
Slow Eating Benefits: आजकल जिस तरह का लाइफस्टाइल हो गया है, उसे देखते हुए कई लोग खाने पर भी ध्यान नहीं देते। कुछ लोग तो समय की कमी के चलते अपना ब्रेकफास्ट हाथ में लेकर ऑफिस निकलते हैं और दोपहर में मीटिंग्स और काम करने की जल्दबाजी के साथ खाना खाते हैं। फिर घर देर से पहुंचकर मोबाइल या टीवी देखते हुए डिनर करने की आदत बहुत लोगों की है। ऐसे में कई बार लगता है कि लोग खाना खाने को सिर्फ टास्क की तरह लेते हैं। इस आदत से न सिर्फ पेट खराब होता है, बल्कि मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ता है। क्या जल्दबाजी में खाने से स्ट्रेस पर असर पड़ता है? यह जानने के लिए हमनेहुमेटा के डायबिटीज एजुकेटर और कंसल्टेंट डाइटिशियन कनिका मल्होत्रा (Kanikka Malhotra, Consultant Dietician & Diabetes Educator, Expert, Humeta) से बात की।
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क्या धीरे-धीरे खाना फायदेमंद है? - Slow Eating Benefits in Hindi
डाइटिशियन कनिका मल्होत्रा कहती हैं, “बिल्कुल, धीरे-धीरे खाना फायदेमंद होता है। कई रिसर्च में भी पाया गया है कि स्लो ईटिंग से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं, इसलिए मैं हमेशा लोगों को धीरे-धीरे खाना खाने की सलाह देती हूं।”

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डाइजेशन बेहतर होना
खाना धीरे-धीरे खाने से चबाना बेहतर होता है, लार भोजने से साथ अच्छी तरह मिलती है और इस वजह से पेट को खाना पचाने में आसानी होती है। इससे पेट खराब होने, ब्लोटिंग और एसिडिटी कम होती है। इसलिए धीरे-धीरे खाना बहुत अच्छा रहता है।
दिमाग और पेट को जोड़ना
हमारे शरीर में Gut–Brain Axis सिस्टम होता है, जिसके जरिए पेट और दिमाग दोनों एक दूसरे से जुड़ते हैं। जब लोग धीरे-धीरे खाते हैं, तो पेट को भरे होने का अहसास होता है। पेट में GLP-1, PYY हार्मोन को रिलीज होने का समय मिलता है, जिससे दिमाग को संकेत मिलता है कि पेट भर गया है। इससे ओवरईटिंग की संभावना कम हो जाती है।
बार-बार ब्लोटिंग और एसिडिटी वाले लोगों के लिए फायदेमंद
जिन लोगों को IBS, एसिडिटी और ब्लोटिंग की समस्या बहुत ज्यादा होती है, उन्हें खाना धीरे-धीरे खाना चाहिए क्योंकि इससे पेट में हवा कम जाती है और पेट को खाना पचाने में पूरा समय मिलता है। इसलिए IBS मरीजों को लिए हमेशा धीरे खाना बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
क्या धीरे-धीरे खाने से स्ट्रेस कम होता है?
इस बारे में डाइटिशियन कनिका मल्होत्रा कहती हैं, “धीरे-धीरे खाना एक माइंडफुल प्रैक्टिस है। इससे खाने के समय सांस लेने और छोड़ने पर ध्यान रहता है। चबाने पर ध्यान रहता है। दिमाग इधर-उधर नहीं जाता, बल्कि एक ही काम पर फोकस रहता है। इस वजह से शरीर को आराम मिलता है, हार्टबीट धीमा हो जाता है और इससे स्ट्रेस कम करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल भी धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। इसलिए जो लोग धीरे-धीरे खाना खाते हैं, उन्हें रिलैक्स महसूस होने लगता है। कई मामलों में देखा गया है कि धीरे खाने वाले लोगों को एंग्जाइटी में राहत मिलती है।”
खाना खाने को कितना समय देना चाहिए?
इस बारे में कनिका मल्होत्रा का कहना हैं, ”एक पूरे खाने को कम से कम 20-30 मिनट में खत्म होना चाहिए, क्योंकि दिमाग को पेट भरा होने के सिग्नल मिलने में इतनी देर लगती है। धीरे-धीरे खाने से कम कैलोरी खाई जाती है, क्रेविंग कम होती है और डाइजेशन मजबूत बनता है। इसके उलट, अगर आप 10 मिनट में खाना खत्म कर देते हैं, तो दिमाग को पता ही नहीं चलता कि आप भर चुके हैं। इसलिए आप अनजाने में ज्यादा कैलोरी खा लेते हैं।“
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धीरे-धीरे खाना खाने के आसान तरीके क्या है?
कनिका मल्होत्रा ने लोगों को धीरे-धीरे खाना खाने के आसान टिप्स दिए हैं। अगर ये छोटे-छोटे बदलाव कर लिए जाए, तो फर्क कुछ ही दिनों में दिखने लगता है।
- हर निवाले को 20–30 बार चबाएं।
- एक कौर के बाद चम्मच नीचे रख दें।
- स्क्रीन देखते हुए खाना न खाएं।
- पानी धीरे-धीरे छोटे घूंट में पिएं।
- शांत जगह पर खाना खाएं।
- सांसों पर ध्यान दें।
- छोटे हिस्सों में खाना परोसें।
निष्कर्ष
खाने को धीरे-धीरे खाना ही फायदेमंद नहीं होता, बल्कि इससे पेट को आराम मिलता है। पेट के आराम से मेंटल हेल्थ दोनों सुधरते हैं। यह एक वैज्ञानिक तरीका है, जिससे भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है। इसलिए सभी को खाने के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खाना धीरे-धीरे ही खाना चाहिए।
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Dec 03, 2025 18:34 IST
Published By : Aneesh Rawat