
जन्म के बाद हर व्यक्ति को उम्र के हर पायदान से होकर गुजरना पड़ता है। इस बीच उन्हें उम्र के उस पायदान में पड़ने वाली दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इस आर्टिकल में एडीएचडी यानि (अटेंशन डेफिशिट हाईपरएक्टीविटी डिसऑर्डर) पर बात करेंगे और जमशेदपुर की मनोरोग विशेषज्ञ और चाइल्ड काउंसलर कदमा निवासी पी कुमारी से बात करेंगे। जानने की कोशिश करेंगे कि इस बीमारी के होने पर किशोरियों में क्या-क्या लक्षण दिखते हैं। इस विषय पर अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
क्या है एडीएचडी
एक्सपर्ट बताती हैं कि एडीएचडी बचपन के सबसे सामान्य न्यूरो फंक्शनल डिसऑर्डर में से एक है। इस मानसिक विकार में मस्तिष्क व सेंट्रल नर्वस सिस्टम के विकास को रोक देता है। व्यस्क होने तक बच्चों में ये समस्या होती है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों में देखा गया है कि वो सामान्य बच्चों की तरह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। आवेग में आकर वो कुछ ऐसा कदम उठा सकते हैं, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनको ये समझ ही नहीं आता कि उनके एक कदम से उन्हें कई परशानियां हो सकती है। बावजूद वो ऐसा करते हैं। ऐसे बच्चे हाइपरएक्टिव प्रवृत्ति के होते हैं।
लड़कों की तुलना में लड़कियों में होने वाले एडीएचडी है अलग
एक्सपर्ट बताती हैं कि लड़कों में होने वाला एडीएचडी लड़कियों में होने वाले एडीएचडी की तुलना में अलग होता है। एडीएचडी होने पर लड़कों में साफ तौर पर लक्षण देखने को मिलते हैं। लेकिन लड़कियों के साथ ऐसा नहीं है, उनमें प्रारंभिक दौर में लक्षण नहीं दिखते हैं। लड़कियां लक्षणों को दबा देती हैं इस कारण लक्षण साफ तौर पर दिखाई नहीं देते हैं। इश कारण परिवार वाले व स्कूल वाले लक्षणों को नहीं पहचान पाते हैं।
लड़कों में हाइपरएक्टिविटी के काफी दिखते हैं लक्षण
एक्सपर्ट बताती हैं कि इस बीमारी के होने के कारण लड़कों में हाइपरएक्टिविटी के लक्षण काफी दिखते हैं। जैसे काफी कूदते फांदते हैं, एक जगह स्थिर होकर नहीं बैठते, कभी-कभी किसी बच्चे को मार देना जैसे लक्षण बच्चों में देखने को मिलते हैं। वहीं लड़कियों में दबे किस्म के लक्षण दिखाई देते हैं। समय से इसका इलाज न किया गया तो सिर्फ शिक्षा में ही नहीं बल्कि सामाजिक तौर पर भी ये लड़कियां पिछड़ जाती हैं। वहीं उन्हें सामान्य जीवन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर पड़ता है। जिसके कारण उनका स्वाभिमान निचले स्तर तक पहुंच जाता है।
लड़कियों में एडीएचडी के दिखते हैं ये लक्षण
1. आवेग में आने से लड़कियां होती हैं भावुक
एक्सपर्ट बताती हैं कि एडीएचडी के कारण लड़कियां अक्सर आवेग में आ जाती हैं। इस कारण वो काफी भावुक हो जाती हैं। उन्हें भावनाओं को कंट्रोल करने में उन्हें काफी दिक्कत आती है, इस कारण वो लगातार बोलती रहती हैं। अपनी बारी का इंतजार करने का उनमें सब्र नहीं रहता है। दो लोग अगर बात कर रहे हैं तो उनके बीच कूद पड़ती हैं। ऐसी लड़कियों को दोस्त बनाने और दोस्तों को बनाए रखने में काफी परेशानी होती है।
2. किसी भी काम को करने में दिक्कत
एक्सपर्ट बताती हैं कि एडीएचडी की बीमारी से ग्रसित लड़कियों को एक साथ कई काम को मैनेज करने में दिक्कत आती है। यदि उन्हें एक साथ कई काम दे दिया जाए तो सामान्य बच्चों की तुलना में वो उन कामों को अच्छे से नहीं कर पाएंगी। जैसे बहुत सारे होमवर्क मिल जाए तो वो समझ ही नहीं पाती हैं कि कौन सा काम समय पर पूरा करें। कई बार वो अपने अहम प्रमाण पत्रों को खो देती हैं।
