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प्रेग्नेंसी में गर्भाशय बढ़ने से दूसरे अंगों पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

प्रेग्नेंसी में महिलाओं के किन अंगो पर दबाव पड़ता है। आगे जानते हैं हर तिमाही में पड़ने वाले प्रभाव
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प्रेग्नेंसी में गर्भाशय बढ़ने से दूसरे अंगों पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर


प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समय मां के गर्भ में भ्रूण का आकार तेजी से बढ़ रहा होता है। प्रेग्नेंसी में बच्चे का आकार बढ़ने के साथ ही महिलाओं के शरीर के अन्य अंगों पर दबाव पड़ता है। इसकी वजह से कुछ अंग अपने स्थान से थोड़ा हिल सकते हैं। प्रेग्नेंसी में औसतन महिलाओं को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। साईं पोलिक्लीनिक की स्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से जानते हैं गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर के किन अंगों पर दबाव पड़ता है। 

जब आप गर्भवती होती हैं तो आपके अंगों का क्या होता है?

गर्भावस्था के दौरान, आपका शिशु गर्भाशय के अंदर तेजी से बढ़ रहा होता है। महिलाओं का गर्भाशय आमतौर पर खाली होता है, लेकिन यह मांसपेशियों से कवर होता है। फर्टिलाइज एक गर्भाशय की दीवार पर अटैच होता है और यह प्रेग्नेंसी में बच्चे के विकास में मदद करता है। आमतौर पर, गर्भाशय लगभग 3 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा होता है। प्रेग्नेंसी से पहले इसके आकार को नींबू के आकार के बराबर माना जाता है। लेकिन, प्रेग्नेंसी का समय बढ़ने के साथ ही अंगों का आकार तेजी से बदलने लगता है। बच्चे के बढ़ने के साथ ही गर्भाशय का आकार भी बढ़ने लगता है। गर्भाशय प्रेग्नेंसी से पहले नाभि के नीचे होता है, लेकिन जब आप डिलीवरी के नजदीक होती हैं, तो यह आपकी पसलियों तक फैल जाता है। इस समय तक आपका गर्भाशय तरबूज के आकार का हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान छोटी बड़ी आंतें, ब्लैडर, पेट और किडनी पर दबाव पड़ता है। 

pregnancy impacts on organs

पहली तिमाही के दौरान क्या होता है?

पहली तिमाही में महिलाओं के शरीर में तेजी से बदलाव हो रहा होता है। इस दौरान हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। इस समय बच्चे की रीढ़ की हड्डी, ब्रेन, नर्वस सिस्टम, और अन्य अंगों का विकास हो रहा होता है। इस समय पेट का आकार बेहद कम बाहर की ओर निकलता है। लेकिन, आप अपने पेट और स्तनों पर बदलाव महसूस कर सकते हैं। आपको बार-बार यूरिन जाने की इच्छा होती है। ऐसा ब्लैडर पर दबाव के कारण होता है। 

दूसरी तिमाही के दौरान क्या होता है?

दूसरी तिमाही में बच्चा बाहर की आवाज को सुनना शुरू कर देता है। इसके अलावा, बच्चा किक करने लगता है। दूसरी तिमाही में गर्भाशय पेल्विक एरिया से बाहर की ओर आ जाता है। दूसरी तिमाही तक बच्चे का आकार एक बड़े फल जितना हो जाता है। इस स्थिति में महिलाओं के ब्लैडर पर दबाव बढ़ जाता है, और आपको और भी अधिक बार पेशाब करना पड़ सकता है। इसके साथ ही महिलाओं को पीठ और कूल्हे में दर्द महसूस होने लगता है। 

तीसरी तिमाही के दौरान क्या होता है?

तीसरी तिमाही में आपके बच्चे का विकास अंतिम चरण में पहुंच जाता है। ऐसे में गर्भाशय का आकार लगभग पूरी तरह से बढ़ चुका होता है। ऐसे में किडनी और पेट के अन्य अंगों पर दबाव पड़ने लगता है। यह दबाव फेफड़ों, पसलियों और हार्ट तक पहुंचने लगता है। इस दौरान महिलाओं को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। 

डिलीवरी के दौरान क्या होता है?

डिलीवरी से पहले गर्भाशय में संकुचन होने लगता है। इसके बाद बच्चे की डिलीवरी हो जाती है। डिलीवरी के बाद गर्भाशय का आकार वापस सही आकार में आने लगता है। 

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प्रेग्नेंसी में महिलाओ को कई तरह समस्याओं को लक्षणों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान शरीर के अंगों पर दबाव बढ़ने लगता है। लेकिन, डिलीवरी के बाद इस समस्या में महिला को आराम मलिने लगता है। 

 

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