‘’मुझे वो दिन अच्छे से याद है जिस दिन मेरा खतना हुआ था। मुझे मुंबई की भिंडी बाजार में एक काली, पुरानी सी बिल्डिंग में ले जाया गया। फर्श पर मुझे लिटा दिया गया। वहां मौजूद औरत ने मुझे मेरी पैंटी निकालने को कहा, मैं डर रही थी, तब मेरी मां ने कहा कि कुछ नहीं होगा, पैंटी उतार दो। इसके बाद उस औरत (Midwife) ने एक काला सा बक्सा निकाला और उसमें से कुछ औजार। इसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ याद नहीं। लेकिन इस काम के बाद जब मैं अपनी ग्रैंड मदर के घर पहुंची और थोड़ी देर बाद पेशाब करने गई तो मैं चीख पड़ी। मुझे वो चीख याद है। पेशाब करते समय मुझे इतनी जलन और दर्द हो रहा था कि वो मुझसे सहा नहीं जा रहा था।’’ 65 साल की फाखेरा मर्चेंट को अपने साथ हुई इस अमानवीय घटना का घटनाक्रम हूबहू याद है। फाखेरा का कहना है कि ये प्रैक्टिस आज भी एक रिवाज की तरह फॉलो की जा रही है। दूसरा लोगों को लगता है कि औरतों का खतना नितान्त धार्मिक मामला है।
ओन्ली माई हेल्थ के साथ एक खास बातचीत में फाखेरा ने बताया कि बच्चियों का खतना कराने का काम मांओं को दिया जाता है क्योंकि बच्ची मां पर सबसे ज्यादा विश्वास करती है। मां जो कहेगी बच्ची वही करेगी। लेकिन मां को खुद नहीं मालूम होता कि ये प्रथा क्यों चली आ रही है। फाखेरा कहती हैं कि मेरी मां भी असंवेदनशील नहीं थीं, उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि ये एक परंपरा थी। फाखेरा के साथ जो हुआ यही ‘खतना’ दावूदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में आज भी चल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो आज भी 200 मिलियन से अधिक लड़कियों को 30 से अधिक देशों में खतना (Female genital mutilation FGM) का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है महिलाओं का खतना (What is female genital mutilation)
अफ्रीका, मिडल ईस्ट और एशिया में महिलाओं के जननांगों को काटने की प्रथा आज भी चल रही है। यह काम 15 साल तक की लड़कियों के साथ होता है। खतना में महिलाओं के जननांगों के बाहरी संवेदनशील अंगों के हिस्सों को काटा, सिला या छीला जाता है। यह काम बिना किसी डॉक्टरी प्रशिक्षण के होता है। यह पूरी प्रक्रिया बहुत दर्दनाक होती है। क्योंकि योनि के आसपास के सभी ऊतक बहुत संवेदनशील होते हैं। दूसरा एक-दूसरे से नसें जुड़ी होती हैं, जो बहुत संवेदनशील होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) के मुताबिक महिलाओं में खतना चार प्रकार का होता है। ये प्रकार निम्न हैं-
टाइप 1- इसमें योनी (Vagina) के क्लिटोरल ग्लैंड ( CLITORAL GLAND) को पूरी तरह से या थोड़ा सा हिस्सा हटाया जाता है। क्लिटोरल ग्लैंड योनी के सबसे ऊपर वाला हिस्सा होता है। जो देखने पर आराम से दिख जाता है। क्लोटोरिस ऑर्गैज्म (Orgasm) के लिए अनिवार्य पार्ट होता है।
टाइप 2- इस प्रकार में क्लिटोरल ग्लैंड और लाबिया माइनोरा (Labia minora) को पूरी तरह से या थोड़ा हिस्सा हटाया जाता है। लाबिया मेजोरा योनि में बड़े होठों के साइज का दिखता है। इस हिस्से पर प्यूबिक हेयर आते हैं। लाबिया माइनोरा वजाइना के पास वाला हिस्सा होता है। यह लाबिया मजोरा के अंदर होते हैं। इनका साइज 2 इंचिस तक का होता है। लाबिया माइनोरा तक रक्त का अच्छा संचार उसे गुलाबी रंग देता है।
टाइप 3- लाबिया मेजोरा (Labia majora) को पूरी तरह सिल देना या उतना सिलना जिससे केवल पेशाब या माहवारी के लिए जगह बचे। इसमें क्लीटोरिल हुड को कई बार हटाया जाता है और कई बार हटाया नहीं भी जाता।
टाइप 4- एफजीएम के इस प्रकार में जननांग क्षेत्र को जला कर,सुई से घोंप कर या खुरच कर अंगच्छेद करना शामिल है। ये वाला टाइप सबसे कम देखने को मिलता है।
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क्यों चल रही है खतना की प्रथा?
