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नवजात शिशुओं के दिल में छेद क्यों होता है? डॉक्टर से जानें इसके कारण

हर माता-पिता चाहते हैं उनका बच्चा स्वस्थ और सेहतमंद हो। लेकिन, कई बार कुछ कारणों के चलते शिशु के दिल में छेद हो जाता है। इस लेख में जानते हैं कि बच्चो के दिल में छेद की समस्या क्यों होती है। साथ ही इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है?   
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नवजात शिशुओं के दिल में छेद क्यों होता है? डॉक्टर से जानें इसके कारण


बच्चे के दिल में छेद क्यों होता है? - Causes Of Hole in Heart in Babies In Hindi

डॉक्टर के अनुसार दिल में छेद होने के स्पष्ट कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन, इसे प्रेग्नेंसी के समय हार्ट के डेवलपमेंट (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) से जोड़ कर देखा जाता है। जेनेटिक के साथ ही खराब लाइफस्टाइल, धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन इस समस्या का जोखिम बढ़ा सकता है। डॉक्टर के मुताबिक जीन में होने वाले बदलाव की वजह से हार्ट में छेद की समस्या हो सकती है। इसमें NKX2.5/CSX और TBX5 जीन प्रभावित हो सकते हैं। छोटे बच्चों में जन्म से पहले ही उसके दाएं और बांए हार्ट के हिस्से अलग नहीं होते, परन्तु जब गर्भ में बच्चा बड़ा हो रहा होता है तो एक दीवार इन दो वैट्रिकल्स को अलग करती है। लेकिन, जब यह दीवार पूरी तरह से नहीं बनती तो बच्चे के हार्ट में एक या एक से अधिक छेद रह जाता है। इसका आकार अलग-अलग हो सकता है।

हार्ट कैसे बना होता है?

हार्ट चार चैम्बर से बना होता है। इसमें दो ऊपरी कक्ष (एट्रिया) और दो निचले कक्ष (वेंट्रिकल्स) होते हैं। हृदय का दाहिना भाग ब्लड को फेफड़ों तक ले जाता है। फेफड़ों से ब्लड ऑक्सीजन लेता है और फिर उसे हृदय के बाईं ओर लौटा देता है। फिर हृदय का बायां हिस्सा ब्लड को शरीर की मुख्य नसों के माध्यम से शरीर के बाकी हिस्सों तक पंप करता है। दिल में छेद होने की वजह से फेफड़ों में एक्सट्रा ब्लड भर सकता है और हार्ट के दाहिने हिस्से को अधिक कार्य करना पड़ सकता है। अगर इस समस्या का इलाज न किया जाए तो हार्ट का दाहिना भाग बड़ा व कमजोर हो जाता है। इसकी वजह से पल्मनरी हाइपरटेंशन होने का खतरा रहता है।

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शिशु में दिल में छेद के लक्षण - Symptoms Of Hole in Heart In Newborn Baby

छोटे छेद के लक्षण तुरंत स्पष्ट नहीं होते, लेकिन बड़े छेद के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • दूध पीने में परेशानी या जल्दी थक जाना
  • वजन नहीं बढ़ना या बहुत धीमी वृद्धि
  • सांस लेने में तकलीफ
  • त्वचा, होंठ या नाखूनों का नीला पड़ जाना (Cyanosis)
  • बार-बार फेफड़ों का संक्रमण या खांसी
  • दिल की धड़कन असामान्य होना, आदि।

बच्चे के दिल में छेद की पहचान कैसे करें? How To Identify The Symptoms Of Hole in Heart In Children In Hindi

डॉ देबासिस दास, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डिएक सर्जन, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, हावड़ा के अनुसार शिशु के दिल में छेद होने का पता कुछ समय के बाद चलता है। इस समस्या की वजह से बच्चे में किसी भी तरह के बदलाव देखने को नहीं मिलते हैं। हालांकि, डॉक्टर अपनी जांच में इस समस्या का पता लगा सकते है। जिन बच्चों के हार्ट में छेद होता है उनका दिल तेजी से धड़कता है। साथ ही बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध पीने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है और वह जल्द ही थक जाता है। उसकी ग्रोथ धीमी गति से होती है।

