प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक खास अहसास होती है। इस दौरान पहली बार प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं को अलग-अलग तरह के लक्षणों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के हर पड़ाव में महिलाओं को अलग-अलग तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से उनको जी मिचलाने, पेट में दर्द, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और चक्कर आने जैसे कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्रेग्नेंसी को तीन अलग-अलग पड़ाव में बांटा जाता है। कई बार पहली तिमाही के लक्षण दूसरी में नहीं दिखाई देते हैं। इस तरह दूसरी तिमाही के लक्षण तीसरी तिमाही तक आते-आते खत्म हो जाते हैं। लेकिन, कुछ महिलाओं को तीसरी यानी अंंतिम तिमाही में सांस से जुड़ी समस्या और सूजन की वजह से परेशान होना पड़ता है। इस लेख में अपोलो अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ तृप्ती दूबे से जानते हैं कि तीसरी तिमाही में तीसरी तिमाही में सांस फूलने और सूजन के क्या कारण हो सकते हैं?
तीसरी तिमाही में सांस की तकलीफ और सूजन के क्या कारण हो सकते हैं? - Causes Of Shortness Of Breath And Edema In Pregnancy Third Trimester In Hindi
गर्भाशय का बढ़ना (Expanding Uterus)
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाओं का गर्भाशय का आकार बढ जाता है। इसकी वजह से यह कुछ महिलाओं के डायाफ्राम को ऊपर की तरफ दबाने लगता है। इस दवाव की वजह से महिला के फेफड़े पूरी तरह से खुल नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। ठीक इसी तरह से बढ़ा हुआ गर्भाशय पेल्विक एरिया में स्थित निचली नसों (जैसे इनफीरियर वेना कावा) पर दबाव डालता है, जिससे टांगों से हार्ट की ओर ब्लड प्रवाह धीमा हो जाता है और सूजन हो सकती है।
हार्मोन में बदलाव
प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को संवेदनशील बना सकता है। ऐसे में महिलाओं को गहरी सांस लेने की जरूरत होती है, जिससे उनको सांस फूलने (Shortness of Breath) का अहसास हो सकता है। ठीक इसी तरह हार्मोन में बदलाव की वजह से प्रेग्नेंट महिला के शरीर में फ्लूइड स्टोर (Fluid Retention) होने लगते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में महिला के पैरों, टखनों और हाथों में जमा हो जाता है, जिससे सूजन आ जाती है।
एक पोजीशन में देर तक खड़े रहना
किसी एक पोजीशन में लंबे समय तक खड़े रहने से प्रेग्नेंट महिलाओं को पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है। एक जगह पर देर तक बैठने से गर्भाशय की वजह से फेफड़ों पर भी दबाव हो सकता है।
एनीमिया (Anemia)
तीसरी तिमाही में शरीर की ऑक्सीजन की जरूरतें बढ़ जाती हैं। यदि महिला को आयरन की कमी (एनीमिया) होती है, तो शरीर में ऑक्सीजन का सामान्य लेवल कम हो सकता है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। एनीमिया की वजह से भी शरीर की सामान्य प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है जो सूजन का कारण बन सकती है।
गलत डाइट का असर
अत्यधिक नमक का सेवन और प्रोटीन की कमी भी शरीर में वाटर रिटेनशन होने का एक कारण हो सकता है। यह किडनी के काम में बाधा डालता है और सूजन को बढ़ावा देता है। इस तरह जिन महिलाओं को खाने की किसी चीज से एलर्जी होती है, उनको उन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह एलर्जी और सांस से जुड़ी समस्या का कारण बन सकती है।
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तीसरी तिमाही में सांस की तकलीफ और सूजन सामान्य लक्षण हो सकते हैं, लेकिन यदि यह लक्षण अधिक गंभीर लगें, तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर डॉक्टर से संपर्क कर आप इन समस्याओं से बचाव कर सकते हैं। ज्यादातर महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद सूजन और सांस से जुड़ी समस्याए अपने आप ही ठीक हो जाती हैं।