
भारत में मोटापा, डायबिटीज और दूसरे मेटाबॉलिक रोग जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वो चिंता की बात है। इन बीमारियों का एक बहुत बड़ा कारण खानपान की गड़बड़ी है। भारत में अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड्स की खपत को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है, जो हमें इसकी गंभीरता को बताता है। हाल में प्रसिद्ध जर्नल The Lancet में एक स्टडी सीरीज को 3 भागों में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि भारत में Ultra Processed Foods (UPFs) की खपत जिस रफ्तार से बढ़ रही है, वही इन बीमारियों के ट्रेंड को और खतरनाक बना रही है।
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अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड्स (UPFs) ऐसे फूड्स होते हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा प्रोसेसिंग के बाद तैयार किया जाता है, जिसके कारण इनमें पोषक तत्व तो होते नहीं, लेकिन स्वाद बढ़ाने और लंबी शेल्फ लाइफ देने के लिए इनमें बहुत सारे एडिटिव्स, प्रिजर्वेटिव्स, केमिकल्स आदि मिलाए जाते हैं।
स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में UPFs की बिक्री भारत में कई गुना बढ़ी है, और इसके साथ-साथ आबादी में मोटापा, प्रीडायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज के मामले भी लगातार बढ़े हैं।
यह निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में अब कम उम्र में वजन बढ़ना, पेट की चर्बी और ब्लड शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और कुपोषण जैसी समस्याएं आम बनती जा रही हैं, खासकर शहरी आबादी में। आइए समझते हैं UPFs आखिर क्या हैं और स्टडी में क्या सामने आया है।
Ultra Processed Foods क्या होते हैं?
बाजार में मिलने वाले कौन से फूड्स अल्ट्रा प्रॉसेस्ड हैं और कौन से नहीं, इन्हें इन संकेतों से आसानी से पहचाना जा सकता है।
- जो फूड्स देखने में खूबसूरत और खाने में स्वादिष्ट लगे लेकिन नेचुरल न हो। दरअसल इन फूड्स में रंगों और स्वाद बढ़ाने वाले एडिटिव्स का इस्तेमाल होता है।
- ये फूड्स तैयार तो नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से किए जाते हैं, लेकिन इन्हें बहुत लंबे समय तक बिना खराब हुए इस्तेमाल किया जा सकता है। इनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए इनमें बहुत सारे प्रिजर्वेटिव्स डाले जाते हैं। ये प्रिजर्वेटिव्स सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।
- इन फूड्स में नमक, तेल, घी और चीनी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ इन्हें खराब होने से बचाने के लिए डाले जाते हैं।
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इनमें शामिल हैं:
- इंस्टेंट नूडल्स
- पैक्ड चिप्स
- बिस्किट
- फ्लेवर्ड योगर्ट
- प्रोसेस्ड मीट
- शुगर-लोडेड ब्रेकफास्ट सीरियल
- रेडी-टू-ईट या रेडी-टू-कुक पैकेटबंद आइटम्स
इन फूड्स में पोषण न के बराबर लेकिन कैलोरी, नमक, शुगर और अनहेल्दी फैट बहुत ज्यादा होते हैं।

Lancet स्टडी में सामने आईं कई खास बातें
द लैंसेट की इस स्टडी में कई ऐसी बातें कही गई हैं, जो मामले की गंभीरता और इसके कारण दोनों पर प्रकाश डालती हैं।
1. प्रॉसेस्ड फूड्स के कारण बढ़ रहीं बीमारियां
स्टडी ने स्पष्ट किया कि प्रॉसेस्ड फूड्स के बढ़ते सेवन के कारण गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। इसका मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और कई अन्य क्रॉनिक बीमारियों से बहुत गहरा संबंध है।
2. भारत में तेजी से बढ़ रही UPFs की बिक्री
आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस-पंद्रह सालों में UPFs की बिक्री और उपलब्धता कई गुना बढ़ गई है। यानी घरों में कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, बिस्किट, नमकीन जैसी चीजें अब कभी-कभार नहीं, बल्कि रोज के खानपान का हिस्सा बन गई हैं।
3. मोटे न दिखने वाले भी हेल्दी नहीं
स्टडी कहती है कि एशियाई देशों, खासकर भारत में, लोग सामान्य कई बार बाहर से पतले या सामान्य वजन वाले नजर आते हैं लेकिन उनके अंदर फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है औ ब्लड शुगर भी अनियमित रूप से घटता-बढ़ता रहता है। ऐसे में UPFs की बढ़ती खपत स्थिति को और खराब बनाती है।
4. सिर्फ व्यक्ति को जिम्मेदार मानना गलत
खास बात यह है कि इस स्टडी रिपोर्ट में प्रॉसेस्ड फूड्स के बढ़ते प्रयोग को व्यक्तिगत गलती नहीं माना गया है, बल्कि इसका कारण मार्केटिंग, आसान उपलब्धता, सस्ते विकल्प और बच्चों को टारगेट करने वाले विज्ञापनों को भी माना गया है। इसलिए स्टडी करने वालों ने यह भी माना कि सिर्फ लोगों को समझाना कि प्रॉसेस्ड फूड्स कम खाओ, सही उपाय नहीं है। इसके बजाय इनका प्रयोग रोकने के लिए पॉलिसी-लेवल पर बदलाव जरूरी है।
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भारत में समस्या बड़ी क्यों है?
