मां बनना हर महिला का सपना होता है। वे महिलाएं जो पहली बार मां बन रही हैं, उनकी तो हर छोटी सी बड़ी चीज के लिए परिवार और महिला खुद बहुत सावधानी बरतते हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही में जब किसी महिला को ब्लीडिंग होती है, तो वह घबरा जाती है। अव्वल तो विशेषज्ञों का मानना है कि पहली तिमाही में ब्लीडिंग होना आम बात है, लेकिन यह ब्लीडिंग जरूरत से ज्यादा हो रही है तो यह समस्या बन सकती है। ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में ब्लीडिंग की समस्या को देखती हैं। शुरुआती ब्लीडिंग के कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हमने दिल्ली के तारावती अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कुसुम सबरवाल से बात की। उन्होंने बताया कि शुरुआती ब्लीडिंग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वो समय नहीं रहा जब औरतों को गर्भावस्था के दौरान छोटी-मोटी दिक्कतें होती थीं, पर परिवार नजरअंदाज कर देते थे। आज के समय में हर प्रेग्नेंसी मूल्यवान है। इसलिए हर छोटे से छोटे बदलाव को गंभारीता से लेना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग के कारण
डॉ. सबरवाल का कहना है कि प्रेग्नेंट महिला के लिए शुरूआती तीन महीने बहुत मूल्यवान होते हैं। इस दौरान महिला का प्लेसेंटा (बीजांडासन) फॉर्म हो रहा होता है। इसलिए इन तीन महीनों में महिला को अपना विशेष ध्यान रखना होता है। पहली तिमाही में रक्तस्राव के निम्न कारण हैं-
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1. बच्चे में असामान्यता
डॉ. कुसुम सबरवाल का कहना है कि प्रेग्नेंट महिला को शुरू के तीन महीने में अगर ब्लीडिंग हो रही है और यह हैवी ब्लीडिंग है तो इसका मतलब है कि बच्चे में कोई अमान्यता (Abnormality) है, जिसे नेचर खुद निकालना चाहती है। बच्चा किसी वजह से खराब हो गया है, जिसकी वजह से ब्लीडिंग हो रही है।
2. ज्यादा वजन उठाने पर
शुरुआती तीन महिने में ब्लीडिंग ज्यादा वजन उठाने पर भी हो सकती है। डॉक्टर का कहना है कि पहले महिलाओं का खानपान ठीक होता था, लेकिन अब खानपान और पर्यावरण प्रदूषित हुआ है, जिस वजह से यह समस्याएं बढ़ी हैं। पहली तिमाही में ज्यादा वजन उठाने या ऐसे घरेलू काम करना जिससे महिला के निचले जननांगों पर दबाव पड़ता है उससे ब्लीडिंग होती है।
3. कब्ज होने पर
स्त्री रोग विशेषज्ञ हमेशा सलाह देती हैं कि प्रेग्नेंसी में कब्ज नहीं होनी चाहिए। कब्ज होने से महिला को कई दिक्कतें होती हैं। कई बार पहली तिमाही में ब्लीडिंग होना भी इसका कारण बन सकती है।
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4. प्लेसेंटा की पोजीशन
डॉ. कुसुम के मुताबिक पहली तिमाही में प्लेसेंटा (Placenta) अगर नीचे होता है तब भी महिला को ब्लीडिंग हो सकती है। शुरुआती प्रेग्नेंसी अगर ब्लीडिंग हो जाए तो बच्चा विकसित नहीं होता। जिससे बच्चा वैसे ही खराब हो जाता है।
5. हार्मोन की कमी
कभी-कभी हार्मोन की कमी की वजह से भी प्रेग्नेंट महिला को ब्लीडिंग होने लगती है। हार्मोन कम होने पर हार्मोन सप्लीमेंट कराना होता है, जिससे हार्मोन की समस्या से छुटकारा पाया जाता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने तक महिलाओं को अपना विशेष ख्याल रखने की जरूरत है।
6. संबंध बनाने से
प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने में अगर पति-पत्नी संबंध बनाते हैं, तब भी ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि संबंध बनाने से महिला को नीचे दबाव पड़ता है और ब्लीडिंग होती है। इसलिए डॉक्टर हमेशा पहली तिमाही में संबंध बनाने से मना करते हैं।
