बच्चों में बढ़ रहा है डिस्लेक्सिया डिस्ऑर्डर का खतरा, पढ़ने-लिखने और बोलने में होती है परेशानी

क्या आपको फिल्म 'तारे ज़मीं पर' का छोटा ईशान याद है? उस बच्चे को सभी मानसिक रूप से कमजोर और 'बुद्धू' समझते हैं क्योंकि वो लोगों के साथ कम घुल-मिल पाता है और पढ़ने-लिखने में उसका मन नहीं लगता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
बच्चों में बढ़ रहा है डिस्लेक्सिया डिस्ऑर्डर का खतरा, पढ़ने-लिखने और बोलने में होती है परेशानी


क्या आपको फिल्म 'तारे ज़मीं पर' का छोटा ईशान याद है? उस बच्चे को सभी मानसिक रूप से कमजोर और 'बुद्धू' समझते हैं क्योंकि वो लोगों के साथ कम घुल-मिल पाता है और पढ़ने-लिखने में उसका मन नहीं लगता है। हम अपने आस-पास और घरों में भी ऐसे बच्चे देखते हैं, जिनका पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता है और न ही वो दोस्तों और लोगों से घुल-मिल पाते हैं। ऐसे बच्चों को हर जगह डांट और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों की ये आदतें किसी मानसिक बीमारी के कारण भी हो सकते हैं। जी हां, ऐसी ही एक बीमारी है डिस्लेक्सिया। अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो बचपन में फिल्म स्टार अभिषेक बच्चन भी डिस्लेक्सिया नामक इस डिसऑर्डर का शिकार थे। आइए आपको बताते हैं क्या है ये बीमारी और क्या हैं इसके कारण और बचाव।

क्या है डिस्लेक्सिया डिसऑर्डर

डिस्लेक्सिया बच्चो में पाया जाने वाला एक डिसऑर्डर है। दुनियाभर में हर 10 में से एक बच्चा इस बीमारी का शिकार पाया जाता है। डिस्लेक्सिया एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि भारत में लगभग 10 से 15 प्रतिशत स्कूली बच्चे इस बीमारी के शिकार हैं। इस बीमारी के कारण बच्चों को अक्षरों को पहचानने, उन्हें लिखने और शब्दों को बोलने में परेशानी होती है। हालांकि कुछ बच्चों को सीखने में सामान्य से ज्यादा समय लगता है इसलिए आपको डिस्लेक्सिया और स्लो लर्नर के अंतर को समझना चाहिए। डिस्लेक्सिया में पढ़ना, लिखना और शब्दों का विन्यास कर पाना मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क शब्दों या अक्षरों को मिला देता है।

इसे भी पढ़ें:- बच्चे में दूसरों से घुलने-मिलने या बात करने में परेशानी हो सकती है एस्पर्गर सिंड्रोम का संकेत

डिस्लेक्सिया के लक्षण

आमतौर पर डिस्लेक्सिया के लक्षण बच्चे के स्कूल जाने से पहले पहचानने मुश्किल हो सकते हैं, लेकिन कुछ शुरुआती लक्षण समस्या का संकेत दे सकते हैं। बच्चे के स्कूल की उम्र तक पहुंचने पर, उसके शिक्षक सबसे पहले समस्या पर ध्यान दे सकते हैं। अक्सर समस्या स्पष्ट हो जाती है जब बच्चा पढ़ना शुरू करता है। ऐसे बच्चों में निम्न संकेत दिखते हैं-

  • ऐसे बच्‍चे देर से बोलना शुरू करते हैं
  • नए शब्दों को धीरे-धीरे सीख पाते हैं
  • नर्सरी कविताएं याद करने और दोहराने में कठिनाई
  • चीजों को उनके क्रम अनुसार याद करने में समस्या
  • तेजी से दिए गए निर्देशों को समझने में कठिनाई
  • सुनकर सीखने और याद करने में मुश्किल
  • कविताओं वाले खेल खेलने में कठिनाई
  • गणित की समस्याएं करने में कठिनाई
  • उम्र के हिसाब से अपेक्षित स्तर से कम पढ़ पाना
  • सुनने पर चीज़ें समझने में समस्या
  • अक्षरों और शब्दों में अंतर को देखने में कठिनाई
  • एक अपरिचित शब्द का उच्चारण करने में असमर्थता
  • विदेशी भाषा सीखने में समस्या जैसी परेशानियां होती हैं
  • अस्पष्ट चुटकुले या मुखाकृति समझने में कठिनाई
  • कहानी का संक्षिप्त विवरण करने में कठिनाई

इसे भी पढ़ें:- कई प्रकार के होते हैं बच्चों पेट में पाए जाने वाले कीड़े, जानें किन लक्षणों से पहचानें इन्हें

क्या संभव है डिस्लेक्सिया का इलाज

डिस्लेक्सिया एक तरह का मानसिक विकार है और इसको पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। ऐसे बच्चों को सिखाने के लिए कुछ अलग तकनीक का सहारा लिया जा सकता है।

  • आमतौर पर ऐसे बच्चों को हर बात उदाहरण के द्वारा समझानी पड़ती है।
  • चीजों को जितना ज्यादा हो सके, आसान और मनोरंजक तरीके से समझाना चाहिए।
  • चित्रों, किरदारों, कहानियों और गानों का सहारा ले सकते हैं।
  • जिस अक्षर को पहचानने और बोलने में परेशानी है उसे बार-बार बुलवाएं और लिखवाएं।
  • इसके अलावा कुछ लर्निंग और मोटिवेशनल थेरेपीज की भी मदद ली जा सकती है।
  • बेहतर खान-पान और योगासनों द्वारा एकाग्रता और स्मरणशक्ति बढ़ाई जा सकती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Child Health in Hindi

Read Next

ये 5 लक्षण बच्‍चों के पेट में कीड़े होने के हैं संकेत

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version