Myths About Stroke In Hindi: स्ट्रोक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। अगर समय रहते व्यक्ति को मदद न मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की मानें, हिंदुस्तान में स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हमारे यहां मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण स्ट्रोक है। जबकि, स्ट्रोक की वजह से मरीजों में विक्लांगता की दर भी बढ़ रही है। आंकड़ों की मानें, तो यह विक्लांगता या डिसएबिलिटी का पांचवा सबसे बड़ा कारण है। इसी से आप लगा स्ट्रोक की गंभीर का अंदाजा लगा सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हर व्यक्ति को स्ट्रोक के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद की जा सके या खुद को इस कंडीशन से बचाया जा सके। सवाल है कि इसके लिए क्या किया जा सकता है? सबसे जरूरी है कि स्ट्रोक से जुड़े मिथक की सच्चाई जानें और अपनी सेहत की ओर पॉजिटिव कदम उठाएं। दरअसल, किसी भी बीमारी से जुड़ी गलत जानकारी, स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है। इस लेख में हम आपको स्ट्रोक से जुड़े ऐसे मिथक के बारे में बता रहे हैं, जिन पर लोग भरोसा करते हैं। आइए, इनकी सच्चाई जानते हैं। इस संबंध में हमने शारदा हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग के (एमबीबीएस, एमडी-इंटरनल मेडिसिन, डीएम-कार्डियोलॉजी) प्रमुख एवं वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुभेंदु मोहंती से बात की।
स्ट्रोक से जुड़े मिथक- Myths About Stroke In Hindi
मिथकः सिर्फ बुजुर्गों को स्ट्रोक आता है
सच्चाईः यह सच है कि बुजुर्गों को अधिक स्ट्रोक आता है। खासकर, 60 साल से जिन लोगों की उम्र ज्यादा होती है, उन्हें स्ट्रोक का रिस्क काफी ज्यादा होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि युवाओं या बच्चों को स्ट्रोक का जोखिम नहीं होता है। स्ट्रोक किसी को भी हो सकता है। आपको बता दें कि करीब 25 फीसदी स्ट्रोक 65 साल से कम उम्र वालों को आते हैं।
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मिथकः स्ट्रोक हार्ट से जुड़ी समस्या है
सच्चाईः कुछ लोगों को लगता है कि स्ट्रोक हार्ट हेल्थ से जुड़ी समस्या है। जबकि, ऐसा नहीं है। स्ट्रोक ब्रेन से जुड़ी समस्या है। जब ब्रेन में मौजूद वेन्स में ब्लॉकेज आ जाती है, तब स्ट्रोक आता है। लेकिन, हार्ट अटैक तब हेता है, जब हार्ट में सही तरह से ब्लड फ्लो नहीं होता है या आर्टरीज ब्लॉक हो जाती हैं।
मिथकः स्ट्रोक से बचाव संभव नहीं है
सच्चाईः स्ट्रोक की मुख्य वजह हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रोल, मोटापा और डायबिटीज को माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर व्यक्ति इन बीमारियों से खुद का बचाव कर ले, तो वह स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। इसके लिए, उन्हें चाहिए कि जीवनशैली से जुड़े जरूरी बदलाव करें, जैसे सोने के पैटर्न में सुधार करे, हेल्दी डाइट ले और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इस तरह की हेल्दी आदतों को अपनाकर स्ट्रोक के रिस्क को भी कम करने में मदद मिल सकती है।
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मिथकः स्ट्रोक आने पर सिर में तीव्र दर्द होता है और कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं
सच्चाईः स्ट्रोक आने पर तीव्र दर्द होता है। यह सच है। लेकिन, सिर्फ सिर में तीव्र दर्द होता है, यह सही नहीं है। स्ट्रोक आने पर कई तरह के अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं। स्ट्रोक आने पर व्यक्ति पर को बोलने में दिक्कत होने लगती है, फोकस करना मुश्किल हो जाता है, नजरें धुंधली हो जाती हैं, अचानक शरीर का आधा हिस्सा सुन्न हो जाता है और चलने-फिरना भी मुश्किल लगने लगता है। यहां तक कि स्ट्रोक की वजह से व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी भी महसूस होती है।
मिथकः स्ट्रोक के बाद नॉर्मल जिंदगी जीना मुश्किल है
सच्चाईः स्ट्रोक के बाद व्यक्ति को अपनी लाइफस्टाइल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति ताउम्र नॉर्मल और हेल्दी लाइफ नहीं जी सकता है। अगर व्यक्ति अपनी जीवनशैली में हेल्दी बदलाव करता है, सही डाइट फॉलो करता है और अपनी हेल्थ की प्रॉपर केयर करता है, तो वह नॉर्मल लाइफ जी सकता है। हां, डॉक्टर की दी हुई सलाह को सही तरह से फॉलो करना चाहिए।
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