कुछ लोग कुर्सी या सोफे पर, जहां भी बैठते हैं अपना पैर हिलाते रहते हैं। कई बार ये महज आदत होती है और इसका शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन कई बार अंजाने में टांग हिलाना पैर संबंधी किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। ऐसी ही एक बीमारी है रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जो मुख्यतः एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, लेकिन कई बार इस समस्या के कारण रात में सोते समय टांगों में तेज दर्द होने लगता है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम इसका नाम इसीलिए है क्योंकि इस बीमारी में पैर स्थिर नहीं रहते बल्कि दर्द के कारण या मानसिक स्थितियों के कारण अंजाने में ही हिलते रहते हैं। इस बीमारी के कारण कई बार आपकी नींद भी प्रभावित होती है और पूरी रात आराम से सो नहीं पाते हैं।
किनको होती है ये बीमारी
ज्यादातर मानसिक बीमारियों की तरह इस बीमारी की वजह भी ठीक से नींद पूरी न होना, तनाव, डिप्रेशन, सुकून की कमी, अत्यधिक थकान और कई बार दर्द होती है। नींद पूरी न होने के कारण दिनभर थकान रहती है और ऐसे में हम भले शांति से बैठे रहें लेकिन हमारे दिमाग के अंदर थकान की वजह से बेचैनी रहती है, जो शरीर के अंगों में किसी न किसी रूप में जाहिर होती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम ज्यादातर महिलाओं और बच्चों को होता है। कई बार पीरियड्स के दौरान होने वाले लगातार दर्द के कारण भी नींद पूरी नहीं होती और अंजाने में ही पांव हिलते रहते हैं। महिलाओं में प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा डायबिटीज और पार्किन्सन बीमारी से प्रभावित लोगों में भी ये समस्या देखने को मिलती है।
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रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण
- लगातार पैरों को हिलाना
- पांवों में सनसनी महसूस होना
- पैरों में दर्द और खिंचाव महसूस होना
- रात में सोते समय पांव चलाना और बार-बार करवट बदलना
- पैरों में ऐसा दर्द होना जैसे कोई चीज लगातार चुभ रही है
कुछ लोगों में सिर्फ पैर हिलाने के लक्षण दिखते हैं और उन्हें दर्द या बेचैनी नहीं महसूस होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ऐसे लोगों को इस बीमारी से कोई नुकसान नहीं होता। दरअसल दर्द न होने की स्थिति में भी अगर आपके पैर इस बीमारी की वजह से हिलते हैं तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार यही लक्षण पैर के साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों में भी देखे जा सकते हैं।
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दर्द कब बढ़ जाता है
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का खास लक्षण ये है कि इसका दर्द ज्यादातर रात में होता है और दिन में ठीक हो जाता है या फिर ये दर्द आपको तब परेशान करता है जब आप लंबे समय तक आराम करते हैं। कई बार ज्यादा देर तक कुर्सी पर बैठने या देर तक खड़े रहने और ज्यादा पैदल चल लेने से भी इस बीमारी का दर्द तेज हो जाता है।
बीमारी का कारण
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम ज्यादातर शरीर में आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन बी12 की कमी से होता है। डायबिटीज, आर्थराइटिस, एनीमिया और पार्किन्सन जैसी बीमारियों के कारण भी आपको ये बीमारी हो सकती है। इसके अलावा डिप्रेशन या एलर्जी की दवाओं के लगातार प्रयोग से भी ये बीमारी हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट दोनों की जरूरत पड़ती है।
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