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Women's Day: जानें महिलाओं में होने वाली मानसिक बीमारी ''सुपर वुमन सिंड्रोम'' के बारे में

महिलाओं में भागदौड़ और कामकाज के तनाव के कारण सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है, जानें इसके बारे में।
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Women's Day: जानें महिलाओं में होने वाली मानसिक बीमारी ''सुपर वुमन सिंड्रोम'' के बारे में


लाइफस्टाइल में बदलाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण आज के समय में ऑलराउंडर होना और मल्टी टास्किंग होना समय की जरूरत है। महिलाओं में यह स्किल होना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है। दरअसल ऐसी महिलाएं जो घर के कामकाज के साथ-साथ ऑफिस भी जाती हैं उनके लिए कई बार ये कामकाज तनाव भरा हो सकता है। पूरी दुनिया में 8 मार्च को महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी जागरूकता फैलाने और महिलाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' (International Women's Day) मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर Onlymyhealth ने भी 'हेल्दी नारी, हैप्पी नारी' अभियान शुरू किया है, इसके माध्यम से स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति महिलाओं को जागरूक करना है। ऐसे माहौल में जहां पूरी दुनिया की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी हो गया है। कई बार महिलाएं कई सारी चीजों को एकसाथ करने के चक्कर में खुद को मानसिक समस्याओं से ग्रसित कर लेती हैं। ऐसे ही महिलाओं में ऑलराउंडर और मल्‍टी-टास्किंग होने के चक्कर में सुपर वुमन सिंड्रोम (Superwoman Syndrome in Hindi) की समस्या होती है जो आगे चलकर काफी गंभीर हो सकती है। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

क्या है सुपर वुमन सिंड्रोम? (What Is Superwomen Syndrome?)

घर और परिवार के साथ-साथ ऑफिस और समाज की जिम्मेदारियों का निर्वाह करने वाली महिलाओं में यह मानसिक समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसी महिलाएं इन चीजों में इतना व्यस्त होती हैं कि उन्हें खुद के लिए समय नहीं मिलता है। दिल्ली के मशहूर मनोचिकित्सक डॉ धमेंद्र सिंह के अनुसार कई बार जब ऐसे ही कामकाज और भागदौड़ में फंसी महिलाएं किसी काम को अच्छे ढंग से नहीं कर पाती हैं या अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाती हैं तो वे सुपर वुमेन सिंड्रोम का शिकार हो जाती हैं। सुपर वुमेन सिंड्रोम की शुरुआत किसी एक घटना से हो सकती है लेकिन यह धीरे-धीरे महिलाओं में बढ़ने लगती है। इस समस्या के कारण महिलाएं अवसाद और मानसिक समस्याओं का शिकार हो जाती हैं। इस स्थिति में महिलाएं खुद को हर काम करने के लिए जिम्मेदार मानती हैं और किसी भी चीज में असफल होने पर खुद को ही दोष देने लगती हैं। 

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Superwoman-Syndrome-Symptoms

सुपर वुमेन सिंड्रोम के लक्षण (Superwomen Syndrome Symptoms in Hindi)

सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या किसी भी उम्र में किसी भी महिला को हो सकती है। सबसे ज्यादा इस समस्या का शिकार हाउसवाइफ और कामकाजी महिलाएं या सोशल एक्टिविस्ट होती हैं। एक शोध के मुताबिक इस समस्या का शिकार सबसे ज्यादा अधेड़ उम्र की महिलाएं होती हैं। सुपर वुमेन सिंड्रोम की वजह से महिलाओं में चिंता और अवसाद की समस्या होने लगती हैं। सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या में महिलाओं में ये लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • हर असफलता के लिए खुद को जिम्मेदार मानना।
  • परफेक्ट महिला बनने की इच्छा।
  • हमेशा खुद की तारीफ सुनने के लिए काम करना।
  • सबका ध्यान बटोरना।
  • मानसिक अवसाद से ग्रसित होना।
  • काम के प्रेशर में खुद को समय न देना।

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सुपर वुमन सिंड्रोम के कारण (Superwomen Syndrome Causes in Hindi)

महिलाओं में कामकाज का अत्यधिक प्रेशर, हमेशा सबको खुश रखने की इच्छा रखना और ऑफिस के बाद घर संभालने के चक्कर में महिलाओं में सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। इसके अलावा वैज्ञानिकों के मुताबिक सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या सेरोटोनिन हॉर्मोन की कमी के कारण भी हो सकती है। इसके कारण महिलाओं में तनाव बढ़ता है और आपकी समस्याएं बढ़ती हैं।

सुपर वुमेन सिंड्रोम से बचाव और इलाज (Superwomen Syndrome Treatment And Prevention)

सुपर वुमेन सिंड्रोम की समस्या से बचने के लिए सबसे पहले महिलाओं को अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए। घर-परिवार और ऑफिस की जिम्मेदारियों के साथ खुद के लिए समय निकालना इस समस्या से बचाव में उपयोगी हो सकता है। रोजाना व्यायाम, ध्यान और संतुलित खानपान से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं। इसके अलावा अगर इसके लक्षण गंभीर हों तो एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

(All Image Source - Freepik.Com)

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