महिलाओं के जननांगों को काटने की प्रथा के पीछे कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो इसके सामाजिक-सांस्कृतिक कारण हैं। यह एक परंपरा है, जिसे लोग मानते आ रहे हैं। दुबई की रहने वाली 32 साल की शकीना (बदला हुआ नाम) का कहना है कि बहुत से देशों में खतना प्रतिबंधित है, लेकिन फिर भी यह प्रथा चल रही है। शकीना अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं कि उनके माता-पिता दुबई से भारत से उन्हें घुमाने लाए थे, लेकिन तब यहां मुंबई में उनका खतना किया गया। शकीना की उम्र तब 7 साल थी। वे बताती हैं कि मिडल ईस्ट में महिलाओं का खतना प्रतिबंधित है, इसलिए मुझे भारत लाया गया था। अब शकीना भारत में ही नौकरी करती हैं।
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‘सैक्शुअलिटी को कंट्रोल करने के लिए किया गया था खतना ’
शकीना कहती हैं कि महिलाओं के खतना करने के पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर केवल नुकसान ही होता है। शकीना अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं कि मेरा खतना 7 साल की उम्र में किया गया। मुझे किसी दाई (Midwife) के पास लेकर गए थे। वहां मुझे करीब 4 औरतों ने पकड़ा। क्योंकि बच्चे के जरा सा हिलने की वजह से योनि का कोई भी हिस्सा कट सकता था। मेरी क्लिटोरल हुड छीला गया। उस समय मैं कुछ नहीं कर सकती थी बस रो रही थी। उसे एक खराब सपना समझकर भूल गई। जो लोग इस प्रैक्टिस को करते हैं उनका मानना है कि ऐसा करने से लड़की हाथ से नहीं निकलेगी। लड़कियों की सैक्शुल लाइफ को कंट्रोल करने के लिए ये किया जाता है।
शकीना कहती हैं कि ये प्रैक्टिस गलत है। अगर ये एक परंपरा ही है तो लड़कियों को अपने शरीर के साथ क्या करना है, इसका अधिकार होना चाहिए। यहां ये प्रक्रिया नॉन प्रोफेशनल तरीके से की जाती है। जिसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। योनि में कई नर्व्स (तंत्रिकाएं) होती हैं। जितनी नर्व होती हैं, उतना खून भी तो बहेगा। जब मेरे साथ ये हुआ था तब मुझे याद है कि सारे कॉटन खून में लथपथ मेरे पास पड़े हुए थे। मैं बस रो रही थी। लोग इस प्रथा को कल्चर मानते हैं। इस प्रथा की स्वीकृति धर्म में नहीं है।
‘सहियो’ एक NGO है, जो 2015 से महिलाओं के खतना को लेकर काम कर रहा है। इस संस्था की प्रशासनिक प्रबंधक (Administrative manager) चांदनी शियाल का कहना है कि भारत में बोहरा समुदाय में यह प्रथा अब भी चल रही है। समुदाय में ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को पति के प्रति वफादार दिखाने के लिए भी खतना किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बच्चियों की सहमति नहीं ली जाती। उनका कहना है कि क्लिटोरिस डिजायर वाली जगह होती है, उसे ही काटने या छीलने से डिजायर पर असर पड़ता है। तो वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जननांगों को हटाने के पीछे यह भी वजह है कि ऐसा करने से लड़कियों को शादी के लिए पवित्र बनाया जाता है। चांदनी कहती हैं कि यह एक अमानवीय काम है। इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है।
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जननांगों को काटने का महिला स्वास्थ्य पर प्रभाव
