शिशुओं की स्किन काफी नाजुक और सेंसिटिव होती है। इसलिए उन्हें ज्यादा केयर की जरूरत होती है, क्योंकि उनके स्किन पर रैशेज या अन्य समस्याएं होने का जोखिम ज्यादा होता है। शिशुओं के बार-बार यूरिन पास करने के कारण पेरेंट्स उन्हें डायपर पहनाते हैं। डायपर पहनाने से पेरेंट्स को भी आराम हो जाता है, उन्हें बार-बार बच्चे के कपड़ें बदलने से आराम मिल जाता है। मार्केट में अलग-अलग तरह के डायपर मिलते हैं। डायपर न सिर्फ माता-पिता बल्कि शिशुओं के लिए भी काफी कंफर्टेबल होता है। लेकिन लोगों के बीच डायपर को लेकर कई तरह के मिथक हैं, जिस पर न्यू पेरेंट्स बिना किसी डॉक्टर की सलाह लिए भरोसा कर लेते हैं। आइए सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. माधवी भारद्वाज से जानते हैं डायपर से जुड़े मिथक और फैक्ट्स-
बेबी डायपर के बारे में मिथक और तथ्य
मिथक: डायपर के इस्तेमाल से बच्चे के पैर चौड़े हो जाते हैं।
तथ्य: इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डायपर का लगातार इस्तेमाल करने से शिशुओं के पैरों की चौड़ाई प्रभावित होती है। डायपर को एडजस्ट करने और आराम से फिट होने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे पैरों की सामान्य गति और विकास हो सके। सही तरीके से फिट किए गए डायपर बच्चे के शारीरिक विकास में किसी तरह की समस्या का कारण नहीं बनते हैं।
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मिथक: डायपर के इस्तेमाल से बच्चे का लिंग छोटा रह जाता है।
तथ्य: डायपर के इस्तेमाल से बच्चे के लिंग के आकार या विकास पर कोई असर नहीं पड़ता है, यह बात पूरी तरह मिथक है। बच्चे के जननांग का आकार जेनेटिक पर निर्भर करती है, यह डायपर के इस्तेमाल के आधार पर नहीं बदलता है।
मिथक: डायपर के यूज से बड़े होने के बाद प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
तथ्य: इस बात को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि डायपर का इस्तेमाल बड़े होने के बाद प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। आज के डायपर सुरक्षित चीजों से बनाए जाते हैं और प्रजनन स्वास्थ्य में किसी तरह की समस्या नहीं डालते हैं। प्रजनन से जुड़ी समस्याएं, आमतौर पर डायपर के उपयोग से जुड़े नहीं होते हैं।
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मिथक: डायपर के उपयोग के कारण रैशेज हो सकते हैं।
तथ्य: डायपर रैश हो सकते हैं, लेकिन यह आमतौर पर डायपर के बजाय लंबे समय तक नमी के संपर्क में रहने, केमिकल से जलन या घर्षण जैसे कारणों से होते हैं। डायपर का सही तरीके से उपयोग करना, उन्हें बार-बार बदलना और बैरियर क्रीम का उपयोग करना डायपर रैश को रोकने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, डायपर एरिया में जलन के संकेतों की नियमित रूप से चेक करना और क्षेत्र को साफ और सूखा रखना रैश के जोखिम को कम कर सकता है।
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डायपर से जुड़े मिथकों पर विश्वास करने से पहले आप डॉक्टर से इसके उपयोग के बारे में पता करें। इसके साथ ही सही क्वलिटी और तरीके का उपयोग करें, ताकि शिशु को डायपर से होने वाले डिस्कंफर्ट से बचाया जा सके।
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