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स्ट्रोक के बाद बढ़ सकता है आंखों से जुड़ी इन समस्याओं का जोखिम, जानें कैसे करें बचाव

Eye Problems After Stroke: स्ट्रोक आने के बाद धुंधला दिखना या एक आंख से दिखना बंद हो जाना आम समस्या है। इसके अलावा भी कई परेशानियां आती है, जिससे बचने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है।
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स्ट्रोक के बाद बढ़ सकता है आंखों से जुड़ी इन समस्याओं का जोखिम, जानें कैसे करें बचाव


Eye Problems After Stroke: मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के कारण स्ट्रोक आने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा, धूम्रपान या शराब का लगातार सेवन करना, और हार्ट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होना भी स्ट्रोक के केस को बढ़ा रहे हैं। (Causes of Stroke) इन कारणों से ब्रेन की किसी नस में क्लॉटिंग हो जाती है, या फिर नस फट जाती है और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। इसका असर शरीर के सभी भागों पर पड़ता है, लेकिन आंखों पर इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। स्ट्रोक के बाद अक्सर रोगी एक आंखों से जुड़ी समस्याओं की शिकायत करते हैं और कई बार इलाज न कराने से आंखें स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। स्ट्रोक के बाद आंखों की कौन सी समस्याओं से रोगियों को दो-चार होना पड़ता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, जानने के लिए हमने दिल्ली के एशियन अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग की एसोसिएट डायरेक्टर और हेड डॉ. नेहा कपूर (Dr. Neha Kapoor, Associate Director & Head- Neurology, Asian Hospital) से बात की।

स्ट्रोक के बाद आंखों पर क्यों असर पड़ता है?

आंखों की समस्याएं बताने से पहले डॉ. नेहा ने बताया कि आंखों पर असर क्यों पड़ता है। इस बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. नेहा के कहा कि कई बार ब्रेन के उस सेंटर पर लकवा मारता है, जो विजन सेंटर कहलाता है। इससे सीधा आंखों पर असर पड़ता है। कई मामलों में देखा गया है कि अगर रोगी को स्ट्रोक आने से पहले आंखों की समस्या होती है, तो वह स्ट्रोक के बाद और ज्यादा गंभीर हो जाती है। इसलिए अगर किसी को स्ट्रोक के बाद आंखों की कोई भी दिक्कत होती है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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स्ट्रोक आने के बाद आंखों की कौन सी समस्याएं हो सकती हैं?

धुंधलापन

कई मामलों में देखा गया है कि रोगी को दोनों ही आंखों से धुंधलापन नजर आने लगता है। कुछ केस में यह परेशानी एक आंख से भी हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर आंखों का चेकअप करते हैं और इसकी वजह जानने की कोशिश करते हैं।

आंखों की पुतलियों का न घूमना

हमारी आंखों की पुतलियां चारों तरफ घूम सकती हैं, लेकिन स्ट्रोक आने के बाद रोगी की आंखों की मूवमेंट कम हो जाती है। स्ट्रोक की वजह से रोगी का नर्व सिस्टम आंखों की पुतलियों पर अपना कंट्रोल खो देता है। इस वजह से रोगी अपनी आंखों को चारों तरफ घुमा नहीं पाता। कुछ मामलों में रोगी लगातार अपनी आंखों की पुतलियां घुमाता रहता है। वह एक दिशा में अपनी आंखों को रोक नहीं पाता।

डबल दिखना

इस स्थिति में रोगी को एक ही चीज दो दिखने लगती है। स्ट्रोक की वजह से नर्व सिस्टम आंखों की अलाइनमेंट पर कंट्रोल नहीं रख पाता। इससे रोगी को डबल दिखने की समस्या होने लगती है। इस स्थिति में कई बार रोगी खुद को चोट भी पहुंचा लेता है, क्योंकि वह चीजों के बीच के गैप को समझ नहीं पाता।

पैलीनोप्सिया

इस बीमारी में रोगी को वह चीज दिखती रहती है, चाहे वह चीज आगे चली गई हो या फिर वहां से हट गई हो। इसकी वजह ब्रेन के नर्व सिस्टम का बाधित होना होता है, जिसकी सूचना आंखों तक नहीं पहुंच पाती। कई बार स्ट्रोक की वजह से ब्रेन के कुछ हिस्सों में खून का प्रवाह रुक जाता है, जिससे रोगी को वही इमेज दिखती रहती है।

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आंखों को फोकस करने में दिक्कत

स्ट्रोक की वजह से रोगी किसी चीज को देखने के लिए अपनी आंखों को फोकस नहीं कर पाता। इससे रोगी को किसी भी इमेज को समझने में थोड़ा समय लग सकता है। इससे उन्हें काम करने में फोकस करना मुश्किल हो जाता है।

आंखों की समस्याओं को कैसे मैनेज करें?

डॉ. नेहा कहती हैं, “अगर ब्रेन में क्लॉटिंग होती है, तो उसे टीके या दवाइयों से ठीक किया जाता है। अगर ब्लीडिंग की वजह से होता है, तो इसका कारण पता करके इलाज किया जाता है। कई बार ब्रेन में प्रेशर बनने के कारण आंखों पर असर पड़ता है, इसलिए समय-समय पर ब्रेन का प्रेशर चेक करते रहना चाहिए। अगर आंखों की पुतलियां एक जैसी नहीं रहती है, तो यह ब्रेन पर प्रेशर बनने के कारण होता है। इस स्थिति में सर्जरी या दवाइयां दी जाती हैं। इमरजेंसी के बाद रिहेब बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें आंखों की कसरत की जाती है। आंखों को चारों तरफ घुमाने की कसरत कराई जाती है। कई बार विजुअल कार्ड्स के द्वारा आंखों का विजन ठीक किया जाता है।”

All Image Credit: Freepik

 

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