आजकल की तजे रफ्तार जिंदगी और बिजी दिनचर्या का सबसे बड़ा असर बच्चों की लाइफस्टाइल पर पड़ रहा है। खासकर शहरों में रहने वाले वर्किंग पेरेंट्स की दिनचर्या इतनी बिजी होती है कि वे अक्सर अपने बच्चों के पोषण और खानपान पर उतना ध्यान नहीं दे पाते, जितना देना चाहिए। इसके चलते बच्चों की सुबह की आदतें असंतुलित होती जा रही हैं। कई बार बच्चों को स्कूल जाने की जल्दी होती है, तो कई बार उन्हें भूख नहीं लगती और ऐसे में वे नाश्ता करना टाल देते हैं। सुबह का नाश्ता बच्चों के लिए दिन का सबसे जरूरी भोजन होता है। यह रातभर की फास्टिंग के बाद शरीर को नई एनर्जी देने का काम करता है और मानसिक व शारीरिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। इस लेख में दिल्ली के एसेंट्रिक डाइट्स क्लीनिक की डाइटिशियन शिवाली गुप्ता (Shivali Gupta, Dietitian, Eccentric Diets Clinic) से जानिए, बच्चों के नाश्ता न करने के क्या नुकसान हैं?
बच्चों के नाश्ता न करने के क्या नुकसान हैं? - What Are The Side Effects Of Skipping Breakfast
डाइटिशियन शिवाली गुप्ता बताती हैं कि नाश्ता दिन का पहला और सबसे अहम भोजन होता है। रातभर की फास्टिंग के बाद सुबह का भोजन शरीर को एनर्जी देता है। बच्चों के लिए यह और भी जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका शरीर विकास की अवस्था में होता है और उन्हें दिनभर के लिए शारीरिक और मानसिक एनर्जी की आवश्यकता होती है। एक संतुलित नाश्ता न केवल भूख मिटाता है बल्कि मस्तिष्क को एक्टिव करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है।
4 से 18 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से नाश्ता छोड़ने वाले बच्चों को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। यह खासतौर पर उन बच्चों में देखा गया जो कम आय वाले परिवारों से आते हैं। ऐसे बच्चों में आयरन, कैल्शियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी पाई गई, जो हड्डियों की मजबूती और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं।
इसे भी पढ़ें: एक्जाम रिजल्ट के कारण बच्चे को हो गया है स्ट्रेस? जानें ऐसे में पेरेंट्स को क्या करना चाहिए
1. पोषण की कमी और कुपोषण का खतरा
नाश्ता न करने से बच्चों में आयरन की कमी से एनीमिया, कैल्शियम की कमी से हड्डियों की दुर्बलता और एनर्जी की कमी हो सकती है। खासतौर पर किशोरियों में आयरन की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है। लगातार पोषण की कमी बच्चों को शारीरिक रूप से कमजोर बना सकती है, जिससे उनका विकास रुक सकता है।
2. मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन नाश्ता न करना बच्चों में मोटापे का कारण भी बन सकता है। जब बच्चे सुबह कुछ नहीं खाते, तो दिनभर में ज्यादा फैट और शुगर वाले स्नैक्स का सेवन करते हैं। इससे वजन बढ़ता है और मोटापे के साथ-साथ डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें: बच्चों को डिप्रेशन से क्या जोखिम हो सकते हैं? जानें बचाव के तरीके
3. मानसिक विकास पर असर
नाश्ते का सीधा संबंध बच्चों की एकाग्रता, याददाश्त और सीखने की क्षमता से होता है। खाली पेट स्कूल जाना मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। रिसर्च से पता चला है कि नियमित रूप से नाश्ता करने वाले बच्चों की पढ़ाई में प्रदर्शन बेहतर होता है और वे कक्षा में अधिक सतर्क रहते हैं।
