Can Stress Cause Sleep Paralysis: स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को नींद से जागने के दौरान या सोने के दौरान शरीर को हिलाने या बोलने में असमर्थता महसूस होती है। यह स्थिति आमतौर पर कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक रह सकती है। इसे अनुभव करने वाला व्यक्ति जगा होता है, लेकिन उसके शरीर की मांसपेशियां अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो जाती हैं। स्लीप पैरालिसिस के दौरान व्यक्ति अपने शरीर को हिला नहीं पाता है। इस बीमारी के कारण, छाती पर भारीपन या दबाव महसूस हो सकता है। व्यक्ति को विचित्र और डरावने दृश्य या आवाजें सुनाई दे सकती हैं, जिसे हैल्यूसिनेशन कहा जाता है। स्लीप पैरालिसिस के कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी कठिनाई महसूस होती है। स्लीप पैरालिसिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं- नींद की कमी, अनियमित नींद का पैटर्न, तनाव, सोने की गलत पोजिशन आदि। हमें गूगल के जरिए एक सवाल मिला, जिसमें यह पूछा गया था कि क्या तनाव लेने से स्लीप पैरालिसिस होता है? इस सवाल का जवाब विस्तार से आगे जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
क्या स्ट्रेस लेने से स्लीप पैरालिसिस होता है?- Can Stress Cause Sleep Paralysis
डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि स्लीप पैरालिसिस कोई जानलेवा बीमारी नहीं है। लेकिन स्लीप पैरालिसिस की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए। तनाव के कारण स्लीप पैरालिसिस की समस्या हो सकती है। तनाव और चिंता, नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है और सलीप पैरालिसिस की संभावना बढ़ जाती है। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर और दिमाग ज्यादा सक्रिय हो जाता है जिससे नींद के दौरान व्यक्ति पूरी तरह से आराम नहीं कर पाता जिससे स्लीप पैरालिसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। तनाव को कम करने के लिए रोज एक्सरसाइज करें, मेडिटेशन करें, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, एक ही समय पर सोने की आदत डालें और संतुलित आहार पर फोकस बढ़ाएं। अगर स्लीप पैरालिसिस के एपिसोड बार-बार हो रहे हैं, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द इलाज करवाएं।
स्लीप पैरालिसिस से बचने के लिए नींद पूरी करें
स्लीप पैरालिसिस से बचने के लिए नींद पूरी करना जरूरी है। हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें। ऐसा करने से एक तय समय पर नींद आएगी। सोने का कमरा शांत और ठंडा होना चाहिए। सोने से पहले, हल्का संगीत सुनें या किताब पढ़ें। सोने के करीब कैफीन और अल्कोहल का सेवन न करें, क्योंकि ये नींद के पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। सोने से कुछ घंटे पहले, भारी भोजन खाने से भी बचें।
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