कर्नाटक में पिछले तीन सालों में लगभग 41,000 स्कूली बच्चों में Congenital Heart Disease (जन्मजात हृदय रोग) की पहचान हुई है। ये आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में छोटे बच्चों को जन्म के साथ ही हृदय रोग होना सामान्य नहीं है। लेकिन जिस बात ने स्वास्थ्य विभाग को ज्यादा चिन्तित किया है, वो ये कि इन बच्चों में से आधे से भी कम को पर्याप्त इलाज मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये आंकड़े कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए हैं।
जन्मजात हृदय रोग क्या होता है?
हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित केयर हॉस्पिटल्स के इंटरवेंशनल पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट और सीनियर कंसल्टेंट Dr Prashant Prakashrao Patil के अनुसार, “जन्मजात हृदय रोग यानी बच्चा जब पैदा होता है, तभी उसके दिल में कोई समस्या होती है, जैसे- दिल में छेद, वॉल्व का डैमेज होना, ब्लड वेसल्स में समस्या आदि। यह समस्या छोटी भी हो सकती है और गंभीर भी। अगर समय रहते इसका पता चल जाए तो सर्जरी या अन्य इलाज से बच्चा बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन देर होने पर यह समस्या बढ़कर बाकी अंगों और बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है।”
कैसे सामने आया डाटा?
ये आंकड़े राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (Rashtriya Bal Swasthya Karyakram) के तहत हुई स्क्रीनिंग के दौरान सामने आए हैं। जांच के दौरान जिन बच्चों में हृदय दोष मिले, उन्हें Suvarna Arogya Suraksha Trust के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में फ्री इलाज के लिए भेज दिया गया है।
कर्नाटक सरकार ने शुरू की नई पहल
इन आंकड़ों को देखते हुए कर्नाटक सरकार एक नई योजना पर काम करने वाली है, जिसमें प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड स्कैन में अगर बच्चे में कोई जन्मजात रोग या कोई असामान्य समस्या आती है, तो बच्चे के जन्म के साथ ही उसे हाई रिस्क कैटेगरी में डाल दिया जाएगा, ताकि डॉक्टर्स और माता-पिता दोनों ही सावधान हो सकें और ऐसे बच्चों को समय रहते सही इलाज मिल सके।
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क्यों जरूरी है समय पर इलाज?
Dr Prashant Prakashrao Patil के अनुसार, “अगर ऐसे बच्चों की पहचान शुरुआती समय में हो जाए, तो इलाज होने पर बच्चे को लंबा और स्वस्थ जीवन मिल सकता है। देर से पता चलने पर हृदय रोग के कारण गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इलाज में देरी न सिर्फ बच्चे की सेहत को और खराब करती जाती है, बल्कि पूरे परिवार को मानसिक रूप से परेशान करती है और आर्थिक बोझ को भी बढ़ाती है।”
जन्मजात हृदय रोग किन कारणों से हो सकता है?
बच्चे में जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) क्यों होता है, इसका कोई एक कारण नहीं है। लेकिन कुछ वजहें हैं जो इस बीमारी का खतरा बढ़ा सकती हैं, जैसे-
- अगर परिवार में पहले किसी को जन्म से हृदय की समस्या रही है, तो बच्चे में भी इसका खतरा ज्यादा हो सकता है।
- मां का धूम्रपान करना, शराब पीना या प्रेग्नेंसी में किसी इंफेक्शन का शिकार होना बच्चे के दिल पर असर डाल सकता है।
- कुछ स्थितियां, जैसे डाउन सिंड्रोम, बच्चों में हृदय रोग का खतरा बढ़ा देती हैं।
- अगर गर्भवती महिला को डायबिटीज है, मोटापा है या पोषण की कमी है, तो बच्चे में जन्मजात हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
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बच्चों में जन्मजात हृदय रोग का खतरा कैसे कम करें?
जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसका खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है:
- गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराते रहें।
- धूम्रपान, शराब और हानिकारक दवाओं से दूर रहें।
- अगर डायबिटीज है, तो प्रेग्नेंसी में इसे अच्छे से कंट्रोल करें।
- अगर परिवार में पहले किसी बच्चे को जन्मजात हृदय रोग रहा है, तो अगली प्रेग्नेंसी से पहले जेनेटिक काउंसलिंग कराना फायदेमंद हो सकता है।
इन छोटी-छोटी सावधानियों से बच्चे के दिल को सुरक्षित रखा जा सकता है और मां-बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। अगर समय पर पहचान और इलाज हो जाए, तो इन बच्चों का बचपन और भविष्य दोनों सुरक्षित किए जा सकते हैं।
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Sep 22, 2025 20:48 IST
Published By : Anurag Gupta