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3. एडीएचडी से ग्रसित लड़कियां बाहरी चीजों से होती हैं विचलित
एक्सपर्ट बताती हैं कि एडीएचडी की बीमारी से ग्रसित लड़कियां बहुत ज्यादा ही विचलित होती हैं। उनका फोकस टूट जाता है। देखा गया है कि ऐसी लड़कियां अक्सर अपने ही ख्यालों में खोई रहती हैं, जिसके कारण उनके आसपास होने वाली चीजों को वो मिस कर देती हैं।
4. हाईपरएक्टिविटी यानि अति सक्रिय होना
एक्सपर्ट बताती हैं कि कुछ लड़कियों में एडीएचडी के कारण हाईपरएक्टिविटी यानि अति सक्रिय होने की समस्या देखने को मिलती है, जिसके कारण उन्हें शांत बैठते में काफी दिक्कत होती है। आपने महसूस भी किया होगा कि कुछ लड़कियां यदि कुर्सियों पर बैठीं हैं तो झूलती रहती हैं या फिर बैठे हुए हाथ या पैर हिलाते रहती हैं। ऐसे में उन्हें शांत होकर बैठना उनके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल काम होता है।
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5. एकाग्रता की कमी
वैसी लड़कियां जो एडीएचडी की बीमारी से ग्रसित हैं उनमें सामान्य लड़कियों की तुलना में वो एकाग्र नहीं होती हैं। फोकस बनाने के लिए ऐसी लड़कियां काफी संघर्ष करतीं हैं। स्कूल हो या फिर घर दोनों ही जगहों पर उन्हें काफी दिकक्त होती है। ऐसा संभव है कि जिस चीज में उनकी रुचि हो उसे करने के लिए अपना घंटों समय दे सकती हैं, लेकिन जिस चीज में उनकी रुचि न हो लेकिन वो उनके लिए जरूरी हो बावजूद इसके वो इसमें समय नहीं देती हैं। उन कामों में एकाग्र होकर काम नहीं कर पाती हैं। जैसे उन्हें नॉवेल पढ़ना पसंद है, तो उसे घंटों पढ़ेंगी। लेकिन स्कूल या फिर घर का ही कोई काम हो जिसे करना उन्हें पसंद नहीं तो वो उसपर ध्यान भी नहीं देंगी। ऐसा रुचि न होने के कारण वो फोकस नहीं कर पाती हैं।
आपके बच्चों में भी ऐसे लक्षण दिखे तो क्या करें
एक्सपर्ट बताती हैं कि अगर आपकी बेटी में इस प्रकार के लक्षण दिखे तो सबसे पहले ये पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो खुलकर अपनी बेटी से बात करें। उनकी समस्याओं को पूछें। जिससे आपको कई चीजों के बारे में आसानी से पता चल जाएगा कि आपकी बेटी को कहां दिक्कत आ रही है। इससे आप उसकी समस्याओं को सुलझा पाएंगे। आप अपने बच्चों से सवाल करें कि क्या वो अपनी क्षमता को लेकर पढ़ाई या फिर सामाजिक कार्यों में कमजोरे है या तनाव लेती है। वो सामान्य बच्चों के समान काम नहीं कर पाती हैं। इसके अलावा एडीएचडी के बताए हुए लक्षणों को अपने बच्चों में नोटिस करें, यदि उनमें इस प्रकार के लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लें।
लेनी चाहिए डॉक्टरी सलाह
एक्सपर्ट बताती हैं कि कुछ उपचार को आजमाकर एडीवीटी के लक्षणों में कमी आती है और आपकी बेटी सामान्य जीवन जी सकती है। एडीएचडी के स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट में मेडिटेशन, बिहेवियर थेरेपी, काउंसलिंग, एजुकेशनल थेरेपी आती हैं। इसके अलावा आप चाहें तो मनोरोग विशेषज्ञ की भी सलाह ले सकते हैं। उनकी काउंसलिंग व अन्य प्रक्रिया को आजमाकर इलाज किया जा सकता है।
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