IVF Journey In Hindi: रिया और अभिषेक बिल्कुल नॉर्मल कपल की तरह हैं। उनकी लाइफ किसी भी सामान्य कपल की तरह ही थी। लेकिन, तब तक जब तक उन्होंने अपनी फैमिली शुरू करने की नहीं सोची थी। रिया और अभिषेक मेंटली अपने परिवार को एक्सटेंड करने के लिए तैयार थे। उन्होंने इसके लिए ट्राई भी किया और जल्द ही रिया को इसमें सफलता भी मिल गई। रिया ने जैसे ही कंसीव किया, उन दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्हें लगा कि जल्द ही अब उनका परिवार पूरा हो जाएगा। मगर यह खुशी लंबे समय तक नहीं चली। ऐसा क्यों हुआ? आइए, जानते हैं इनकी आगे की कहानी। रिया और अभिषेक की यह कहानी हमारे साथ गुड़गांव स्थित Motherhood Fertility & IVF, में सीनियर IVF कंसल्टेंट से डॉ. ज्योति गुप्ता ने हमारे साथ शेयर की।
मिली बुरी खबर
रिया और अभिषेक ने नेचुरली कंसीव तो कर लिया था। लेकिन, उनकी यह खुशी लंबे समय तक नहीं रही। क्योंकि पहले ही माह में रिया का मिसकैरेज हो गया। परेशानी तब और बढ़ी जब उन्हें यह नहीं पता कि रिया को मिस्ड मिसकैरेज हुआ है। इसका मतलब है कि गर्भ में पल रहे भ्रूण का मिसकैरेज हो चुका था, लेकिन बॉडी इसका नहीं दिखा रही थी। उन्हें लंबे समय तक अपनी मिस्ड मिसकैरेज के बारे में पता नहीं चला। बल्कि उन्हें प्रेग्नेंसी के तमाम लक्षण नजर आ रहे थे। जब उन्होंने अल्ट्रा साउंड करवाया, तब यह बात सामने आई कि उन्हें मिस्ड मिसकैरेज हो गया है। इसका मतलब है कि गर्भ में भ्रूण की धड़कनें नहीं सुनाई दे रही थीं और उसका विकास भी रुक गया था।
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परेशानी और बढ़ी
रिया के सामने अभी चैलेंजेस और भी थे। उन्हें न सिर्फ अपनी पहली प्रेग्नेंसी में मिसकैरेज का सामना करना पड़ा, बल्कि इसके बाद लगातार दो बार कंसीव करने के बाद भी उनका मिसकैरेज हो गया। इस स्थिति ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। पिछले चार साल से अपने वह परिवार को बढ़ाने की कोशिश करती रहीं और हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी। हर बार मिसकैरेज हुआ, जिस वजह से उन्हें डायलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) करवाना पड़ा।
मिले एक्सपर्ट से
मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले रिया और अभिषेक 4 सालों तक लगातार नेचुरली कंसीव करने की कोशिश के बावजूद हर बार फेल हो रहे थे। इससे उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से टूट गया। ऐसे में उन्होंने बिना देरी किए एक्सपर्ट की मदद ली। जिन्होंने उन्हें कई जेनेटिक टेस्टिंग करने की सलाह दी। इससे यह पता चल सका कि आखिर रिया और अभिषेक में क्या दिक्कत है तथा किस तरह से उनकी समस्या का समाधान किया सकेगा। इस दौरान एक्सपर्ट्स ने उन्हें आईवीएफ करवाने की सलाह दी। ताकि पैरेंट्स बनने का उनका ख्वाब पूरा हो सके।
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अपनाया आईवीएफ ट्रीटमेंट
इस ट्रीटमेंट के दौरान उनकी मुलाकात डॉ. ज्योति गुप्ता से हुई। उन्होंने रिया और अभिषेक के तमाम जरूरी टेस्ट करवाए ताकि उन्हें कंफर्म हो कि आखिर आईवीएफ किस तरह उनकी पैरेंट्स बनने की खुशी को अंजाम दे सकता है। डॉ. ज्योति का कहना है, "लंबे समय से यह कपल मिसकैरेजेस का सामना करना रहा था। ऐसे में उनके लिए आईवीएफ विकल्प चुनना जरूरी था। उन्हें आईवीएफ विद पीजीटीए की सलाह दी।" आपको बता दें कि पीजीटीए एक तरह का टेस्ट है जो बनने वाले भ्रूणों की आनुवंशिकी की जांच करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह समझ आने वाला था कि आखिर रिया का मिसकैरेज क्यों हो रहा था और इस स्थिति में कैसे सुधार किया जा सकता है। इसके जरिए कई एंब्रेयो में से हेल्दी एंब्रेयो को चुना गया, जिससे रिया को सफल प्रेग्नेंसी में मदद मिली।
मिली खुशखबरी
पैरेंट्स बनने की इस जर्नी में रिया और अभिषेक ने कई चुनौतियों का सामना किया। अंततः उन्हें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साथ एनेप्लोइडी (पीजीटीए) के लिए प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग कराने से कंसीव करने में मदद मिली और अब वह 36 सप्ताह की गर्भवती हैं।
FAQ
क्या आईवीएफ प्रेग्नेंसी नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह ही होती है?
आमतौर पर प्रेग्नेंसी कंसीव करने के दौरान चुनौतियां होती हैं, जिसके लिए आईवीएफ प्रक्रिया की मदद ली जाती है। किसी भी महिला के लिए आईवीएफ जर्नी सहज नहीं होती है। इस दौरान उन्हें कई तरह के हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी कंसीव करने के कुछ सप्ताह बाद सब कुछ सामान्य प्रेग्नेंसी की तरह हो जाता है।आईवीएफ गर्भावस्था के क्या जोखिम हैं?
आईवीएफ गर्भावस्था से कई तरह के जोखिम जुड़े होते हैं। जैसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी आदि।आईवीएफ गर्भावस्था के क्या लक्षण हैं?
आईवीएफ गर्भावस्था में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो सकती है, महावरी में देरी हो सकती है या पीरियड्स मिस हो सकते हैं, उल्टी होना आदि भी इसके सामान्य लक्षणों में हैं।