
छोटे बच्चों के पेट में अक्सर कीड़े होने की समस्या हो जाती है। पेट में कीड़े होने के कारण जहां बच्चे पेट दर्द के कारण हर समय रोते रहते हैं वहीं इससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुंचती है। बच्चों में कीड़े होने पर अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं क्योंकि पेट में होने वाले कीड़े कई प्रकार के होते हैं। पेट में पाए जाने वाले ये वॉर्म या कृमि प्रजनन क्रिया के बाद आंतो में अण्डे देते हैं। इनके बढ़ जाने से शिशु का पाचन और स्वास्थ्य प्रभावित होता है और उसमें कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। आइए आपको बताते हैं बच्चों को किन प्रकार के कीड़ों से होता है खतरा और उनके क्या हैं लक्षण।
राउंडवॉर्म इंफेक्शन
राउंडवॉर्म सबसे ज्यादा आंतों में पाए जाने वाले कीड़े हैं। ये कीड़े केंचुए जैसे लम्बे 4-12 इंच और पतले होते हैं और आमतौर पर छोटी आंतों में रहते हैं। आमतौर पर ये कीड़े मटमैले या पीले रंग के होते हैं। आंतों में ये कीड़े प्रजनन के द्वार तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं। संख्या बढ़ने पर कभी-कभी ये कीड़े अमाशय, प्लीहा (तिल्ली) और फेफड़े में भी चले जाते हैं।
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राउंडवॉर्म इंफेक्शन के लक्षण
राउंडवॉर्म इंफेक्शन के कारण आंतो के काम में रुकावट उत्पन्न होती है, जिससे बच्चे का भोजन ठीक से नहीं पच पाता है। ऐसे में खाना खाने के बाद बच्चे को मितली आने लगती है। पेट में दर्द रहने लगता है तथा मरोड़ के साथ कभी कब्ज हो जाता है, या कभी दस्त आने लगते हैं। नींद में बच्चों के मुंह से लार बहती है और बच्चे दांत पीसने लगते हैं। शिशुओं के नाक-मुंह में खुजली होती है। कभी-कभी शरीर पर पित्ती भी उछल आती है।
टेपवॉर्म इंफेक्शन
टेपवॉर्म बच्चों के पेट में पाए जाने वाले खतरनाक कीड़े होते हैं। शुरुआत में ये कीड़े पेट में दर्द का कारण बनते हैं मगर संख्या बढ़ जाने पर ये कीड़े मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और नर्वस सिस्टम पर अटैक कर देते हैं। टेपवॉर्म्स की लम्बाई 31 से 62 मिमी, तक होती है। आमतौर पर ये कीड़े मल के साथ निकल जाते हैं। टेपवॉर्म आकार में चिपटा, गांठदार और रंग में सफेद होता है। टेपवॉर्म से संक्रमित रोगी की जाँच, उसके मल के द्वारा की जाती है। इन टेपवॉर्म का आकार बहुत बड़ा हो, तो इनके बाहर निकलते समय थोड़ा दर्द हो सकता है। बरसात के मौसम में या आम दिनों में टेपवॉर्म का खतरा पत्ते वाली सब्जियों से ज्यादा होता है।
टेपवॉर्म इंफेक्शन के लक्षण
टेपवॉर्म सीधे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं इसलिए इनके होने पर दिमाग पर ज्यादा असर होता है। दिमाग में सूजन के कारण बच्चों को अक्सर सिर में दर्द, उल्टी और चक्कर आने की समस्या बनी रहती है।
पिनवॉर्म्स
पिनवॉर्म्स 2.5 मिमी होते हैं। ये कभी-कभी पेशाब करने की नली (मूत्रनली) या योनि के पास भी पहुंच जाते हैं और वहां खुजली और जलन पैदा करते हैं। ये कीड़े बच्चों के पेट में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। पिनवॉर्म्स ज्यादातर बच्चों को ही शिकार बनाते हैं। पिनवॉर्म्स के अंडे मल द्वारा धूल, मिटटी, पानी, सब्जियों आदि तक पहुंच जाते हैं, जिनके सेवन मात्र से ये अंडे पेट में पहुंच जाते हैं।
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पिनवॉर्म्स होने के लक्षण
इससे उत्पन्न रोग का मुख्य लक्षण रक्त की भारी कमी हो जाना है, जिससे शरीर और चेहरा पीला पड़ जाता है। भूख घट जाती है तथा कमजोरी बढ़ती है। कई बच्चों के प्राइवेट पार्ट में जलन और दर्द की समस्या हो जाती है।
पेट के कीड़ों का उपचार
बच्चों या बड़ों की आंत में कीड़े पड़ गये हों तो कच्चे आम की गुठली का सेवन करने से कीड़े मल के रास्ते बाहर निकल जाते हैं। इसके लिए कच्चे आम की गुठली का चूर्ण दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसके नियमित सेवन से कुछ दिनों में ही आंत के कीड़े बाहर निकल जायेंगे।अनार के छिलकों को सुखाकर इसका चूर्ण बना लीजिए। यह चूर्ण दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लीजिए। कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से पेट के कीड़े पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
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