
Mpox Myths And Facts In Hindi: हाल के दिनों में एमपॉक्स का कहर कई देशों में दिखा है। डब्लूएचओ ने भी इसके प्रति चिंता व्यक्त की थी। यही कारण है कि एमपॉक्स को लेकर कई इमर्जेंसी मीटिंग भी की गईं। यह हमारे लिए इसलिए भी बढ़ता चिंता का विषय है, क्योंकि पिछले दिनों हमारे देश में पहले संदिग्ध व्यक्ति की भी पुष्टि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह एक गंभीर बीमारी है, जिसके प्रति हमें पहले ही सतर्क हो जाना चाहिए। लेकिन, इस बीमारी को लेकर लोगों के मन में अजीबो-गरीब डर बैठ गया है। कुछ लोगों को लगता है कि क्या एमपॉक्स या मंकीपॉक्स कोविड-19 की तरह अपना कहर बरपाएगा? इसी तरह के कई सवाल लोगों के मन में हैं। इनमें कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो सच नहीं हैं। इस लेख में हम एमपॉक्स से जुड़ी ऐसी ही बातों (Monkeypox Virus Myths) पर गौर करेंगे और उनकी सच्चाई भी जानेंगे। इस बारे में हमने शारदा अस्पताल में जनरल मेडिसिन के प्रोफेसर और एचओडी डॉ. ए के गड़पायले से बात की है।
एमपॉक्स/मंकीपॉक्स से जुड़े मिथक और सच्चाई
मिथकः एमपॉक्स एक नई बीमारी है
सच्चाईः एमपॉक्स/मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है। mdanderson.org वेबसाइट की मानें, तो इस बीमारी की पहचान सबसे पहली बार 1958 में बंदरों में हुई थी। इसी वजह से इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था। इसके बाद 1970 की दशक में इंसानों में इसका पहला मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, यह बीमारी विश्व के सभी देशों में अब तक पहुंची नहीं है। चूंकि, कुछ देशों में इसके मामले बढ़े हैं, इसलिए इसको लेकर पूरी दुनिया में हलचल हो रही है।
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मिथकः एमपॉक्स सिर्फ सेक्सुअल कॉन्टैक्ट से फैलता है
सच्चाईः इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि एमपॉक्स/मंकीपॉक्स असुरक्षित सेक्स प्रक्रिया में शामिल होने से फैल सकता है। लेकिन, यह कहना कि सिर्फ शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण यह बीमारी हो सकती है, सही नहीं होगा। myhealth.va.gov वेबसाइट के अनुसार, "अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के शरीर में हुए घाव या छालों को हाथ लगा दे, तो भी एमपॉक्स/मंकीपॉक्स होने की आशंका बढ़ जाती है।"
मिथकः एमपॉक्स, स्मॉल पॉक्स जैसी बीमारी है

सच्चाईः हालांकि, एमपॉक्स/मंकीपॉक्स, स्मॉल पॉक्स जैसी नजर आने वाली बीमारी है। यहां तक कि दोनों में कई तरह की समानताएं भी मिलती हैं। इसके बावजूद, दोनों को एक जैसी बीमारी कहना सही नहीं होगा। एमपॉक्स के लक्षण शुरुआती दिनों में हल्के होते हैं, जो वक्त के साथ-साथ गंभीर होते चले जात हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉल पॉक्स ज्यादा गंभीर बीमारी हुआ करती थी। जबकि, एमपॉक्स को सही तरह से मैनेज करके कंट्रोल किया जा सकता है और इसके लक्षण भी अपने आप ठीक होने लगते हैं।
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मिथकः एमपॉक्स जानलेवा बीमारी है
सच्चाईः एमपॉक्स/मंकीपॉक्स को लेकर जिस तरह लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है, उन्हें लगता है कि यह बीमारी जानलेवा है। जबकि, एक्सपर्ट्स की मानें, तो यह सही नहीं है। हां, यह सच है कि एमपॉक्स में लोगों की जान जा सकती है। लेकिन, इसकी गंभीरता कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एमपॉक्स के लक्षण कुछ ही दिनों में अपने आप रिकवर हो जाते हैं। इसलिए, एमपॉक्स/मंकीपॉक्स को लेकर सावधानी बरतना जरूरी है।
मिथकः एमपॉक्स का कोई प्रभावशाली ट्रीटमेंट नहीं है

सच्चाईः हां, यह सच है कि अब तक एमपॉक्स/मंकीपॉक्स के लिए कोई निश्चित एंटीवायरल ट्रीटमेंट मौजूद नहीं है। लेकिन, विशेषज्ञों के मुताबिक एमपॉक्स/मंकीपॉक्स के लक्षणों को सही तरह से मैनेज करके बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ वैक्सीन भी मौजूद हैं, जिनकी मदद से एमपॉक्स/मंकीपॉक्स से बचाव किया जा सकता है।
एमपॉक्स एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जो कि एमपॉक्स वायरस की वजह से फैलता है। पिछले दिनों विश्व के कई देशों में इसके मामले सामने आए हैं। इसलिए, इस बीमारी के प्रति सतर्कता और सावधानी बरतना आवश्यक है। इनके मिथक और सच्चाई के बारे में जानकर, इस बीमारी से खुद को बचाव करने में मदद मिल सकती है।
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