भारत जैसे देश के लिए अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड्स इसलिए भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं कि हमारे खानपान में पहले ही बहुत ज्यादा तेल, मसालों और मीठे की मात्रा होती है। यहां बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं और हर त्योहार को खास बनाने के लिए घरों में पूरी, पराठे, मिठाई, तेल में बने स्नैक्स आदि बनाए जाते हैं। इसके अलावा यहां चाय, कॉफी, शरबत सिर्फ सामान्य पेय नहीं बल्कि मेहमानों के स्वागत के लिए जरूरी चीजों में शामिल हैं। ये चीजें पारंपरिक रूप से हमारे यहां शामिल रही हैं।
अब इन्हीं सबके बीच बाजार में मिलने वाले पैकेटबंद चिप्स, चॉकलेट, केक, जूस, कोल्ड ड्रिंक, इंस्टैंट नूडल्स, नमकीन, बिस्किट आदि ने भी अपनी जगह बना ली है।
इसके अलावा शहरों में तुरंत फूड डिलीवरी करने वाली सर्विसेस के कारण लोगों के लिए जंक और प्रॉसेस्ड फूड्स की उपलब्धता बढ़ गई है। लोगों को किचन में घंटों मेहनत करने के बजाय बाजार से तैयार किया गया खाना और पैकेटबंद फूड्स मंगाना ज्यादा आसान, किफायती और आरामदायक लगता है। समय की कमी के कारण भी कई बार लोग ऐसे फूड्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं और फिर इनकी लत लग जाती है।
स्वस्थ रहने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
वैसे तो चारों तरफ मार्केटिंग, सोशल मीडिया और सुपर फास्ट सर्विसेज के बीच अल्ट्र प्रॉसेस्ड फूड्स से पूरी तरह दूर रहना बहुत आसान नहीं है। लेकिन अगर आपको अपने स्वास्थ्य की चिंता है, तो कुछ बातों को अपनाकर आप इन्हें छोड़ सकते हैं या इनकी आदत कम कर सकते हैं।
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- खाना हमेशा घर का बना हुआ ही खाएं। बाहर जो भी मिलता है फिर चाहे वो पैकेटबंद हो या रेस्टोरेंट्स और फूड कॉर्नर पर मिलने वाला ताजा खाना, सब में कुछ न कुछ प्रॉसेस्ड फूड्स मिलाए जाते हैं और ये अनहेल्दी होते हैं।
- खाने में नेचुरल चीजें नेचुरल फॉर्म में ही शामिल करें। जैसे आलू खाना फायदेमंद है लेकिन आलू से ही बना चिप्स, भुजिया और फ्रेंच फ्राइज अच्छे नहीं हैं। इसी तरह चना हेल्दी है मगर चने के बेसन से बने स्नैक्स और नमकीन अनहेल्दी। गेहूं से बना आटा ठीक है लेकिन मैदे से बने फ्राइड फूड्स, पिज्जा, बर्गर आदि अनहेल्दी हैं।
- विज्ञापनों के प्रभाव में आकर, भारी डिस्काउंट देखकर या दूसरों से तारीफ सुनकर खाने की चीजें ऑर्डर करना बंद करें और हमेशा सोच-समझकर खाएं कि आप जो खा रहे हैं, वो आपकी सेहत पर कैसा असर डालने वाला है।
कुल मिलाकर अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड्स खाने में स्वादिष्ट तो लगते हैं, लेकिन ये आपको धीरे-धीरे ऐसी गंभीर बीमारियों की तरफ धकेलते हैं, जिनका इलाज नहीं है। इसलिए समय रहते बचाव बहुत जरूरी है।
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Nov 21, 2025 21:37 IST
Published By : Anurag Gupta