एडीएचडी यानी अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। इस समस्या के वजह से बच्चों और बड़ों दोनों के व्यवहार में काफी बदलाव हो जाता है, लेकिन बड़ो से ज्यादा इस बीमारी से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं। इसके जांच और उपचार के अभाव के कारण यह गंभीर समस्याओं को भी पैदा कर सकती है। इसके वजह से याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी कम हो जाती है। भारत में हुए एक अध्ययन के अनुसार, प्राथमिक स्कूल के 11.32% बच्चे एडीएचडी से पीड़ित हैं और इसकी व्यापकता पुरुषों (66.7%) में महिलाओं (33.3%) की तुलना में अधिक पाई गई है। आइए इसके लक्षण और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
एडीएचडी के लक्षण
- किसी भी कार्य को सही ढंग से ना करना।
- निर्देशों का पालन करने में कठिनाई होना।
- किसी की बात को न सुनना।
- अत्यधिक बात करना।
- किसी भी बात को याद ना रखना।
- हमेशा उदास रहना।
- दूसरों को बहुत ज्यादा परेशान करना।
ADHD से जुड़ी चुनौतियां
एडीएचडी अन्य सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समसयाएं जैसे अवसाद, ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर(OCD) और अन्य प्रमुख सीखने की अक्षमता जैसे डिस्लेक्सिया या डिस्केल्किया भी हो सकता है।
डिप्रेशन
अति-सक्रियता और फोकस की कमी के कारण, एडीएचडी से पीड़ित लोग आमतौर पर अपने स्कूल और ऑफिस में कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि वो अच्छा प्रदर्शन करने में असमर्थ हो जाते हैं और अक्सर अपनी नौकरी खो देते हैं या स्कूल में साथियों द्वारा तंग आ जाते हैं, जिसके कारण वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
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ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर(OCD)
एडीएचडी के ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर चुनौती से लगभग 50 से 80 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। एडीएचडी के लक्षण ओसीडी के लक्षणों से अलग होते हैं। ओसीडी में लोग लगातार आने वाले विचारों और कल्पनाओं से पीड़ित होते हैं, इसके बाद वो जरूरत के अनुसार काम करते हैं। वहीं एडीएचडी से पीड़ित लोग अक्सर एक ही काम को बार-बार करने की कोशिश करते हैं क्योंकि वो पहली बार अच्छा प्रदर्शन करने में असमर्थ होते हैं। इस वजह से दोनों के लक्षण अलग-अलग होते हैं।
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सीखने की क्षमता कम होना
ADHD में सीखने की क्षमता कम नही होती है, लेकिन यह डिस्लेक्सिया या डिस्क्लेकुलिया जैसी कुछ चुनौतियों को पैदा कर सकती है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों को शब्दों को पढ़ने या उच्चारण करने में कठिनाई होती है, जबकि डिस्केलेकिया में अक्सर लोग संख्याओं को समझने में दिक्कतों का सामना करते हैं। ये दोनों चुनौतियां किसी भी विषय पर ठीक से ध्यान केंद्रित करने और उसे समझने में दिक्कते पैदा कर सकती है।
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