एक हालिया अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि वे महिलाएं, जो गर्भावस्था के दौरान तनाव भरे क्षणों से गुजरती हैं, वे अधिकतर लड़कियों को जन्म देती हैं। सोमवार को जारी हुए इस अध्ययन में यह भी जिक्र किया गया कि गर्भावस्था के दौरान तनाव में रहने वाली महिलाएं समय से पहले बच्चे को जन्म देती हैं। यह अध्ययन न्यूयार्क प्रेस्बिटेरियन कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तनाव शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार का हो सकता है। शोधकर्ताओं ने इसमें हाई ब्लड प्रेशर और शरीर को तनाव पहुंचाने वाले अन्य कारकों को भी इसमें शामिल किया है। मानसिक तनाव, सामाजिक-मानसिक कारकों के परिणामस्वरूप हो सकता है।
अध्ययन की मुख्य लेखक कैथरिन मोंक के मुताबिक, शिशुओं के लिए गर्भ एक प्रभावशाली "पहला घर" होता है और तनाव से गर्भस्थ शिशु के लिंग और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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शोध के मुताबिक, शारीरिक रूप से तनाव झेलनी वाली महिलाओं ने चार लड़कों के अनुपात में नौ लड़कियों को जन्म दिया जबिक मानसिक रूप से तनाव झेलनी वाली महिलाओं ने 2 लड़कों के अनुपात में 3 तीन लड़कियों को जन्म दिया।
अध्ययन में यह भी साबित किया गया कि शारीरिक रूप से तनाव झेलनी वाली महिलाओं के बीच समय से पहले जन्म देने की प्रवृति पाई गई। वहीं मानसिक तनाव झेलनी वाली महिलाओं को बच्चे को जन्म देने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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मोंक ने कहा कि गर्भाशय के मामले में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक संवेदनशील माना जाता है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर दर्दनाक घटनाओं से पुरुष जन्म दर को भी प्रभावित करने के लिए जाना जाता है।
मोंक ने सुझाव दिया कि गर्भवती महिलाओं को सामाजिक समर्थन और सुरक्षा मुहैया कराने से उनमें तनाव से राहत का भाव पैदा करने में मदद मिलती हैं। इसलिए मां बनने जा रही महिलाओं को परिवार, कार्यस्थलों की ओर से पर्याप्त देखभाल और धार्मिक समूहों का समर्थन मुहैया कराया जाना चाहिए, जो कि स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत जरूरी है।
(सोर्स-न्यूज 18)
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