प्रेग्नेंसी में पैदल टहलने (वॉक करने) से मिलेंगे कई फायदे, लेकिन ये सावधानियां हैं जरूरी

प्रेग्नेंसी के दौरान टहलना एक अच्छी आदत है। टहलने से आपको कई फायदे मिलते हैं, लेकिन आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Monika Agarwal
Written by: Monika AgarwalUpdated at: Jun 06, 2021 00:15 IST
प्रेग्नेंसी में पैदल टहलने (वॉक करने) से मिलेंगे कई फायदे, लेकिन ये सावधानियां हैं जरूरी

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गर्भावस्था में आपका ऊर्जा स्तर थोड़ा काम रहता है। अपने बढ़े हुए पेट और कम एनर्जी लेवल की वजह से आपको थकान महसूस होती है और आप का शरीर अधिक आराम करना चाहता है। गर्भावस्था (Pregnancy) की वजह से बढ़ता वजन काफी समस्याओं को निमंत्रण दे सकता है इसलिए इस दौरान हल्का-फुल्का व्यायाम करना गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए बहुत जरूरी है। डॉक्टर रंजना बैकन, गायनेकोलॉजिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के अनुसार गर्भवती महिलाओं को कम से कम ढाई घंटा प्रत्येक सप्ताह तेज गति या मध्यम गति से टहलना जरूरी है। यही नहीं शारीरिक गतिविधियों में उनके लिए एरोबिक, योगा करना भी फायदेमंद है। अगर आप हेल्दी हैं और आप नॉर्मल गर्भावस्था हैं तो वॉक करने का विकल्प सबसे सुरक्षित विकल्प है। मध्यम गति वॉक करने से समय से पहले डिलीवरी, कम वजन का बच्चा या गर्भपात जैसी समस्या नहीं होती। 

pregnancy walk

प्रेग्नेंसी में वॉक करने के फायदे (Benefits)

प्रेगनेंसी के दौरान अगर आप चलती हैं तो आपकी फिटनेस पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे ब्लड सर्क्युलेशन भी अच्छा रहता है। इसके अलावा चलने से मसल्स को टोन होने में मदद मिलती है। इसके अलावा प्रग्नेंट महिला को कई निम्न फायदे मिलते हैं। 

  • पीठ दर्द को काफी कम करने में मदद मिलती है।
  • कब्ज की समस्या दूर होती है।
  • नॉर्मल डिलीवरी के चांसेस बढ़ते हैं।
  • महिला को डायबिटीज का खतरा नहीं होता।
  • ज्यादा वजन नहीं बढ़ता।
  • खून के थक्के नहीं जमते।
  • डिलीवरी के बाद वजन कम करने में मदद मिलती है।

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प्रेगनेंट महिलाओं को कितनी देर टहलना चाहिए?

महिलाओं के मन में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि प्रग्नेंसी के दौरान कितना और कब तक चलना चाहिए। तो यहां हमारे पास आपके इस सवाल का जवाब भी है। बता दें आप हफ्ते में पांच दिन, कम से कम दिन में दो बार 15 से 30 मिनट तक टहल सकती हैं। कुछ दिनों में अपनी चलने की आदत को बढ़ाइए और एक लंबी सैर के लिए भी निकल सकती हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे डालें चलने की आदत?

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प्रेगनेंसी के दौरान योग करना फायदेमंद होता है। आप कितना चलती हैं वो इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी प्रेगनेंसी किस महीने में चल रही है।

  • पहले तीन महीने- प्रेगनेंसी के पहले 12 हफ्ते तक चलने की आदतों और योग करने के तरीकों से अलग होती है। आप आरामदायक जूते पहनें। इससे आपके गिरने का खतरा कम रहेगा। बढ़ते समय के साथ चलने की स्पीड बढाएं। आप इन दिनों 10 से 15 मिनट चल सकती हैं। 
  • बीच के तीन महीने- बीच के तीन यानी के चार से छह महीने के बीच आपको अपने शरीर की मुद्रा की ओर ध्यान देने की जरूरत है। ताकि पीठ में खिंचाव ना हो। आप बेली सपोर्ट बैंड आजमा सकती हैं। सूजन से बचने के लिए रूक रूक कर चलें। लेकिन पहले के तीन महीनों की तरह ही इन तीन महीनों में भी चलने की गति को तेज ही रखें।
  • आखिरी के तीन महीने- आप सातवें से नौवें महीने तक हर रोज की तरह अपने चलने की आदत को जारी रखिये। बेली बेल्ट का प्रयोग करें। ज्यादा देर चलने से अच्छा है थोड़ा थोड़ा ब्रेक देकर चले और अगर आपकी डिलीवरी की तारीख पास में है तो किसी सदस्य को साथ में लेकर चलें। अगर चलते समय पीठ में दर्द हो तो डॉक्टर से सम्पर्क करें। 

ये टिप्स आएंगी काम

बेबी बम्प के चलते आपके कदम छोटे हो सकते हैं। अगर आपको तकलीफ हो रही है तो कम चलें और अपनी रफ्तार भी कम करें। इसके आलावा आपको कौन सी सावधानियां बरतनी हैं, ये भी जान लेते हैं।

  • चलते समय आरामदायक जूतों का चयन करें।
  • अपनी स्किन पर SPF 30 की सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
  • खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएँ।
  • चलने से लगभग 30 मिनट पहले भरपेट नाश्ता करें।
  • टहलने के लिए किसी सही स्थान का चयन करें।

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कब पड़ेगी डॉक्टर की जरूरत (When to Call A Doctor)

वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की जरूरत आपको कभी भी किसी भी समय पर पड़ सकती है। लेकिन जब आपको खतरे की घंटी नजर आये तो बिना देर किये डॉक्टर से कांटेक्ट कीजिये। 

  • अगर योनी से खून बहे।
  • चलते चलते चक्कर महसूस हो।
  • चलने से पहले सांस लेने में तकलीफ हो।
  • सीने में दर्द और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो।

प्रेगनेंसी के दौरान अगर आप भी वॉक करती हैं, तो इससे पहले इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में जरुर जान लें। वॉक करना हरेक के लिए फायदेमंद है लेकिन परेशानी बढ़ने लगे तो इसे रोक देना ही बेहतर है। क्योंकि खुद के साथ होने वाले बच्चे को स्वस्थ्य रखना सिर्फ आपके ही हाथ में हैं।

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