Benefits Of Walking During Pregnancy Third Trimester In Hindi: प्रेग्नेंसी में वॉक करने की सलाह हर कोई देता है। यहां तक कि एक्सपर्ट भी प्रेग्नेंट महिलाओं को हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और वॉक करने को कहते हैं। वॉक करने की वजह से महिलाओं की मेंटल-फिजिकल हेल्थ पर बहुत गहरा असर पड़ता है। वैसे भी इन दिनों महिलाओं के लिए शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, हार्मोन में उतार-चढ़ाव होते हैं। इससे उनका मूड भी प्रभावित होता है। ऐसे में अगर प्रेग्नेंट महिलाएं नियमित रूप से वॉक करती हैं, तो उनकी सेहत में पॉजिटिव बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यहां यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि क्या प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाह में भी वॉक करना चाहिए? कहीं इसका सेहत पर बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ता है और इससे बच्चे की सेहत पर किस तरह का असर पड़ सकता है? इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
तीसरी तिमाही में आपको कितना चलना चाहिए?- How Much Should You Walk In Third Trimester In Hindi
सीके बिड़ला हॉस्पिटल की डॉ. प्रियंका सुहाग कहती हैं, "अगर कोई महिला तीसरी तिमाही में वॉक शुरू कर रही है, तो उन्हें सप्ताह में चार से छह दिन रोजाना 20 से 50 मिनट तक पैदल चलना चाहिए। शुरुआती दिनों में प्रेग्नेंट महिलाओं को वॉक करने की गति धीमी रखनी चाहिए। इसे धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। लेकिन, वॉक की गति अपनी सेहत के अनुसार ही बढ़ाएं। अगर आप जल्दी थकान महसूस करती हैं या फिर तेज वॉक करते हुए सांस फूलती है, तो गति बढ़ाने से बचें। अगर एक साथ 20 से 50 मिनट तक वॉक करना संभव नहीं होता है, तो आप दिन में कई बार वॉक करने जा सकती हैं, लेकिन सेशंस को छोटा रखें।"
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प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में वॉक करने के फायदे- Benefits Of Walking During Pregnancy Third Trimester In Hindi
बैक पेन से राहत मिलती है- Reduce Back Pain And Strengthening Back Muscles
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को शरीर के कई हिस्सों में बहुत दर्द रहता है। खासकर, पीठ के निचले हिस्से में। इसे चाहकर भी इग्नोर नहीं किया जा सकता है। डॉ. प्रियंका सुहाग बताती हैं, ऐसी स्थिति में, अगर महिला रेगुलर वॉक करती है, तो इससे उसकी सेहत में सुधार होता है और बैक पेन से भी राहत मिलती है। मांसपेशियां मजबूत और फ्लेक्सिबल होती हैं।
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मेंटल हेल्थ में सुधार होता है- Improves Mental Health
एक्सपर्ट कहते हैं कि एक्सरसाइज या वॉक करने से फील गुड हार्मोन रिलीज होता है। इससे मूड अच्छा रहता है। डॉ. प्रियंका सुहाग के अनुसार, "प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादातर महिलाएं चिड़चिड़ी और परेशान रहती हैं। ऐसा शरीर में हो रहे हार्मोन में बदलाव के कारण होता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में हो रहे चेंजेस को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। लेकिन, यह सच है कि वॉक करने से मूड फ्रेश फील होता है।"
एनर्जी लेवल बूस्ट होता है- Boost Energy Levels
डॉ. प्रियंका सुहाग आगे बताती हैं, "प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर महिलाएं बहुत डल और कमजोरी महसूस करती है। कभी-कभी वह कुछ काम न करके भी इतना थकान महसूस करती है कि उन्हें बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता है। जबकि बिस्तर में सारा दिन लेते रहना प्रेग्नेंट महिला के लिए सही नहीं है। वहीं, अगर महिला स्प्ताह में छह दिन वॉक करती है, तो एनर्जी बूस्ट होती है और थकान भी कम महसूस होती है।"
सिजेरियन का रिस्क कम होता है- Reduce Risk Of Emergency Cesarean Section
मौजूदा समय में ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत बढ़ गई है, जिन्हें किसी न किसी वजह से डिलीवरी के समय सिजेरियन करवाना पड़ता है। सिजेरियन डिलीवरी बहुत रिस्की होती है और कई बार यह बच्चा और मां के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। National Institutes of Health (NIH) (.gov) में प्रकाशित लेख के अनुसार, "अगर रेगुलर कोई महिला अपनी तीसरी तिमाही में वॉ करती है, तो उन्हें सिजेनियर का रिस्क कम हो जाता है और नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।"
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