
Parenting Tips To Look After Teenagers With ADHD In Hindi : एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर) बचपन में होने वाली सबेस आम न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याओं में से एक है। जिन बच्चों को एडीएचडी होता है, वे व्यवहार में सामान्य बच्चों से अलग होते हैं। इन्हें कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल होता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे काफी ज्यादा एक्टिव होते हैं और बिना परिणाम सोचे कुछ भी कर बैठते हैं। ऐसे बच्चों को सही तरह से दिशा देना और कंट्रोल में रखना जरूरी होता है। खासकर, टीनेजर्स की बात करें, तो पेरेंट्स को उन्हें लेकर ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। कई बार, पेरेंट्स के लिए एडीएचडी से पीड़ित टीनेजर को संभालना चुनौती से भर जाता है। पाल्स की निदेशक, कंसलटेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली बत्रा से जानें कि एडीएचडी से पीड़ित टीनेजर की केयर कैसे कर सकते हैं।
टीनेजर में एडीएचडी के लक्षण
जो टीनेजर्स एडीएचडी का शिकार होते हैं, उन्हें कई तरह की परेशानियां होती हैं। इनमें मुख्य रूप से जो देखी जाती हैं, वे हैं-
- बच्चों को ध्यानकेंद्रित करने में समस्या हो सकती है।
- उन्हें सामने वाले के साथ व्यवहार करने में दिक्कत होती है।
- इन बच्चों को स्कूल घर में दोस्त बनाने में मुश्किलें आती हैं।
- चीजों को कहीं भी रखकर भूल जाते हैं।
- अक्सर अपनी चीजें खो देते हैं।
- ये बच्चे काफी ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
- एडीएचडी से पीड़ित टीनेजर काफी ज्यादा बोलते हैं और उन्हें इसका आभास नहीं होता है।
- ये स्वभाव से काफी लापरवाह होते हैं, अक्सर गलतियां कर बैठते हैं।
- जरूरत न होने पर भी रिस्क लेते हैं।
कैसे करें इनकी केयर
बच्चे को अटेंशन दें (Pay Attention): इस तरह के बच्चे को बहुत ज्यादा अटेंशन देने की जरूरत होती है। वह क्या-क्या काम कर रहे हैं, किस तरह से कर रहे हैं, इस पर नजर रखें। असल में एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को हमेशा अटेंशन की जरूरत होती है। अटेंशन के अभाव में वे कई खराब हरकतें भी कर बैठते हैं। आप उन्हें ऐसा मौका न दें।
दिन ऑर्गनाइज करने में मदद करें (Organize The Day): इन बच्चों को अपना दिन ऑर्गनाइज करने में मुश्किलें आती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता है कि दिन को ऑर्गनाइज किस तरह किया जा सकता है। ऐसे में बतौर पेरेंट्स आप उनकी मदद कर सकते हैं। दिन को ऑर्गनाइज करने के लिए प्लानर की मदद लें। आप प्लानर का यूज करना अपने टीनेजर को भी सिखाएं। इसके लिए आप फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर प्लानर में प्वाइंट्स लिखने में उसकी मदद कर सकते हैं।
काम से ब्रेक लेते रहें (Take Break): अगर आपका बच्चा कुछ करते-करते थक गया है, तो उसे कहें कि वह उस काम से ब्रेक लेते रहे। इसके अलावा, अगर वह स्कूल से आया है, तो भी उसे रेस्ट करने को कहें। एडीएचडी से पीड़िते अपने टीनेजर को कभी भी कंटीन्यू काम करने न दें। रेस्ट न मिलने की वजह से थक सकता है, जिससे उसके अंदर चिड़चिड़ापन आदि समस्या हो सकती है। ब्रेक लेने की वजह से उसे काम में ध्यान लगाने में भी मदद मिलती रहेगी।
एक्सरसाइज करने को कहें (Motivate For Exercise) आप अपने टीनेजर को रेगुलर बेसिस पर एक्सरसाइज करने को कहें। एक्सरसाइज करने से उसके दिन की शुरुआत अच्छी होगी, उसे अच्छा महसूस होगा और पूरा दिन सही तरह से सक्रिय रहेगा। इसके अलावा, एक्सरसाइज की मदद से वह फिट भी रह सकेगा और उसकी स्कूल की परफॉर्मेंस भी बेहतर हो सकेगी।
इन बातों का भी रखें ध्यान-
- उनके आवेग पूर्ण व्यवहार का प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाएं।
- क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की मदद से उन्हें बिहेवियरल सेशंस दें।
- जरूरी होने पर मनोचिकित्सक से दवाई लें और परामर्श की गई समय पर उन्हें लेने को कहें।
- इस तरह के बच्चे के साथ डील करने के लिए जरूरी है कि उनकी टीचर इस संबंध में जागरूक हो। बेहतर होगा कि आप अपने बच्चों को ऐसे टीचर के हाथ में, जिन्हें एडीएचडी से ग्रसित बच्चों के साथ डील करने का अनुभव हो।
- अपने बच्चे को समझने की कोशिश करें।
- एडीएचडी से पीड़ित बच्चे को पनिशमेंट न दें।
- बच्चा जब भी अच्छी तरह पेश आए, तो उसकी सराहना करें।
- बच्चे के बिहेवियर का उचित ट्रीटमेंट और एसेसमेंट बहुत जरूरी है।
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