रेरणा कोहली सलाह देते हुए बताती हैं, ‘इसके लिए, आपको खुद को एजुकेट करना होगा। मरीज को ट्रीटमेंट के लिए मोटिवेट करना होगा, उसे इमोशनल सपोर्ट देना होगा, जरूरी हो तो किसी ऑर्गनाइजेशन से उसके लिए मदद लें और हमेशा धैर्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, आपको हेल्दी हैबिट्स अपनाने चाहिए ताकि मरीज की मदद कर सकें और हमेशा मरीज को अलग-अलग एक्टिविटीज में एंगेज रखने की कोशिश करनी होगी।’

अलोक की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है, तो आप उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में 'Attention Deficit Hyperactivity Disorder' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

image credit: freepik

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