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7. उल्टी होने पर
गर्भावस्था में उल्टी की समस्या को महिलाएं अक्सर अनुभव करती हैं। डॉक्टर का कहना है कि उल्टी होने पर महिला को नीचे दबाव पड़ता है जिससे उसे ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए अगर उसे उल्टी हो रही है तो डॉक्टर के पास जाना चाहिेए। उस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
क्या है उपाय (What is the treatment)
प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने बहुत जरूरी होते हैं, इसलिए इन तीन महीनों में परिवार को महिला का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पहली तिमाही में ब्लीडिंग न हो, उसके लिए गाइनाकॉलोजिस्ट ने निम्न उपाय बताए हैं-
बेड रेस्ट करें
डॉक्टर का कहना है कि शुरुआती तीन महीने बहुत प्रिशियस होते हैं, इसलिए महिला को पूरी तरह से रेस्ट करना चाहिए। ये तीन महीने उसके शरीर में कई चीजों को बना रहे होते हैं, जिस पर उसकी स्वस्थ प्रेग्नेंसी निर्भर कर रही होती है। इस दौरान ऐसे कोई काम नहीं करने चाहिए, जिससे महिला को नीचे की ओर दबाव हो। इस तरह से ब्लीडिंग की समस्या को रोका जा सकता है।
डॉक्टर की सलाह लें
प्रेग्नेंसी के शुरुआत से ही महिला को डॉक्टर के पास जाना चाहिए। समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं करना चाहिए। अगर पहली बार ब्लीडिंग हुई है तब भी डॉक्टर से मिलना चाहिए और उसकी रोकथाम शुरू करनी चाहिए। डॉक्टर का कहना है कि अगर पहली बार ब्लीडिंग होने पर महिला ने आराम नहीं किया तो यह समस्या और बढ़ती चली जाएगी।
लेटने की पोजीशन
जिस महिला को प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग शुरू हो गई है, उसे करवट होकर लेटना चाहिए। सीधा होकर नहीं। करवट होकर लेटने से बच्चेदानी की पोशनिंग से संबंधित अगर कोई दिक्कत होती है, तो वह भी ठीक हो जाती है। बाकी ज्यादा दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
वजन वाले काम न करें
प्रेग्नेंट महिला को शुरुआती तीन महीने तक ऐसे काम करने की मनाही की जाती है जो वजन वाले होते हैं। वजन काम से महिला को नीचे दबाव पड़ता है जिससे ब्लीडिंग की दिक्कत होती है। तीन महीने के बाद महिला हल्के फुल्के घरेलू काम कर सकती है। वैसे तो डॉक्टर छह महीने तक ज्यादा वजन वाले काम करने के लिए मना करते हैं। चार महीने बाद प्लेसेंटा बन जाता है। जिससे दिक्कत कम होती है।
अच्छी डाइट लें
शुरुआती ब्लीडिंग, उल्टी या कब्ज जैसी परेशानियों से बचने के लिए महिलाओं को अच्छी डाइट लेनी चाहिए। ऐसा अक्सर होता है कि इन दिनों में महिलाओं को कुछ खाने का मन नहीं करता। तो ऐसे में उनमें खून की कमी हो जाती है। इस परेशानी से बचने के लिए उन्हें अच्छी डाइट लेनी चाहिए। अगर रोटी सब्जी पसंद नहीं आ रही है तो खाने के तरीके बदलने चाहिए। इस दौरान खाने के मामले में महिला को ज्यादा नखरा नहीं करना चाहिए। उन्हें अपना और अपने बच्चे का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए सीजनल फ्रूट्स, हरी सब्जियां, ड्राइ फ्रूट्स खाते रहना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में ज्यादा ब्लीडिंग होना आम बात नहीं है। पहली बार ही दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बहुत बार इंफेक्शन या ज्यादा दवाओं की वजह से भी ब्लीडिंग होने लगती है। इसलिए शुरूआती समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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