Thyroid After Pregnancy Reasons: महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर से ब्लड प्रेशर का बढ़ना या घटना, डायबिटीज या हाथ-पांव में सूजन होना जैसी दिक्कतों से महिलाएं अक्सर परेशान होती हैं। ऐसे ही थायराइड की समस्या भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी के बाद थायराइड ठीक हो जाता है, लेकिन कई महिलाओं को थायराइड की यह समस्या डिलीवरी के बाद भी बनी रहती है। प्रेग्नेंसी के बाद भी थायराइड की समस्या होने की वजह के बारे में हमने मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल की डायबिटिलॉजिस्ट और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. वैशाली एस नायक (Dr. Vaishali S Naik, Consultant Endocrinologist & Diabetologist, Holy Family Hospital, Mumbai) से विस्तार में जाना।
प्रेग्नेंसी के बाद थायराइड होने के 5 कारण
डॉ. वैशाली कहती हैं, “थायराइड की समस्या आमतौर पर महिलाओं में देखने को मिलती है। थायराइड हार्मोन बनाने में आयोडीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रेग्नेंसी में आयोडीन की मात्रा लगभग 50 फीसदी ज्यादा चाहिए। डॉक्टर महिलाओं को गर्भधारण से पहले और प्रेग्नेंसी में 150-200 mcg आयोडीन लेने की सलाह देते हैं। लेकिन महिलाओं को डिलीवरी के बाद भी आयोडीन लेने पर ध्यान देना चाहिए। प्रेग्नेंसी के बाद थायराइड होने की कुछ वजहें होती हैं।”
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन - Postpartum Depression
डॉ. वैशाली के अनुसार, करीब 2 से 8 फीसदी महिलाओं को किसी न किसी तरह का थायराइड डिस्फंक्शन होता है। इसलिए, थायराइड का फंक्शन न सिर्फ गर्भधारण से पहले और प्रेग्नेंसी सामान्य होना चाहिए बल्कि डिलीवरी के बाद भी थायराइड नार्मल रहना चाहिए।
दरअसल, डिलीवरी के बाद थायराइड की ग्रंथि में सूजन रह जाती है, जिसकी वजह स्ट्रेस, समय पर संतुलित भोजन न करना जैसे कई कारण हो सकते हैं।
ऑटोइम्यून बीमारियां - Autoimmune Diseases
डायबिटीज टाइप 1, विटिलिगो, रुमेटॉयड अर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण भी डिलीवरी के बाद थायराइड की समस्या बनी रह सकती है। डॉ. वैशाली के अनुसार, ऐसी स्थिति में महिलाओं को समय पर डॉक्टर की सलाह लेकर थायराइड कंट्रोल करने की दवाइयां लेनी चाहिए। इससे ऑटोइम्यून बीमारियों को भी समय पर मैनेज किया जा सकता है।
फैमिली हिस्ट्री - Family History
आमतौर पर महिलाओं को डिलीवरी के बाद थायराइड होने की वजह परिवारिक इतिहास होता है। कुछ मामलों में देखा गया है कि महिलाओं को गर्भधारण से पहले थायराइड ट्रिगर नहीं करता, लेकिन डिलीवरी के बाद थायराइड की समस्या ट्रिगर हो जाती है। इसकी मुख्य वजह परिवार में पहले से किसी को थायराइड की बीमारी से जूझना है।
एंटी थायराइड एंटीबॉडीज - Anti Thyroid Antibodies
इस ऑटोइम्यून बीमारी में एंटीबॉडीज थायराइड की ग्रंथि पर हमला करती हैं। इससे थायराइड की ग्रंथि में सूजन आ जाती है। जिन महिलाओं को डायबिटीज टाइप 1 की समस्या होती है, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा हो सकता है। कई बार देखा गया है कि डिलीवरी के बाद करीब एक साल के भीतर यह समस्या देखने को मिलती है।
पहले से थायराइड की समस्या - Suffering From Thyroid
जिन महिलाओं को गर्भधारण से पहले और प्रेग्नेंसी में थायराइड की समस्या होती है, उनमें डिलीवरी के बाद भी यह समस्या देखने को मिलती है। हालांकि डॉक्टर प्रेग्नेंसी में थायराइड को कंट्रोल की दवाइयां देते हैं, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद भी यह बीमारी रह जाती है।
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डिलीवरी के बाद थायराइड की जांच कैसे करें?
डॉ. वैशाली कहती हैं, “आमतौर पर थायराइड के लक्षण डिलीवरी के 3 से 6 महीने के अंदर ही दिखाई देने लगते हैं। हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण डिलीवरी के 3 से 12 महीने के बाद नजर आते हैं। इसमें वजन बढ़ना, थकान और काम करने को मन न करना शामिल है। करीब 45 से 50 फीसदी मामलों में हाइपोथायराइडिज्म होता है।”
अगर महिलाओं को थायराइड के लक्षण नजर आते हैं, तो हार्मोन प्रोफाइल जैसे कि T3/Ft3, T4/Ft4 and TSH के साथ थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट भी कराना चाहिए। थायराइड का पता चलने के बाद उसे मॉनीटर करना बहुत जरूरी है।
डिलीवरी के बाद थायराइड कैसे मैनेज करें?
डॉ. वैशाली कहती हैं,” डिलीवरी के बाद महिलाओं को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि थायराइड की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाए।”
- डिलीवरी के बाद संतुलित आहार लेना महत्वपूर्ण है।
- जरूरत से ज्यादा तेल या देसी घी से बनी चीजें से परहेज करना चाहिए।
- डॉक्टर की बताई दवाइयों को समय पर लें।
- रोजाना कसरत और योग जरूर करें।
- मन और दिमाग को स्ट्रेस-फ्री रखने के लिए मेडिटेशन करें।
प्रेग्नेंसी के बाद अक्सर महिलाएं बच्चे की देखभाल में उलझ जाती हैं और अपनी सेहत को इग्नोर कर देती हैं। अगर महिलाओं को शरीर में किसी भी तरह का बदलाव महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा, अपने खान-पान और कसरत का ध्यान रखना भी जरूरी है।
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