हृदय में छेद के मुख्य प्रकार - Types Of Hole In Heart In Children In Hindi

ASD (Atrial Septal Defect)

  • यह ऊपरी दो कक्षों (right और left atria) के बीच छेद होता है।
  • छोटे छेद अपने आप बंद हो सकते हैं।

VSD (Ventricular Septal Defect)

  • यह निचले दो कक्षों (right और left ventricles) के बीच छेद होता है।
  • यह अधिक गंभीर माना जाता है और कई बार सर्जरी की आवश्यकता होती है।

AVSD (Atrioventricular Septal Defect)

  • इसमें atria और ventricles दोनों में छेद होता है।
  • यह डाउन सिंड्रोम से जुड़ा हुआ भी हो सकता है।

हृदय में छेद की पहचान कैसे होती है? - How To Diagnose Hole In Children Heart In Hindi

शिशु के दिल में छेद की पुष्टि डॉक्टर आगे बताए टेस्ट कर सकते हैं।

  • स्टेथोस्कोप द्वारा हृदय की ध्वनि सुनना (Heart murmur)
  • Echocardiogram (ECHO) – यह एक प्रमुख जांच है जिससे दिल में छेद की स्थिति स्पष्ट होती है।
  • Chest X-ray – फेफड़ों की स्थिति जानने के लिए।
  • ECG (Electrocardiogram) – हृदय की धड़कनों की जांच।
  • Pulse Oximetry – शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को नापने के लिए।

बच्चे के दिल में छेद का इलाज कैसे किया जाता है? Treatment Of Hole in Heart In Children In Hindi

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट व एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (Atrial septal defect) का इलाज हार्ट के छेद के आकार पर निर्भर करता है। एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के कई मामले बचपन में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। कई बार डॉक्टर हार्ट में छोटे छेदों के लिए किसी तरह के इलाज की सलाह नहीं देते हैं। हार्ट रोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे के हार्ट की नियमित जांच के बाद हार्ट का छेद खुद ही बंद हो जाता है। अगर हार्ट का छेद समय के साथ बंद नहीं होता, या छेद का आकार बड़ा होता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।

उपचार के बाद जीवनशैली और देखभाल

  • ऑपरेशन के बाद बच्चे को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
  • संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं समय पर दें।
  • समय-समय पर हृदय की जांच कराएं।
  • अच्छी पोषणयुक्त आहार व्यवस्था बनाए रखें।
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीकाकरण करवाएं।

इसे भी पढ़ें : बच्चों को भी हो सकती हैं हार्ट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं, जानें इनके बारे में

बच्चों का कम एक्टिव, ग्रोथ न होना, या सांस लेने में किसी तरह की परेशानी महसूस होने पर इसे अनदेखा न करें। इस स्थिति में आप तुरंत किसी डॉक्टर से मिलें। बच्चा बेहद छोटा होता है और वह अपनी परेशानी को सही तरह से बता नहीं पाते हैं, इसलिए बच्चे की समस्या में आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

FAQ

  • कैसे पता चलेगा कि बच्चे के दिल में छेद है?

    जब शिशु या बच्चा मां का दूध पीने में अनकानी करता है या उसको सांस लेने में परेशान होती है तो यह कुछ मामलों में दिल की समस्या का संकेत हो सकती है।
  • बच्चे के दिल में छेद कब बंद हो जाता है?

    बच्चों में दिल के छेद (जन्मजात हृदय दोष) आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद या पहले वर्ष के भीतर बंद हो जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, छेद खुला रह सकता है, और इसका उपचार सर्जरी या कैथेटर-आधारित प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता है।
  • दिल में छेद के क्या लक्षण हैं?

    दिल में छेद (जन्मजात हृदय दोष) के लक्षण, नवजात शिशुओं और बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं, और वयस्कों में भी अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें थकान, सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

 

 

 

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