Causes Of Uterine Contractions During Pregnancy In Hindi: गर्भाशय की मांसपेशियों में कभी टाइटनेस होता है, तो कभी ढीलापन महसूस करना। इसे ही गर्भाशय में संकुचन कहा जाता है। लगभग हर महिला गर्भाशय में संकुचन से गुजरती हैं। इसके पीछे मुख्य रूप से हार्मोनल बदलाव जिम्मेदार होते हैं। हार्मोन जैसे ऑक्सीटोसिन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरान आदि। हालांकि, ध्यान रखें कि महिलाओं में गर्भाशय में संकुचन प्रेग्नेंसी के दौरान होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रेग्नेंसी के किस चरण में गर्भाशय में संकुचन होता है और इसके पीछे होने के मुख्य कारण क्या हैं? आइए, जानते हैं क्या कहते हैं Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता।
प्रेग्नेंसी में क्यों होता है गर्भाशय में संकुचन?- What Causes Uterine Contractions During Pregnancy In Hindi
प्रेग्नेंसी में गर्भाशय में संकुचन होना बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि गर्भाशय लेबर के लिए तैयार है और बच्चे को बहर की ओर धकेलने के लिए भी उसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। गर्भाशय में संकुचन की मदद से शिशु को बाहर की ओर निकलने में मदद मिलती है। इस तरह के गर्भाशय में संकुचन के पीछे हार्मोनल बदलाव को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है। इसे समझते हैं और विस्तार से-
लेबर पेन
गर्भाशय में संकुचन का एक कारण लेबर पेन होता है। गर्भाशय में संकुचन के जरिए यूट्रस और सर्विक्स लेबर के लिए तैयार हो रहे होते हैं। इसके साथ ही ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन भी शुरू हो जाता है। यह एक ऐसा दर्द होता है, जो लेबर के दौरान रह-रह उठता है और यह बहुत तीव्र नहीं होता है। माना जाता है कि ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन भी गर्भाशय की मांसपेशियों और सर्विकल को सॉफ्ट बनाने में मदद करता है, ताकि डिलीवरी आसानी से हो सके।
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सर्विक्स डाइलेशन
जैसे-जैसे लेबर पेन बढ़ता जाता है यानी डिलीवरी का समय नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे गर्भाशय में संकुचन भी बढ़ता जाता है। इस दौरान अति तीव्र दर्द होने लगता है, दर्द बार-बार होता है और यह दर्द लंबे समय के लिए बना रहता है। ध्यान रखें कि लेबर पेन कंसिस्टेंट नहीं होता है। यह दर्द कभी बढ़ता है, तो कभी घटता है। ये तमाम स्थितियां सर्विक्स को डाइलेट करती है, उसे पता बनाती है, ताकि प्रसव के दौरान शिशु आसानी से बाहर निकल सके।
हार्मोनल बदलाव
लेबर पेन और डिलीवरी के दौरान महिला के शरीर में तमाम किस्म के बदलाव होते हैं। इस समयावधि में उन्हें कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव का भी सामना करना पड़ता है। असल में, गर्भाशय में संकुचन और लेबर पेन को ट्रिगर करने में ऑक्सिटोसिन जैसे हार्मोन अहम भूमिका निभाते हैं। इस तरह के हार्मोन की वजह नेचुरल डिलीवरी सामान्य प्रक्रिया की मदद से संभव हो पाती है।
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अर्ली प्रेग्नेंसी में गर्भाशय में संकुचन हो तो क्या करें
वैसे तो प्रेग्नेंसी के किसी भी समय गर्भाशय में संकुचन का अहसास हो सकता है। खासकर, दूसरी और दूसरी तीसरी तिमाही में ऐसा होना सामान्य होता है। कभी-कभी इसे फॉल्स लेबर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि गर्भाशय में संकुचन होने पर लेबर पेन शुरू हो जाता है, जिसे महिलाएं लेबर पेन समझ बैठती हैं। अगर किसी महिला को अर्ली प्रेग्नेंसी में बार-बार इस तरह की समस्या हो यानी गर्भाशय में संकुचन हो और उन्हें रह-रह कर दर्द का अहसास बना रहता है, तो उन्हें इस संबंध में डॉक्टर से मिलकर अपना ट्रीटमेंट करवाना चाहिए।
FAQ
प्रेग्नेंसी में संकुचन का मतलब क्या होता है?
प्रेग्नेंसी में संकुचन होने पर गर्भाशय की मांसपेशियां कस जाती हैं और फिर शिथिल हो जाती हैं। ऐसा प्रसव के पहले चरण में हो सकता है। इसका मतलब है कि शिशु जन्म के लिए तैयार है और कभी-भी डिलीवरी हो सकती है।हल्के गर्भाशय संकुचन क्या होता है?
गर्भाशय संकुचन लेबर पेन के कारण होता है।संकुचन के दौरान बच्चा क्या करता है?
संकुचन के दौरान गर्भ में पल रहा शिशु भी बाहर निकलने की कोशिश करता है। डिलीवरी होने की यह सामान्य प्रक्रिया होती है।