True Story on Yoga in Hindi: अक्सर महिलाएं PCOD (पीसीओडी) की समस्या से परेशान रहती हैं क्योंकि पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और कई बार तो दो से तीन महीने में एक बार ही होते हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं का वजन बढ़ना, मुंह पर बाल आना, प्रेग्नेंसी में समस्या होना (side effects of PCOD) मुहांसे होना बहुत ही कॉमन है। इस तरह की परेशानियों से बचाव के लिए योग करना काफी मददगार हो सकता है। कुछ ऐसा ही अंडमान-निकोबार द्वीप में रहने वाली रीमा अरोड़ा के साथ हुआ है। पीसीओडी के अलावा रीढ की हड्डी में हुई समस्या को भी उन्होंने योग से कंट्रोल किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (Internation Yoga Day 2025) के मौके पर जानें 43 साल की रीमा अरोड़ा की जर्नी, जिन्होंने योग की मदद से कई शारीरिक समस्याओं को मैनेज किया है।
PCOD की वजह से पहले शिशु का जन्म समय से पहले हुआ
अपनी परेशानी बताते हुए रीमा कहती हैं, “कॉलेज के दिनों में PCOD की समस्या के चलते कई बार पीरियड्स दो-दो महीने बाद आते थे। हालांकि शुरुआत में ज्यादा दिक्कत नहीं थी, लेकिन मुझे झटका उस समय लगा जब मेरे पहले शिशु का जन्म समय से पहले हो गया। पीसीओडी की वजह से डिलीवरी 7 महीने से पहले ही हो गई और शिशु को बचाया नहीं जा सका। इस घटना ने मुझे अंदर तक हिला दिया था। फिर मैंने इलाज कराया और मुझे साल 2009 में बेटा हुआ। इसके बाद दूसरे बच्चे की प्लानिंग करते समय कंसीव करने में भी दिक्कतें आई थीं। आखिरकार साल 2017 में मैंने बेटी को जन्म दिया।”
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PCOD कंट्रोल करने के लिए योग शुरू किया
रीमा ने बताया, “साल 2017 में डिलीवरी के बाद फिर से पीसीओडी ने परेशान करना शुरू किया, तो मैंने योग करने का सोचा। दरअसल, मेरी सास को रोजाना योग कराने के लिए टीचर आती थी। जब मैंने उनसे अपनी इस समस्या को बताया, तो उन्होंने मुझे योग करने की सलाह दी। तो मेरी योग करने की जर्नी साल 2017 से शुरू हुई। कोविड के समय भी योग एक्सपर्ट ऑनलाइन योग कराती थी। मैंने योग करना नहीं छोड़ा और आज इसका नतीजा यह निकला है कि मेरी PCOD की समस्या बिल्कुल खत्म हो गई है। अब मुझे रेग्लुर पीरियड्स आते हैं और मेरा वजन भी 10-12 किलो कम हुआ है। पीसीओडी के साइड इफैक्ट्स भी कम हो गए हैं।”
सैक्रोइलाइटिस की समस्या हुई
रीढ की हड्डी की समस्या बताते हुए रीमा ने कहा, “वैसे तो कुछ सालों से मुझे पीठ में दर्द हो ही रहा था, लेकिन साल 2024 में यह दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया कि मेरे लिए बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो गया। दर्द इतना ज्यादा था कि बर्दाश्त नहीं हो रहा था। डॉक्टर से चेक कराने पर पता चला कि मुझे सैक्रोइलाइटिस के साथ स्पॉन्डिलोसिस हो गया है। कुछ समय के लिए तो मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टर ने दवाइयां दी, जो स्टेरॉयड्स थी। हालांकि कुछ समय तो मैंने दवाइयां ली लेकिन मुझे इन दवाइयों को अपनी रोजमर्रा में शामिल नहीं करना था। इसलिए मैं इसका कोई समाधान सोच रही थी।"इसे भी पढ़ें: PCOD का पता चलते ही डॉक्टर प्रेग्नेंसी जल्दी प्लान करने को क्यों कहते हैं? जानें एक्सपर्ट से
योग एक्सपर्ट ने की मदद
रीमा कहती हैं, “जिस दिन मुझे दर्द हुआ था, उस दिन भी योग टीचर ने मुझे योग कराया था और दर्द से काफी आराम मिला था। मैंने इस बारे में अपनी योग एक्सपर्ट से बात की, तो उन्होंने मुझे योग करने की सलाह दी। तब से मैं रोज सैक्रोइलाइटिस को कंट्रोल करने वाली कई योग करने लगी और आज सालभर में मुझे सैक्रोइलाइटिस और स्पॉन्डिलोसिस की कोई परेशानी नहीं है। योग करने से मुझे काफी राहत मिली है और योग के फायदों को देखते हुए मेरी बेटी ने भी योग शुरू किया है।"
योग के साथ संतुलित आहार भी जरूर लें
रीमा ने बात करते समय संतुलित आहार पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “योग के साथ आहार भी महत्वपूर्ण है। संतुलित डाइट लेने से शरीर पर बहुत असर पड़ता है। जो लोग योग करते हैं, उन्हें अपनी डाइट पर भी ध्यान रखना चाहिए। डाइट और योग दोनों एक साथ करने से ही सेहत पर असर दिखता है। योग करने से न सिर्फ बीमारियों को कंट्रोल करना आसान है, बल्कि शरीर भी एक्टिव रहता है। मैंने महसूस किया है कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से मानसिक शांति मिलती है। इसलिए मैं सभी को कहना चाहूंगी कि अपने जीवन में योग को जरूर शामिल करें।”