4. मूड पर प्रभाव
नाश्ता न करने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, थकान और ध्यान की कमी देखी जाती है। कई बार बच्चे गुस्से में रहते हैं या छोटी-छोटी बातों पर भावुक हो जाते हैं। इसका सीधा असर उनके सामाजिक व्यवहार और आत्मविश्वास पर पड़ता है।
5. किशोरावस्था में आदतों का बनना
किशोरावस्था (Teenage) वह समय होता है जब लाइफस्टाइल की आदतें बनती हैं। इस उम्र में हेल्दी ब्रेकफास्ट की आदत डालना आगे चलकर जीवनभर की सेहत को प्रभावित कर सकता है। इस समय बच्चों को हाई फाइबर, कम फैट और शुगर वाला नाश्ता देने की सलाह दी जाती है।
बच्चों को सुबह के नाश्ते में क्या खिलाना चाहिए? - What is the best breakfast for a child
बच्चों के नाश्ते में साबुत अनाज, दूध या दही, ताजे फल, अंडे, पोहा, उपमा या मूंग दाल चिला जैसे पौष्टिक विकल्प शामिल किए जा सकते हैं। पैकेज्ड और शुगर वाले सीरियल से बचना चाहिए। अगर समय की कमी हो तो घर में ही जल्दी बनने वाले हेल्दी स्नैक्स रखें। खुद भी नाश्ता करें और बच्चों के साथ बैठकर खाना खाने का समय बनाएं।
निष्कर्ष
नाश्ता केवल पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए एक जरूरी शुरुआत है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ, खुशमिजाज और पढ़ाई में तेज हो, तो उसे हर दिन पौष्टिक नाश्ता जरूर दें। आदतें बचपन में बनती हैं और अच्छी आदतें जीवनभर साथ रहती हैं।
All Images Credit- Freepik
FAQ
बच्चा कुछ नहीं खा रहा है तो क्या करें?
अगर बच्चा कुछ नहीं खा रहा है तो सबसे पहले उसके खाने की आदतों और पसंद को समझें। जबरदस्ती खाना खिलाने के बजाय भोजन को आकर्षक और स्वादिष्ट तरीके से पेश करें, जैसे रंग-बिरंगे फल, कार्टून शेप वाले पराठे या कटोरी में छोटी-छोटी मात्रा में खाना दें। बच्चे को खाने में शामिल करें, जैसे वह खुद सलाद सजाए या पराठा रोल बनाए। परिवार के साथ बैठकर खाने से भी बच्चे को खाने की आदत बनती है। अगर बच्चा लंबे समय से खाना नहीं खा रहा है या वजन कम हो रहा है, तो डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह जरूर लें।बच्चों को सुबह-सुबह क्या खिलाएं?
बच्चों को सुबह-सुबह हल्का, पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता देना चाहिए जिससे उनका दिन एनर्जेटिक शुरू हो। आप उन्हें दूध के साथ फल, दलिया, पोहा, उपमा, अंडा, मूंग दाल चिला या बेसन का टोस्ट दे सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए सूजी का हलवा या फल-सलाद अच्छे विकल्प हो सकते हैं। खाने को रंग-बिरंगे और मजेदार शेप्स में सजाएं ताकि बच्चे खुशी से खाएं। साथ ही, नाश्ता जल्दी और आसानी से बनने वाला होना चाहिए ताकि सुबह की जल्दी में भी इसे तैयार किया जा सके।बच्चे को भूख न लगने पर क्या करना चाहिए?
अगर बच्चे को भूख नहीं लगती है, तो सबसे पहले उसके खानपान और दिनचर्या को समझें। बच्चा अगर दिनभर स्नैक्स, चॉकलेट, जूस या तली-भुनी चीजें खाता है तो उसकी भूख कम हो सकती है। तय समय पर खाना दें और बीच-बीच में ज्यादा खाने से रोकें। बच्चा शारीरिक रूप से एक्टिव रहेगा तो भूख बढ़ेगी, इसलिए खेल-कूद को बढ़ावा दें। पाचन तंत्र को सुधारने के लिए हल्का, सुपाच्य और फाइबर युक्त आहार दें। यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।