
एक हालिया स्टडी में सामने आया है कि तेलंगाना में किडनी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई मरीज ऐसे हैं, जिनमें न तो डायबिटीज है, न हाई ब्लड प्रेशर। इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, राज्य में “क्रॉनिक किडनी डिजीज ऑफ अननोन कॉज (CKDu)” यानी अनजान कारणों से होने वाली किडनी की बीमारी अब एक बड़ी पब्लिक हेल्थ चिंता के रूप में उभर रही है।
रिसर्चर्स ने बताया कि यह बीमारी उन इलाकों में भी देखी जा रही है, जहां न तो औद्योगिक प्रदूषण है, न ही पारंपरिक जोखिम वाले कारण मौजूद हैं। यह स्थिति बताती है कि राज्य में किडनी रोगों के पीछे पर्यावरणीय या जल स्रोत से जुड़े कारक भी भूमिका हो सकती है।
स्टडी में क्या आया सामने?
यह स्टडी ओस्मानिया जनरल हॉस्पिटल में मार्च 2021 से नवंबर 2022 तक आए मरीजों के डाटा के आधार पर की गई है। स्टडी के लिए करीब 50% मरीजों पर किडनी बायोप्सी की गई, ताकि बीमारी के असली कारणों की पहचान हो सके। शोधकर्ताओं ने इन मरीजों के पेयजल के नमूनों और जल स्रोतों की जांच भी की।
स्टडी में पाया गया कि कई मामलों में मरीजों की किडनी पहले से ही सिकुड़ी (Shrunken) हुई थी, जिससे बीमारी का शुरुआती कारण पता नहीं चल पा रहा। साथ ही, कुछ मामलों में प्रोटीन यूरिया (Protein Loss) और हल्का ब्लड प्रेशर पाया गया, जो संकेत देता है कि बीमारी शायद लंबे समय से मौजूद थी लेकिन पहचान नहीं हुई।
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डॉक्टर का क्या कहना है?
इस स्टडी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डॉ सशि किरन ए, कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद कहते हैं, “भारत में किडनी बीमारियों पर ठोस डाटा की कमी है, खासकर तेलंगाना जैसे राज्य में। इस रिसर्च ने उस कमी को पूरा किया है। इसलिए ये एक महत्वपूर्ण अध्ययन है। स्टडी के लिए लगभग 50 प्रतिशत मरीजों में बायोप्सी की गई है, जो इस बीमारी की प्रकृति को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम है।”
लेकिन डॉ सशि ने इस स्टडी की कुछ सीमाएं भी बताई हैं। उन्होंने कहा, “अध्ययन एक ही अस्पताल पर आधारित है, इसलिए यह पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करता। साथ ही, इसमें हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को शामिल किया गया है, जिससे यह तय करना मुश्किल है कि बीमारी वाकई अनजान कारणों से है या पुरानी हाइपरटेंशन का असर है।”
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क्यों बढ़ रही है यह बीमारी?
रिसर्चर्स के अनुसार बीमारी के संभावित कारणों में पेयजल में रासायनिक तत्व, खेती में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स, और गर्मी या हीट-स्ट्रेस जैसी परिस्थितियां शामिल हो सकती हैं। कुछ ग्रामीण इलाकों में पानी के फिल्टरिंग सिस्टम की कमी और लंबे समय तक अनट्रीटेड पानी का सेवन भी इसका कारण हो सकता है।
डॉ. सशि किरन ए कहते हैं, “यह अध्ययन भले ही सीमित दायरे का हो, लेकिन यह एक जरूरी चेतावनी है कि हमें इस समस्या को समय रहते समझना और रोकना होगा।”
कुल मिलाकर भले ही यह अध्ययन तेलंगाना के छोटे से सैंपल पर आधारित हो, लेकिन इससे भारत में किडनी की बढ़ती बीमारी की एक तस्वीर तो नजर ही आती है । अगर बीमारी के कारण का पता ही न हो, तो समस्या को गंभीर माना जाना चाहिए।
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Oct 28, 2025 16:30 IST
Published By : Anurag Gupta