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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर के किस अंग का वजन कितना बढ़ता है? जानें डॉक्टर से

प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन किस अंग का वजन कितने किलोग्राम बढ़ना चाहिए, इसकी जानकारी होना भी जरूरी है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर के किस अंग का वजन कितना बढ़ता है? जानें डॉक्टर से


प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को वजन बढ़ना सामान्य प्रक्रिया है। वक्त के साथ जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता है, महिला का वजन बढ़ता है। इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव भी होते हैं, जिसकी वजह से भी वजन बढ़ना सामान्य माना जाता है। प्रेग्नेंट महिला का वजन बढ़ना मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यह वजन केवल गर्भ में पल रहे शिशु के कारण नहीं बढ़ता, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रों में बदलाव के कारण भी बढ़ता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, को प्रेग्नेंसी के दौरान 10 से 12 किलो वजन बढ़ता है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर के अलग-अलग हिस्सों का वजन कितना बढ़ता है, यह जानकारी बहुत कम लोगों को होती है। आज इस आर्टिकल में हम इसी विषय के बारे में बात करने वाले हैं। इस बारे में अधिक जानकारी दे रही हैं दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल की रोबोटिक सर्जरी की हेड और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निम्फिया वालेचा।

 

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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर के कौन-से अंग का वजन कितना बढ़ता है? | Which body part gains how much weight during pregnancy?

डॉ. निम्फिया वालेचा ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करके बताया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का 11 से 18 किलो वजन बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिला का वजन 11 किलो से कम हो रहा है, तो यह शिशु और होने वाली मां के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के कौन से अंग का वजन कितना बढ़ता है, इसकी जानकारी निम्नलिखित है:

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- प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण गर्भ में पल रहा शिशु होता है। इस दौरान शिशु का वजन 3 से 4 किलो बढ़ता है।

- प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पलने वाले शिशु के दूध उत्पादन की प्रक्रिया भी होती है। इसलिए इस दौरान 0.5 से 1 किलो तक स्तनों का वजन बढ़ता है।

- गर्भस्थ शिशु को प्लेसेंटा के जरिए पोषण और ऑक्सीजन प्राप्त होती है। यही कारण है कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा का वजन 0.5 से 1 किलो तक बढ़ सकता है।

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- शिशु के विकास की वजह से गर्भशय का वजन 0.5 से 1 किलो तक बढ़ सकता है।

- अम्नियोटिक द्रव शिशु को पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है। प्रेग्नेंसी में गर्भाशय के अंदर अम्नियोटिक द्रव का वजन लगभग 1 से 1.5 किलो तक बढ़ता है।

- गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए प्रोटीन और फैट की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिलाएं सही खानपान अपनाती हैं, तो प्रोटीन और फैट का वजन लगभग 4 से 5 किलो तक बढ़ता है।

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- शरीर में खून का स्तर बढ़ जाता है ताकि शिशु को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन मिल सके। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार, प्रेग्नेंसी में खून का वजन 1.2-1.5 किलो तक बढ़ता है।

- प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में अतिरिक्त लिक्विड जमा हो जाता है। अतिरिक्त लिक्विड का वजन 1.5-2 किलो तक बढ़ता है। शरीर में जमा होने वाला यह लिक्विड डिलीवरी के दौरान काफी हद तक निकल जाता है।

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निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह होने वाली मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में वजन बढ़ने यह बताता है कि शिशु का विकास किस रफ्तार से हो रहा है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी कारणों से प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो आप इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।

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