ओन्ली माई हेल्थ ने FEMALE GENITAL MUTILATION को समझने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंजन भटनागर से बात की। उनका कहना है कि महिलाओं के गुप्त जननांगों को काटने से कोई फायदा नहीं होता। उल्टा इसका महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। खतना के कारण संक्रमण, लगातार खून बहना, यूरीनरी चुनौतियां और आगे चलकर सैक्शुअल लाइफ पर प्रभाव पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक Female genital mutilation का महिलाओं के स्वास्थ्य पर निम्न तरीके से प्रभाव पड़ता है-
1. जननांग ऊतकों का सूजना
2. बुखार
3. शॉक
4. मृत्यु
5. मूत्र संबंधी समस्याएं
6. यौन संबंधी समस्याएं
7. बच्चा पैदा करने में दिक्कत
8. जननांगों की सर्जरी की आवश्यकता
9. मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे डिप्रेशन, एंग्जाइटी, पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर, आत्मविश्वास की कमी आदि।
समस्या का हल क्या है (What is solution of the problem)
सहियो के साथ काम करने वाली प्रशासनिक प्रबंधक चांदनी शियाल का कहना है कि फीमेल जेनिटल कटिंग को रोकने के लिए कई देशों में कानून भी हैं। तो वहीं, भारत में अभी तक कोई कानून नहीं हैं। ये प्रैक्टिस अभी भी कई देशों में जारी है। उन्होंने बताया कि सहियो भारत में ऐसी कई महिला समुदायों के साथ काम करता है। इस रिवाज को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता फैला रहा है। तो वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस प्रथा को रोकने के लिए लगातार काम कर रहा है। सहियो ‘थाल पे चर्चा’, ‘एक्टिविस्ट रीट्रटी’, स्टोरी टेलिंग जैसे कार्यक्रम चलाकर लड़कियों और परिवारों को जागरूक किया जा रहा है। तो वहीं, चांदनी का कहना है कि इस प्रथा को खत्म करने के लिए पुरुष और औरत दोनों को मिलकर काम करना होगा। क्योंकि खतना दोनों को प्रभावित करता है।
खतना को रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
खतना को रोकने के लिए अव्वल अलग-अलग स्तरों पर प्रयास चल रहे हैं। पहले से ये समस्या कम हुई है, लेकिन खत्म नहीं हुई है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनसे आप भी अपना योगदान दे सकते हैं।
1. खतना के नुकसान के प्रति लोगों में जागरुकता
2. महिलाओं मे शिक्षा का प्रसार
3. खतना से जुड़ी सामग्री व संस्थाओं की जानकारी पीड़ितों तक पहुंचाना।
4. गैर सरकारी व सरकारी संस्थाओं को कड़े कानून बनाना।
5. अपने आसपास पीड़ितों को ढूंढ़ने के लिए लोगों से बात करना।
6. सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाना। विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थाओं को ये आर्टिकल टैग करना।
7. महिलाओं के प्रमुखता मानते हुए एजंसियों को जगाना।
लड़की हाथ से न निकल जाए या उसे जीवनभर एक शौहर के लिए पवित्र रहना है, जैसे नोशन्स के साथ इस प्रथा को आज भी लागू किया जा रहा है। समाज में इस तरह की सोच महिलाओं के अस्तित्व पर सवाल करती है। उनकी समझ और अधिकारों को नकारती है। हालांकि प्रशासनिक तौर पर इस रिवाज को खत्म करने की कोशिशें की जा रही हैं। जैसे-जैसे लोग पढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे यह परंपरा खत्म हो रही है। लेकिन अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
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